‘एक व्यक्ति को पढ़ाओगे, तो एक व्यक्ति शिक्षित होगा, लेकिन एक स्त्री को पढ़ाओगे, तो पूरा परिवार शिक्षित होगा ‘ यह वाक्य हमने बहुत बार सुना, पढ़ा होगा, पर मुझे लगता है कि आज के समय इस वाक्य को विस्तार देते हुए यह कहना उचित होगा कि यदि एक स्त्री को शिक्षित किया जाये तो पूरा समाज शिक्षित होता है, एक पूरा देश आगे बढ़ता और मजबूत बनता है। आज देश को आगे बढ़ाने में आधी आबादी की धाक स्पष्ट सुनाई पड़ती है फिर चाहे वह देश की सीमाओं पर पहरा देने की बात हो या देश की आर्थिक नीतियों, ज्ञान-विज्ञान का क्षेत्र क्यों न हो।
किसी भी देश में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी उस देश के विकास का सूचक है, जिस विकास को हम उसकी नींव शिक्षा के स्तर पर देखें तो आज उच्चतम शिक्षा में महिलाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है। हाल ही में देश के प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालय डीयू में 910 पीएचडी में से 512 महिलाओं को प्राप्त हुईं। यह आंकड़ा शिक्षा में एक बहुत बड़े और सकारात्मक परिवर्तन की ओर ले जाता हुआ मालूम होता है। इन शिक्षा संस्थानों में एक विधार्थी से लेकर इसके संचालन कुलपति के रूप में जैसी हर भूमिका में महिलाओं ने अपनी काबीलियत को साबित किया है, इसी का परिणाम है कि क्यूएस रैंकिंग में दुनिया के श्रेष्ठ पांच विश्वविद्यालयों में से चार में कुलपति या अध्यक्ष के रूप में महिलाएं कार्यभार संभालने जा रही हैं।
शिक्षा के अलावा अगर हम राजनीति की बात करें तो देश निर्माण और उसे व्यवस्थित रूप से चलाने की ज़िम्मेदारी भी महिलाओं ने बखूबी निभाई है। आज हमारे देश के सर्वश्रेष्ठ पद और देश की पहली नागरिक के रूप में भी हमारा नेतृत्व करने वालीं राष्ट्रपति एक महिला ही हैं। जिन्होंने अपने देश के लिए सच्ची कर्तव्यनिष्ठा दिखा कर इस पद को हासिल किया। वह उन सभी लोगों के लिए आज प्रेरणास्रोत हैं जो एक छोटी सी जगह से आने के बावजूद जीवन में सादगी और सच्चाई के दम पर आगे पहुंचते हैं।
देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और उसे मजबूती प्रदान करने में भी महिलाओं की भागीदारी अग्रणी है। आज कई बड़ी-बड़ी कंपनियों में उच्च पदों को महिलाएं संभाल रही हैं। ऐसे कई उदाहरण हमारे आस-पास मिल जाते हैं, जहां महिलाओं ने अपनी कड़ी मेहनत और मजबूत इरादे के साथ एक कंपनी की शुरुआत की और आज वह कंपनी दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है। महिलाओं का यह सशक्त नेतृत्व हमें खेल के मैदानों में भी नज़र आता है। अंतरराष्ट्रीय खेलों में चाहे कॉमनवेल्थ हो या ओलंपिक, महिलाओं ने हर जगह अपना परचम लहराते हुए देश का गौरव बढ़ाया है। अपने हुनर से चमकते हुए आज महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि उनकी कलाइयां केवल बेलन को घुमाने के लिए ही समझी जाती थी, आज वह उन सभी बनी बनाई धारणाओं को नकारते हुए उन्हीं कलाइयों से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर माइक पकड़े देश का नेतृत्व करती हैं।
हर कार्य क्षेत्र में महिलाओं की पहुंच उन सभी लोगों को मुंहतोड़ जवाब है जो उनकी शक्ति और उनकी काबीलियत पर सवाल उठाते हैं। आज अपने क्षेत्र में एक सफल महिला अपने समाज और देश के हर नागरिक चाहे महिला हो या पुरुष उसे आगे बढ़ने की हिम्मत और विश्वास दिलाती है। यह विश्वास एक अच्छे और सुनहरे भविष्य की ओर संकेत है जहां महिलाओं का उचित सम्मान और बराबरी होगी । अब एक स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची के सपनों को यह कहकर नहीं तोड़ा जाएगा की वह सपना तुम्हारे लिए नहीं है क्योंकि अब हर क्षेत्र में एक महिला उस बच्ची के सपनों की डोर को थामे खड़ी है जो उसके भीतर उमंग आशा का संचार हर कठिन मोड़ पर कर रही है और यही महिला सशक्तिकरण की नई उड़ान और पहचान है।
देश एक सकारात्मक तथा परिवर्तनकारी दौर में है, आज महिलाएं हर क्षेत्र में बेहतर कर रही हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सकल नामांकन दर के नए लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है, निश्चित ही ये लक्ष्य महिलाओं के लिए शिक्षा तक पहुंच के द्वार को खोलने वाले हैं। राजनीति, व्यापार, सेना, शिक्षा हर क्षेत्र में महिलाओं का नेतृत्व पूरी गुणवत्ता के साथ नए सकारात्मक परिवर्तन की नींव रख रहा है। महिला दिवस निश्चित ही इन परिवर्तनों को रेखांकित करने वाला है, जिससे महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियां समाज जीवन में प्रेरणा का प्रकाश पुंज बन सकें।
(लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं)
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