धर्म ग्रंथों का सार यही है कि दूसरों के दुख का निवारण करो, उनका दुख दूर करो
गत दिनों करनाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने श्री आत्म मनोहर जैन आराधना मंदिर में आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक नवनिर्मित अस्पताल का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा किहम वे नहीं हैं, जो केवल अपने लिए जीते हैं। हमारी संस्कृति और परंपराओं में सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की भावना निहित है। हर परिस्थिति में परोपकार को हमने जीवन का अभिन्न अंग माना है। यदि हम सुखी रहना चाहते हैं, तो समाज को सुखी बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि मानव हो तो मनुष्यता चाहिए। हम प्रयास करें, प्रयास कितना यशस्वी होता है, इसकी चिंता नहीं करनी है। मानव से देवता तक की पूर्णता प्राप्त करने का नाम ही सेवा है। जैन संत पीयूष मुनि जी महाराज ने कहा कि जैन गुरुओं ने सत्य, अहिंसा, शालीनता और सदाचार का उपदेश जनमानस को दिया।
सारे धर्म ग्रंथों का सार यही है कि दूसरों के दुख का निवारण करो, उनका दुख दूर करो। उल्लेखनीय है कि संघ की प्रेरणा से जैन समाज ने यह अस्पताल बनवाया है। यहां सभी सुविधाएं नाममात्र के शुल्क पर उपलब्ध होंगी और गरीब मरीजों को कम दर पर चिकित्सा सुविधा मिलेगी। -विसंकें, करनाल
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