देवबंद के इस्लामिक सेंटर मदरसा दारुल उलूम में अब मुफ्ती की पढ़ाई के लिए राज्यों के दाखिले के कोटे को खत्म कर दिया गया है। सालों से चली आ रही इस नियमावली में आखिरकार क्यों संशोधन करना पड़ा? इसके पीछे भी कारण खोजे जा रहे हैं।
दारुल उलूम में देशभर से मुफ्ती की शिक्षा लेने के लिए छात्र पहुंचते थे। हर राज्य का अलग-अलग कोटा होता है और देश के सभी राज्यों के छात्रों को एडमिशन मिल जाया करता था, लेकिन अब इसके लिए प्रबंधन ने कोटा खत्म कर दिया है। अब मेरिट के आधार पर ही एडमिशन दिए जाने का नियम लागू कर दिया गया है।
शिक्षा प्रभारी मौलाना हुसैन अहमद हरिद्वारी ने बताया कि तकलीम इफ्ता कक्षा यानी मुफ्ती की शिक्षा के लिए अब अंक तालिका के आधार पर एडमिशन लिए जाएंगे, अभी तक राज्यों के कोटा से प्रवेश दिए जाते थे। इसके पीछे मकसद ये है कि कोटा सिस्टम से योग्य छात्र को एडमिशन नहीं मिल पाता था और वो इस्लामिक शिक्षा से या तो वंचित रहता था या फिर किसी और संस्थान में पढ़ाई के लिए चला जाता था।
इस बदलाव के पीछे एक बड़ा कारण ये भी बताया जा रहा है कि मुफ्ती की पढ़ाई के लिए दारुल उलूम, तेज तर्रार और आधुनिक कंप्यूटर डिजिटल और सोशल मीडिया में निपुण छात्रों का साथ चाहता है, ताकि वो इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए बेहतर तरीके से काम कर सके और ऐसे में उसने मेरिट लिस्ट को प्राथमिकता दिए जाने का फैसला लिया है।
टिप्पणियाँ