जनसंख्या असंतुलन के बारूद के ढेर पर देवभूमि, उत्तराखंड में साकार हो रही गजवा ए हिंद की साजिश ?
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जनसंख्या असंतुलन के बारूद के ढेर पर देवभूमि, उत्तराखंड में साकार हो रही गजवा ए हिंद की साजिश ?

कहते हैं कि मुस्लिम समुदाय जमीयत संस्थाओं के निर्देश पर एक अभियान के तहत अपनी आबादी बढ़ाने में लगा हुआ है। यूपी, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, असम, बंगाल आदि राज्यों में इस तरह की साजिश हो रही है।

by दिनेश मानसेरा
Mar 1, 2023, 12:46 pm IST
in उत्तराखंड
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही मुस्लिम आबादी कहीं गजवा ए हिंद का षड्यंत्र तो नहीं है? ये बात पहली नजर में कोरी कल्पना हो सकती है, लेकिन जैसे ही आपकी नजर दूसरी ओर जाएगी तो ये साजिश सामने होती दिखाई देगी। “गजवा ए हिंद” के गजवा-ए-हिंद’ का संधि विच्छेद करके इसका अर्थ समझें तो युद्ध को गजवा कहा जाता है। काफिरों को युद्ध में हराने की प्रक्रिया को ‘गाज़ी’ कहा जाता है। यहां हिंद का मतलब हिन्दुस्तान यानी भारत है। इसलिए जब कोई मुस्लिम देश या संगठन हिंदुस्तान में इस्लाम को स्थापित करने का अभियान चलाते तो उसे गजवा-ए-हिंद कहा जाता है।

भारत में यूपी, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, असम, बंगाल आदि राज्यों में इसी तरह की साजिश हो रही है। कहा जाता है यहां मुस्लिम समुदाय जमीयत संस्थाओं के दिशा निर्देश पर एक अभियान के तहत अपनी आबादी का विस्तार करने में लगा हुआ है। पिछले साल यूपी, उत्तराखंड एटीएस द्वारा गजवा ए हिंद से जुड़े सात आतंकियों को गिरफ्तार किया था।

देश में उत्तराखंड में असम के बाद सबसे तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। उत्तराखंड में हर 10 साल में दो फीसदी मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। देखने में ये बहुत थोड़ी लगती है, लेकिन इसको दूसरी नजर से देखेंगे तो उत्तराखंड में ये आबादी 16 प्रतिशत तक हो गयी है और अब ये भी समझें कि चार मैदानी जिलों, उधमसिंह नगर, नैनीताल, हरिद्वार और देहरादून में ये आबादी 35 फीसदी तक पहुंच गई है। ऐसे जानकारी में आया है कि यूपी से लगे उत्तराखंड के इन चारों जिलों में तबलीगी जमात मरकज का अभियान अपनी पूरी तेजी पर है, जिसकी वजह से देवभूमि में जनसंख्या असंतुलन का खतरा साफ दिखाई देने लगा है। कथित रूप से कहा जा रहा है कि गजवा ए हिंद की योजना है कि यूपी के मैदानी इलाकों से जुड़े इस क्षेत्र और सीमावर्ती राज्यों में अपनी आबादी के जरिए अपनी गतिविधियों को विस्तार देना है। एक जानकारी के मुताबिक गजवा ए हिंद के जरिए जमीयत संस्थाओं ने कुछ अपने लक्ष्य निर्धारित किए हैं।

उत्तराखंड में मजार जिहाद का षड्यंत्र
देवभूमि राज्य में वन भूमि और सरकारी भूमि पर मजारें स्थापित करना, हाल ही में एक सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड के वन क्षेत्र में पिछले 10-15 साल में 1300 से ज्यादा अवैध मजारें बना दी गई हैं। इसके अलावा रेलवे, पीडब्ल्यूडी और राजस्व की भूमि पर भी सैकड़ों की संख्या में मजारें हैं। देहरादून में ही विनोबा भावे ट्रस्ट की भूदान जमीन पर, गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन पर, नदियों किनारे हजारों की संख्या में मुस्लिम आबादी सोची समझी रणनीति के साथ बस रही है। गौर करें उत्तराखंड के हर कैंट एरिया शहर में एक मजार बनी हुई है। इसके अलावा हर बैराज पुल, रेलवे स्टेशन और अन्य संवेदनशील स्थान पर मजार बनी हुई है। यही नहीं मुस्लिम समुदाय ने टिहरी झील के आसपास तक मस्जिद मजार बना दी थी। जब ये मजारें बन रही थीं तब किसी ने इस पर गौर नहीं किया होगा, किंतु अब ये ऐसा लगता है कि ये कहीं “गजवा ए हिंद” की योजना का हिस्सा तो नहीं?

हाईवे और सड़कों पर कब्जा
उत्तराखंड में जितने भी हाईवे हैं या प्रमुख सड़कें हैं। इन पर सहारनपुर, मुजफ्फरनगर जिले से आए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अवैध कब्जा किए हुए हैं। हाल ही में आसन बैराज के पास, पछुवा देहरादून में उत्तराखंड जल विद्युत परियोजना कार्यालय से 900 से ज्यादा अवैध कब्जेदारों को नोटिस दिए गए हैं, जिनमें 714 मुस्लिम परिवार हैं। ये सभी मुस्लिम लोग यूपी के सहारनपुर जिले से यहां आकर बस गए। पछुवा देहरादून में 170 मस्जिदें, 107 मजारें चिन्हित की गई हैं।

गौर करने की बात है कि तख्त डालकर नारियल बेचने वाले मुस्लिमों ने एक योजना बद्ध तरीके से मुख्य सड़क और अस्पताल जैसी संवेदनशील स्थानों के बाहर काबिज हैं और इन्हें तख्त के पीछे झोपड़ी डालकर बैठाया गया है। रोड पर नगर प्रशासन जहां पार्किंग की पट्टी लगाती है और फुटपाथ पर मुस्लिम लोग फल-सब्जी आदि के ठेले लगाकर बैठ चुके हैं, जबकि पालिका निगम का ये नियम या प्रावधान है कि ये ठेले पहिए के द्वारा चलायमान रहेंगे, कहीं काबिज नहीं होंगे, किंतु इन्होंने सड़कों को कब्जा लिया है।

कारोबार पर कब्जा
गजवा ए हिंद ने जमीयत के जरिए होने वाली जमातों में आने वाले मुस्लिम युवाओं को इस बात के लिए प्रेरित किया जाता है कि वो लोहे, प्लास्टिक, मशीन, मोबाइल, बारबर, जहाज और डॉक्टरी के कारोबार करें। गौर कीजिए लोहे का कारोबार कभी हिंदू वंचित किया करते थे। अब सब काम मुस्लिम कर रहे हैं। मशीन रखने और चलाने में मिस्त्री कारीगरों की एक लंबी लिस्ट है, जिस पर ये मुस्लिम काबिज हो चुके हैं। प्लास्टिक कबाड़ को री-साइकिल करने में ये समुदाय हावी है। अब और महत्वपूर्ण बात कि हर शहर के प्राइम लोकेशन पर मुस्लिम महंगे किराए देकर मोबाइल रिपेयरिंग की दुकानें खोल चुके हैं, जहां से लव जिहाद के मामले शुरू होते हैं।

लव जिहाद का अभियान
उत्तराखंड में मुस्लिम युवाओं को हिंदू और ईसाई लड़की के साथ लव जिहाद के जरिए मतांतरण करवाकर निकाह करने का फरमान मिला हुआ है। 10-15 साल में मैदानी ही नहीं, पहाड़ी जिलों से भी लव जिहाद के मामले सामने आए हैं। नाम बदलकर गरीब परिवारों की लड़कियों को बरगला कर भगा ले जाने के मुकदमे पुलिस में दर्ज हुए हैं।

गजवा ए हिंद के और भी हैं लक्ष्य
उत्तराखंड में मुस्लिम समुदाय को जमीयत के जरिए ये निर्देश हैं कि हर साल प्रत्येक बालिग मुस्लिम व्यक्ति 5 हजार रुपए जकात, प्रत्येक व्यक्ति को जमात, हर घर से एक मौलवी, प्रत्येक लड़की को इस्लामिक शिक्षा, दाउते इस्लाम (अपने घर लाकर रोजाना दो हिंदुओं को दावत, दावत में मांस परोसना), मुस्लिम युवकों का गैरों से निकाह, हर जुमे की नमाज और नमाज के दौरान हाजिरी रजिस्टर भरने जैसे लक्ष्य दिए गए हैं।

उत्तराखंड है यूपी सूबे के अधीन
जानकारी के मुताबिक गजवा ए हिंद में उत्तराखंड अभी यूपी सूबे के साथ है, जिसका मुख्यालय लखनऊ में है। यूपी सूबे में नौ हल्के हैं, मेरठ हल्के में सहारनपुर, देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, जिला है। हल्के के नीचे मरकज थिया तहसील है। हर तहसील की मस्जिदों में जो हाजिरी रजिस्टर रखे हुए हैं उनकी रिपोर्ट कंप्यूटर डाटा के जरिए सूबे तक जाती है। इन्हीं रिपोर्ट्स के आधार पर अगले लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। गौर करें कि किस माइक्रो लेबल पर योजना बद्ध तरीके से उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी के पांव पसारने का षड्यंत्र चल रहा है।

गजवा ए हिंद की गतिविधियों की पुष्टि
पिछले साल 10 अक्टूबर को यूपी और उत्तराखंड एटीएस ने गजवा ए हिंद से जुड़े सात आतंकियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से दो उत्तराखंड से पकड़े गए थे। एटीएस ने सहारनपुर से लुकमान, आलिम, हरिद्वार से अली नूर, मुद्दसिर, देवबंद से कामिल, शामली से शहजाद और झारखंड से नवाजिश को पकड़ कर पूछताछ की थी और उत्तराखंड पुलिस प्रशासन से सूचनाएं साझा की थी, जिसमें ये बात सामने आई थी कि इन आरोपियों ने उत्तराखंड में गजवा ए हिंद के लिए युवाओं को बरगलाने का काम किया था।

क्या कहते हैं उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार
एटीएस ने जब गजवा ए हिंद से जुड़े दो आतंकियों को उत्तराखंड से गिरफ्तार किया था उनसे महत्वपूर्ण सूचनाएं मिली थीं, जिस पर हमारी टीम काम कर रही है। हम बराबर संदिग्ध लोगों पर नजर रख रहे हैं।

क्या कर रही है उत्तराखंड सरकार
उत्तराखंड में बीजेपी की धामी सरकार है, संभवतः सीएम पुष्कर धामी ने अपनी सरकार के एजेंडे में समान नागरिक संहिता, सशक्त भू कानून और जनसंख्या असंतुलन जैसे विषयों पर विशेषज्ञों के साथ राय मशविरा शुरू किया है। मजार जिहाद पर सर्वे करवाकर उन्होंने अवैध मजारों को हटाने के लिए भी अपने अधिकारियों को निर्देशित किया है।

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