कट्टर इस्लामी तालिबान से उलट लड़कियों की पढ़ाई के प्रति संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई की इस्लामी सरकार कितनी गंभीर है इसका खुलासा उसके ताजा फरमान से होता है। खाड़ी देश की सरकार ने आदेश जारी किया है कि अब वह उन पाकिस्तानी नागरिकों को वीसा नहीं देगी जो अपनी बेटियों को तालीम नहीं लेने देंगे। पाकिस्तान के कट्टरपंथी नागरिकों को यूएई का यह फरमान अटपटा और असहज लग सकता है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के नागरिक बड़ी संख्या में कारोबारी जरूरतों या नौकरी के लिए यूएई जाते हैं।
पाई पाई को मोहताज हो चले पड़ोसी इस्लामी देश को संयुक्त अरब अमीरात ने एक प्रकार से झकझोर दिया है। इतना ही नहीं, जिन पाकिस्तानी नागरिकों के पास यूएई का वीसा पहले से है और वे अपने बच्चों, जिनमें बेटियों की संख्या ज्यादा है, को तालीम से दूर रख रहे हैं, उनके वीसा को भी अब सरकार ‘रीन्यू’ नहीं करेगी। यूएई सरकार की तरफ से जारी फरमान में साफ कहा गया है कि वह अपने तमाम कानूनों को पूरी सख्ती से लागू करेगी।
राजदूत अतीक ने यूएई में रह रहे पाकिस्तानियों से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों की तालीम सुनिश्चित करें तथा उनके हकों की रक्षा करें। एक अनुमान के अनुसार, यूएई में डेढ़ करोड़ से ज्यादा पाकिस्तानी रहते हैं।
इस बाबत यूएई के कराची स्थित राजदूत अतीक अल रमेथी ने पाकिस्तान के जिओ न्यूज चैनल को बताया कि बाल अधिकारों को लेकर 2016 में बने यूएई के संघीय कानून वीसा जारी करने में अब सख्ती से लागू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वीसा के संबंध में अब ढिलाई नहीं बरती जाएगी। 2016 के कानून के संदर्भ में राजदूत अतीक का कहना है कि यूएई का ये कानून बच्चों की तालीम के हक से जुड़ा है।
यूएई के राजदूत का कहना है कि पाकिस्तान में बहुत से लोग हैं जो अपने बच्चों को स्कूल कालेज नहीं जाने देते, उन्हें घर में बैठाए रखते हैं। इसे ही देखते हुए उनके देश ने यह कड़ा फैसला लिया है। इस संबंध में काफी विचार विमर्श किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें शक नहीं रहना चाहिए कि इस कानून को कड़ाई से लागू किया जाएगा।
खाड़ी के इस देश में बेशक बच्चों की शिक्षा पर बहुत जोर दिया जाता है। यही वजह है कि वहां की सरकार भी शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार की चिंता करती है। वह जानती है कि पाकिस्तान में कठमुल्लापन इतना ज्यादा है कि लोग अपने बच्चों को तालीम तक नहीं दिलाते। ऐसे बहुत से लोग यूएई कई वजहों से आते—जाते रहते हैं। वे जानते हैं कि पाकिस्तानी बच्चों की पढ़ाई से जुड़े कानूनों का पालन नहीं कर रहे। यह कानून यानी वदीमा कानून फिलहाल पाकिस्तानियों के लिए है जिनके पास यूएई का ‘वर्क’ या ‘रेसिडेंस वीसा’ है।
राजदूत अतीक ने यूएई में रह रहे पाकिस्तानियों से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों की तालीम सुनिश्चित करें तथा उनके हकों की रक्षा करें। एक अनुमान के अनुसार, यूएई में डेढ़ करोड़ से ज्यादा पाकिस्तानी रहते हैं।
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