दुख और अभाव के घने बादलों से टकराकर जो प्रकाश पुंज आता है, उसमें आशा की किरण होती है। जीवन जीने की जिजीविषा और सफल होने की प्रेरणा होती है। दिल्ली की मोहनजीत कौर ऐसे ही प्रकाश पुंज की छत्रछाया में पली और बढ़ी हैं। माता-पिता से जो प्रेरणा मिली, उससे वह महिलाओं के जीवन को प्रकाशित कर रही है।
मोहनजीत कौर के माता-पिता ने विभाजन का दंश झेला। बंटवारा हुआ तो लायलपुर (अब पाकिस्तान में) से सबकुछ छोड़ कर दिल्ली आए। दिल्ली के हालात उस समय बहुत खराब थे। मोहनजीत कौर बताती हैं कि मेरे माता-पिता ने अत्यंत श्रम किया। फुटपाथ पर काम किया, तांगा तक चलाया। इसके बावजूद मुझे और मेरे दो भाइयों को उच्च शिक्षा दिलाई।
मोहनजीत कौर की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से ही हुई। दिल्ली के सरकारी स्कूल में 12वीं तक की शिक्षा हुई। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के माता सुंदरी कॉलेज से कॉमर्स में 1988 में स्नातक किया। वर्ष 1989 में सरदार अवतार सिंह जी से विवाह हुआ। अवतार सिंह बचपन से ही स्वयंसेवक थे और समाज, धर्म और देश सेवा के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। इससे उन्हें भी विभिन्न संगठनों में जैसे कि विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय सिख संगत, बीजेपी आदि में कार्य करने का अवसर मिला। समाज के लिए कार्य करने का अवसर मिला।
वर्ष 2000 में मोहनजीत कौर ने कुरियर का अपना व्यवसाय कश्मीरी गेट आटोमोटिव मार्केट में शुरू किया। इसके साथ ही वहां पर काम करने वाले श्रमिकों खासकर महिला श्रमिकों के लिए कार्य करना शुरू किया। महिला श्रमिकों की सुविधाओं को लेकर वहां की एसोसिएशन से मिलना, उनके लिए काम का अच्छा वातावरण रहे इसकी चिंता करना। समय पर उनके स्वास्थ्य को लेकर स्वास्थ्य शिविर लगाना। सेवा बस्ती की बच्चियों की पढ़ाई एवं उनके विवाह की व्यवस्था करना आदि इस तरह की गतिविधियां लगातार कर रही हैं।
सरकार गरीब लोगों के हित के लिए कई योजनाएं चला रही है। प्रचार-प्रसार के बावजूद कई लोगों तक इन योजनाओं की जानकारी नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में केंद्र सरकार की योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने का भी काम मोहनजीत कौर करती हैं। उज्ज्वला योजना, जन धन योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, श्रमिकों का श्रम कार्ड योजना को लेकर किए गए उनके कार्यों को देखते हुए अमृतसर, गोवा, पटना, दिल्ली में विभिन्न संस्थानों से सम्मानित हुईं हैं। उन्हें आधी आबादी पुरस्कार भी मिला है।
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