कट्टर सुन्नी मुल्क पाकिस्तान में ‘ट्रांसजेंडर’ कट्टरपंथियों के निशाने पर बने हुए हैं। कई मौकों पर ऐसे लोगों को नफरत और हिंसा का शिकार होना पड़ा है। पुलिस भी मजहबी उन्मादियों की धमक के आगे खामोश रहने को मजबूर रहती है। सरकार ऐसे मामलों पर टालमटोली का रुख अपनाती है। इसलिए मजहब के उन्माद तले वहां ट्रांसजेंडर खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं। लेकिन इन हालात में भी मारविया नाम की देश की पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर किसी तरह काम करती आ रही थी। लेकिन अब उस पर हुआ जानलेवा हमला शायद उसे घर के अंदर ही रहने को मजबूर कर दे।
मारविया पर उस वक्त हमला हुआ जब वह लाहौर में अपने घर लौट रही थी। अचानक दो हमलावरों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गोलियों की बौछार के बीच किसी तरह मारविया बचती—बचाती घर के अंदर जा पहुंची इसलिए उसकी जान बच गई, लेकिन दिमाग पर गहरा सदमा पहुंचा है। न्यूज एंकर मारविया को पिछले कुछ दिनों से फोन पर धमकियां दी जा रही थीं। उसे डरावने मैसेज किए जा रहे थे।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख, ईसाई तो मजहबी कट्टरपंथियों की हिंसा के निशाने पर हैं ही, वहां का एलजीबीटी समुदाय तथा ट्रांसजेंडर भी हिंसा के शिकार बनाए जा रहे हैं। कंगाली की हालत से गुजरते पाकिस्तान में कट्टरपंथी तत्व अपनी हिंसात्मक गतिविधियों से बाज नहीं आ रहे हैं। इन हालात में भी एक और अल्पसंख्यक समुदायों की बच्चियों को बलात्कार और कन्वर्जन का शिकार बनाया जा रहा है वहीं ट्रांसजेंडर समुदाय भी इनकी नफरत के निशाने पर बना हुआ है।
डॉन के अनुसार, मारविया ट्रांसजेंडर समुदाय के पक्ष में आवाज उठाती आ रही है। इसके लिए उसे कई बार फोन पर धमकियां दी जा चुकी हैं। इसी वजह से वह लाहौर छोड़कर इस्लामाबाद और मुल्तान में जा बसी थी। लेकिन किसी इलाज के लिए वह कुछ ही दिन हुए लाहौर में अपने घर लौटी थी। यहीं उस पर हमला किया गया।
पड़ोसी देश के सुप्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार द डॉन की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में मारविया पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर हैं। सुर्खियां बटोरने के लिए उन्मादियों ने उसे ही शिकार बनाया है। हालांकि जैसा पहले बताया, मारविया मलिक 23 फरवरी की रात हुए इस हमले में बाल-बाल बची है।
रिपोर्ट के अनुसार, हमले के वक्त मारविया मलिक पास की एक दवा की दुकान से लौट रही थी, तभी दो बंदूकधारियों ने उस पर गोलियां चलाईं। डॉन के अनुसार, मारविया ट्रांसजेंडर समुदाय के पक्ष में आवाज उठाती आ रही है। इसके लिए उसे कई बार फोन पर धमकियां दी जा चुकी हैं। इसी वजह से वह लाहौर छोड़कर इस्लामाबाद और मुल्तान में जा बसी थी। लेकिन किसी इलाज के लिए वह कुछ ही दिन हुए लाहौर में अपने घर लौटी थी। यहीं उस पर हमला किया गया। स्थानीय पुलिस इस मामले की जांच तो कर रही है लेकिन इसमें कुछ ठोस निकलकर आएगा इसकी उम्मीद कम ही है।
अभी हाल ही में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के दमन को लेकर एक रिपोर्ट आई थी जिसने पाकिस्तान को फिर से कठघरे में खड़ा किया था। यह रिपोर्ट ‘जस्ट अर्थ न्यूज’ में प्रकाशित हुई थी और इसमें बताया गया था कि पाकिस्तान में हिंदुओं के विरुद्ध इधर अपराध एकाएक बढ़े हैं। हिन्दू लड़कियों से बलात्कार पर भी चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट बताती है कि हिंदू लड़कियों के अपहरण, बलात्कार तथा उनसे जबरदस्ती निकाह के हर साल लगभग एक हजार मामले देखने में आ रहे हैं।
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