8 जून को यानी कल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस था। इस मौके पर पाकिस्तान के ‘महिला अधिकार’ संगठन कई वर्षों से ‘औरत मार्च’ निकालते आए हैं। इसी क्रम में कल पाकिस्तन की राधानी इस्लामाबाद और लाहौर में महिलाओं ने रैलियां निकालीं। इस्लामाबाद की रैली में शामिल महिलाओं पर शाहबाज सरकार की पुलिस ने ऐसी लाठियां भांजी कि कई महिलाओं को गंभीर चोटें आने के समाचार प्राप्त हुए हैं।
इस्लामाबाद के ‘औरत मार्च’ में तब अफरातफरी फैल गई जब पुलिस के अनुसार ‘कुछ महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के साथ धक्कामुक्की की’। इससे पुलिस भड़क गई और लाठियां भांजनी शुरू कर दीं। पुलिस और रैली में शामिल ‘औरतों’ के बीच जमकर हाथापाई हुई।
स्थानीय प्रेस क्लब के सामने विभिन्न इलाकों से रैली में शामिल होने आईं महिलाओं के अलावा, बताते हैं, कुछ समलैंगिक महिलाएं भी वहां पहुंची थीं। इससे माहौल हिंसक हो गया। फिर पुलिस ने आव देखा न ताव, वह वहां मौजूद महिलओं पर लाठियां लेकर टूट पड़ी। जो सामने आया उस पर डंडे बरसाए गए।
इस्लामवादियों में महिलाओं को अधिकार के नाम पर दमन ही मिलता रहा है। सिर से पैर तक बुर्के—हिजाब में ढके रखने से लेकर तीन तलाक और हलाला की तलवार उन पर लटकती ही रही है। पाकिस्तान में महिला विरोधी अपराधों, यौनाचार, सार्वजनिक शीलभंग, बलात्कार और जबरन निकाह के मामले पिछले सभी रिकार्ड तोड़ चुके हैं। पाकिस्तान मानवाधिकार संगठन की ताजा रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है।
कुछ लोगों का मानना है कि पुलिस ने यह रौद्र रूप दरअसल रैली को न होने देने की कोशिश में दिखाया था। पिछले कुछ सालों के दौरान भी, वहां के कट्टरपंथी मौलवी इस ‘मार्च’ के विरुद्ध मैदान में उतरते दिखे हैं और उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की बात करने वालों को ‘इस्लाम की दुहाई’ देते हुए खूब लताड़ा भी है।
इस्लामवादियों में महिलाओं को अधिकार के नाम पर दमन ही मिलता रहा है। सिर से पैर तक बुर्के—हिजाब में ढके रखने से लेकर तीन तलाक और हलाला की तलवार उन पर लटकती ही रही है। पाकिस्तान में महिला विरोधी अपराधों, यौनाचार, सार्वजनिक शीलभंग, बलात्कार और जबरन निकाह के मामले पिछले सभी रिकार्ड तोड़ चुके हैं। पाकिस्तान मानवाधिकार संगठन की ताजा रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है।
बहरहाल, इस्लामाबाद में ‘मार्च’ के बारे में वहां की पुलिस का कहना है कि मार्च में शामिल होने की कोशिश करने वाले ‘ट्रांसजेडर्स’ के कारण अफरातफरी मची थी। जबकि मार्च में चल रहीं कुछ महिलाओं का आरोप है कि पुलिस रैली को रुकवाने की कोशिशें कर रही थी। मार्च में शामिल महिलाएं महिलाओं के हकों को लेकर नारेबाजी कर रही थीं। वहां प्रेस क्लब के सामने ऐसी अव्यवस्था फैली कि महिलाओं ने सरकार और मीडिया के विरुद्ध नारेबाजी शुरू कर दी।
रैली की रिपोर्टिंग करने गई कुछ महिला पत्रकार भी लाठीचार्च में घायल हुई हैं। कई पत्रकार पुलिस के प्रहार की चपेट में आए। मीडिया में आए समचारों के अनुसार, पाकिस्तान की ‘क्लाईमेट चेंज’ की प्रभारी मंत्री शैरी रहमान भी रैली में शामिल हुई थीं। उन्होंने ट्विटर पर हिंसा को लेकर लिखा कि ‘औरत मार्च में शामिल दोस्त सच में परेशान हैं। इस्लामाबाद की पुलिस के पास एक छोटी शांतिपूर्ण रैली पर लाठीचार्ज करने की कोई वजह नहीं थी।…मैं इस मारपीट की कड़ी भर्त्सना करती हूं, घटना की जांच की जाए।’ वहीं पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने भी इस्लामाबाद पुलिस की ओर से ‘औरत आजादी मार्च’ में शामिल महिलाओं पर लाठीचार्ज की निंदा की है।
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