उत्तराखंड सरकार के आगे राज्य में जनसंख्या असंतुलन की समस्या सिर उठाने लगी है। राज्य में बढ़ती मुस्लिम आबादी को रोकने के लिए यहां सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बसे मुस्लिम और अन्य लोगो को हटाने के लिए धामी सरकार के कदम जैसे ही आगे बढ़ते है, नौकरशाही और राजनीतिक दबाव उन्हे वापिस खींच लेता है।
देहरादून का हिमाचल और यूपी से लगा क्षेत्र जिसे पछुवा देहरादून कहते है यहां कुछ बरस पहले जलविद्युत परियोजना निगम द्वारा आसन बैराज और शक्ति नहर का निर्माण किया गया था, नहर के दोनो तरफ यूपी से आए मुस्लिम मजदूर झोपड़ियों में रहते थे जो धीरे धीरे यहीं स्थाई रूप से निगम की जमीन पर अवैध रूप से बस गए और पास में बह रही यमुना टौंस कालसी नदियों के खनन के कारोबार से जुड़ गया, कई मजदूर ठेकेदार और डंपर मालिक बन बैठे। इन अवैध रूप से बसे करीब साढ़े सात सौ मुस्लिम और दो सौ से ज्यादा हिंदू ईसाई परिवारों को सरकारी जमीन से हटाने के लिए उत्तराखंड जल विद्युत परियोजना निगम के द्वारा नोटिस जारी किए गए इन्हे दस मार्च तक भूमि से खुद हट जाने का वक्त दिया गया, किंतु ये लोग हटे नही और यही अवैध रूप से बसे रहने के लिए, कांग्रेस, जमीयत उलेमा ए हिंद और मुस्लिम सेवा संगठन की शरण में चले गए।
जबकि निगम को इंतजार रहा कि शासन से पुलिस फोर्स मिलेगी, परंतु अपर मुख्य सचिव कार्यालय ने इस मामले को अभी टालने के लिए निर्देशित किया। कहा गया कि फोर्स अभी झंडे मेले और विधान सभा सत्र में व्यस्त है सोलह मार्च के बाद उपलब्ध होगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विकास नगर ढकरानी के अतिक्रमण के मुद्दे पर देहरादून पलटन बाजार की जामा मस्जिद में हुई बैठक में ये तय किया गया है कि सरकार की कारवाई का हर तरीके से विरोध किया जाएगा।कोर्ट में पैरवी आंदोलन और अन्य तरीको से एक जुट होकर मुस्लिम समुदाय सरकार से लड़ाई लड़ेगा। स्मरण रहे कि ठीक इसी तरह से हल्द्वानी रेलवे जमीन पर हुए कथित अवैध कब्जो को हटाने के लिए ,मुस्लिम समुदाय द्वारा विरोध आंदोलन चलाया गया और दिल्ली में बैठे टूल किट्स द्वारा इसे बीजेपी सरकार द्वारा मुस्लिम विरोधी आंदोलन करार देते हुए इस पर अभियान चलाया गया। अब इसी योजना पर यहां भी आगे बढ़ा गया है और मुस्लिम संगठनों द्वारा भीम आर्मी को आगे करके ढकरानी पुलिस चौकी के आगे धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है।
हल्द्वानी में रेलवे और अब यहां उत्तराखंड जलविद्युत निगम की जमीन पर अवैध कब्जे जमाए रखने के लिए मुस्लिम संगठनों द्वारा एक बड़ी योजना तैयार की हुई है। गौरतलब बात ये भी है कि उत्तराखंड सरकार या तो इनका खेल समझ नही सकी है या फिर सरकार को नौकरशाह गलत सलाह दे रहे है। दरअसल इन्ही अवैध कब्जो की वजह से ही उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन की समस्या ने सिर उठा लिया है। देहरादून हरिद्वार नैनीताल और उधम सिंह नगर जिले जोकि यूपी से लगे हुए है यहां मुस्लिम आबादी राज्य बनने के दौरान चौदह फीसदी थी जो अब बढ़ कर पैंतीस फीसदी के आसपास हो गई है। पछुवा देहरादून में एक सौ सत्तर मस्जिद, एक सौ चौदह मजारे सर्वे में चिन्हित हुई है। जिसके बाद से धामी सरकार जागी तो है किंतु नौकरशाही उन्हे सख्त कदम नहीं उठाने दे रही। साल के शुरू में सीएम धामी ने बाहरी लोगो के सत्यापन करने के निर्देश पुलिस को दिए थे किंतु वो अभियान शुरू होते ही हफ्ते भर में फुस्स हो गया।
बाहर से आए लोगो में बंगलादेशी,रोहिंग्या और असम से आए मुस्लिम भी चिन्हित हुए है जोकि सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।
चार दिनों से खड़े है बुल्डोजर
ढकरानी क्षेत्र से अवैध कब्जे हटाने लिए आए आधा दर्जन बुल्डोजर, ट्रक ट्रैक्टर ट्रॉलियां लेबर आदि चार दिनों से यहां डेरा डाले खड़े है।अभियंताओं को अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस फोर्स चाहिए लेकिन एसएसपी डीएम देहरादून ने उन्हें फोर्स उपलब्ध नहीं करवाई है।जिसकी वजह से ये अभियान रुका हुआ है और अवैध कब्जेदारो को राजनीतिक संरक्षण और कोर्ट की शरण में जाने का मौका मिल रहा है।
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