झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक बार फिर से विवादित बयान देकर घिरते नजर आ रहे हैं। रामगढ़ उपचुनाव के प्रचार के दौरान एक जनसभा में उन्होंने कहा कि बैंकों का कोई भरोसा नहीं है, लोगों को अपना पैसा जमीन में गाड़ कर रखना चाहिए।
केंद्र सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर कुछ नेता ऐसी हरकतें कर रहे हैं, जो न भारत के लिए ठीक है और न भारतीयों के लिए। इनमें से एक नेता हैं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन। गत दिनों उन्होंने एक तरह से लोगों को भड़काते हुए कहा कि अगर अपना पैसा बैंक में जमा करेंगे तो बैंक उन पैसों को डूबा देगा। पुराने जमाने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनके बुजुर्ग अपने घरों में पैसा जमीन में गाड़ कर रखते थे, लेकिन बैंक में नहीं देते थे। अभी एक बार फिर से वही दिन आ गया है, क्योंकि लोगों का पैसा बैंकों के हाथों में सुरक्षित नहीं है।
हेमंत के इस बयान पर गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा है कि भारत पूरी दुनिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सम्मान पा रहा है। देश का पैसा सुरक्षित भी है और विकास के लिए लग रहा है। उन्होंने हेमंत सोरेन के एक-एक आरोप का जवाब देते हुए एक पत्र भी ट्वीट किया है जिसमें उनके आरोप का भी उल्लेख है। निशिकांत दुबे ने सोरेन पर हमला बोलते हुए कहा कि एक संवैधानिक पद पर होते हुए हेमंत सोरेन जनता से इस तरह के गलत कदम उठाने के लिए कह रहे हैं। ये हेमंत सोरेन के डर को दिखाता है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा है कि मोदी सरकार ने गरीब, पिछड़े और जनजातियों का वित्तीय व्यवस्था में समावेश किया है। उनके बैंक खाते खुलवाकर उन्हें साहूकारों से मुक्ति दिलाई। निशिकांत दुबे ने यह भी कहा कि अकेले झारखंड में ही 97 लाख से अधिक मुद्रा लोन और 1 करोड़ 62 लाख से अधिक जन धन योजना के लाभार्थी हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि पहले मनरेगा के पैसे ठेकेदार और सरकारी तंत्र के लोग खा जाते थे। अब डीबीटी से पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंच रहा है। उन्होंने हेमंत सोरेन से पूछा कि अगर जनता बैंकों में पैसे नहीं डालेगी तो क्या जनता भ्रष्टाचार को गले लगा ले?
जन सामान्य का भी मानना है कि जहां भारत की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में मजबूत दिखाई देने लगी है। डिजिटल पेमेंट के माध्यम से भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होती जा रही है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह बयान कहीं से भी उचित नहीं लगता। लोग यह भी कह रहे हैं कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक संबोधन में बताया था कि कैसे पूरे देशभर के छोटे—छोटे दुकानदार, रिक्शावाले और ढोल—नगाड़े बजाने वाले भी डिजिटल पेमेंट का उपयोग करते हुए अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने पहले भी कई बार बताया है कि भारत के करोड़ों गरीब लोगों के पास बैंक में खाता तक नहीं होता था। इस कारण उन लोगों तक जो सुविधाएं पहुंचनी चाहिए थीं, वह नहीं पहुंच पाती थीं। देश की जनता ने यह भी देखा है कि कोरोना के दौरान जन—धन खातों के कारण आम लोगों तक सरकारी मदद सीधे पहुंची है।
आप लोगों को यह भी याद होगा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक बार कहा था कि केंद्र से 1 रुपया निकलता है तो लोगों के पास मात्र 15 पैसा जा पाता है। अब वैसी स्थिति नहीं है। यह सब बैकिंग व्यवस्था के कारण संभव हुआ है। इसलिए हेमंत सोरेन के बयान को लोग ठीक नहीं मान रहे हैं।
टिप्पणियाँ