विदेशी मेहमानों की बानगी से समझा जा सकता है कि मोदी-योगी सरकार के सम्मिलित प्रयासों से न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी उत्तर प्रदेश की छवि काफी बदली है और निवेश का अभूतपूर्व माहौल बना है।
उत्तर प्रदेश अपनी ‘बीमारू राज्य’ की छवि को पीछे छोड़ बहुत आगे निकल चुका है। राज्य में पहली बार 2018 में निवेशक सम्मेलन का आयोजन हुआ था, तब से लेकर अब तक राज्य में अभूतपूर्व निवेश आया है। इस बार 10-12 फरवरी तक लखनऊ में वैश्विक निवेशक सम्मेलन (ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट) का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। 10,000 लोगों की उपस्थिति वाले इस सम्मेलन में 19,058 एमओयू के साथ लगभग 34 लाख करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की गई, जो ऐतिहासिक है। इस निवेश से 95 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है।
40 देश, 34 लाख करोड़ का निवेश
वैश्विक निवेशक सम्मेलन की सफलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि सबसे पहले 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया था, जिसे बढ़ाकर 17 लाख करोड़ और फिर 21 लाख करोड़ रुपये किया गया। सम्मेलन से ठीक एक दिन पहले राज्य सरकार ने 27 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की जानकारी दी, जो बाद में बढ़कर 34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस सम्मेलन में टाटा, बिरला, अंबानी सहित देश के नामचीन उद्योगपतियों के साथ 10 देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड, सिंगापुर, मॉरीशस, डेनमार्क, आस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और इटली को साझेदार देश का दर्जा दिया गया। इसमें सिंगापुर पहला साझीदार देश था।
सम्मेलन में लगभग 40 देशों के उद्योगपति आए थे। निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए राज्य के 16 मंत्रियों और 36 वरिष्ठ अधिकारियों ने 20 देशों के 21 शहरों में रोड शो किया था। देश के 10 महानगरों में भी रोड शो किए गए थे। इसके अलावा, प्रदेश के सभी 75 जिलों के जिलाधिकारियों को निवेश का लक्ष्य देने के साथ निवेशक सम्मेलन आयोजित करने के निर्देश दिए गए थे। इन प्रयासों का लाभ मिला और विभिन्न देशों के साथ 7.12 लाख करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए।
विदेशी निवेशकों से अपार समर्थन
तीन दिवसीय वैश्विक निवेशक सम्मेलन में 34 सत्र थे। इनमें अनेक सत्र विदेशी निवेशकों के सत्र थे। एक सत्र में ब्रिटेन के डिफेंस प्रोक्योरमेंट मंत्री एलेक्स चॉक ने जब कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन से बड़ी हो चुकी है, तब वहां उपस्थित भारतीयों के चेहरे पर गौरव और आत्मविश्वास की चमक साफ दिखाई दे रही थी। एलेक्स ने यह कह कर भी लोगों को चौंकाया कि उनके लिए लखनऊ घर आने जैसा है। दरअसल, एलेक्स 24 साल पहले लखनऊ के बख्शी का तालाब क्षेत्र के एक विद्यालय में शिक्षक थे। पुराने साथियों से भावपूर्ण मुलाकात का वीडियो भी दिखाया। उन्होंने कहा कि पहले भारत के लोग मुझसे कहते थे परदेसी-परदेसी जाना नहीं। अब मेरा मानना है कि यूके-यूपी का साथ और सबका विकास। उत्तर प्रदेश के रक्षा गलियारे में अपार संभावनाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि ब्रिटेन इस बार भारत को आधुनिक युद्धक विमान का इंजन बनाने का ऐतिहासिक उपहार दे रहा है। यह पहला अवसर है, जब ब्रिटेन किसी को यह तकनीक देगा। इसके बाद भारत दुनिया के उन 6 देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास यह तकनीक है। भारत बिना रोक-टोक अपनी शर्तों पर युद्धक विमान बनाकर निर्यात कर सकेगा।
एक अन्य सत्र में भारत में सिंगापुर के राजदूत साइमन वोंग बड़ी मासूमियत और उत्साह से उत्तर प्रदेश का बखान कर रहे थे, तो वहां मौजूद लोग रोमांचित हो रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जैसे ही पता लगा कि उत्तर प्रदेश सरकार ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ करने वाली है, मैं तुरंत मंत्री ए.के. शर्मा के पास पहुंचा। उन्होंने मुझे मुख्यमंत्री योगी से मिलवाया। योगी ने आश्चर्य से पूछा कि आप इस आयोजन के बारे में जानते हैं! मैंने कहा, आप अनुमति दें तो सिंगापुर उत्तर प्रदेश का पहला साझीदार देश बनना चाहता है।’’ साइमन अपने साथ सिंगापुर की 70 कंपनियों को लाए थे, जिन्होंने लगभग 25,000 करोड़ रुपये के 20 समझौते किए। ऐसा ही उत्साह और रोमांच डेनमार्क, इटली और ब्रिटेन के राजनयिकों में भी था। भारत में डेनमार्क के राजदूत फ्रेड्डी स्वाने प्रदेश में कारोबारी संभावनाओं को लेकर बहुत आशान्वित और उत्साहित दिखे। उन्होंने दर्शकों की काफी तालियां बटोरीं। दर्शकों का उत्साह देखकर सिंचाई मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने मंच से चुटकी ली, ‘‘फ्रेड्डी यहां काफी लोकप्रिय लग रहे हैं। यदि वे सहमति दें तो भाजपा उन्हें अपने टिकट पर चुनाव लड़वा सकती है।’’
5 साल में प्रदेश ने बनाई नई पहचान: मोदी
वैश्विक निवेशक सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े देशों से भी अधिक सामर्थ्य अकेले उत्तर प्रदेश में है। एक तरफ डबल इंजन सरकार का इरादा है और दूसरी तरफ संभावनाओं से भरा उत्तर प्रदेश। इससे बेहतर साझीदारी हो ही नहीं सकती। भारत अगर आज दुनिया के लिए गंतव्य है तो उत्तर प्रदेश भारत के विकास को गति देने में अहम नेतृत्व दे रहा है। आज जो समय है, इसको हमें गंवाना नहीं चाहिए। भारत के उज्जवल भविष्य में दुनिया के उज्जवल भविष्य की गारंटी है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की धरती अपने सांस्कृतिक वैभव, गौरवशाली इतिहास और समृद्ध विरासत के लिए जानी जाती है। इतना सामर्थ्य होने के बावजूद यूपी के साथ कुछ बातें जुड़ गई थीं। लोग कहते थे कि यूपी में विकास होना मुश्किल है। यहां कानून व्यवस्था सुधरना नामुमकिन है। उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य कहलाता था। यहां आए दिन हजारों करोड़ के घोटाले होते थे। हर कोई यूपी से अपनी उम्मीदें छोड़ चुका था। लेकिन सिर्फ पांच-छह साल के भीतर यूपी ने अपनी एक नई पहचान स्थापित कर ली है। अब यूपी बेहतर कानून व्यवस्था, शांति और स्थिरता के लिए जाना जाता है। यहां वेल्थ क्रिएटर्स के लिए नित नए अवसर बन रहे हैं। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ट्रांसफॉरमेशन के लिए एक नई सप्लाई और वैल्यू चेन विकसित कर रहे हैं। नई वैल्यू और सप्लाई चेन विकसित करने के लिए यूपी आज एक नया चैंपियन बनकर उभर रहा है। यहां एमएसएमई का सशक्त नेटवर्क, भदोही के कालीन और बनारसी सिल्क है। भदोही कार्पेट क्लस्टर और वाराणसी सिल्क क्लस्टर भी है और उसकी वजह से यूपी भारत का टेक्सटाइल हब है। आज भारत के कुल मोबाइल उत्पादन का 60 प्रतिशत से भी ज्यादा उत्तर प्रदेश में होता है। मोबाइल कम्पोनेंट का सबसे ज्यादा उत्पादन भी यूपी में ही होता है।
रिलायंस समूह ने राज्य में निवेश का वादा किया था। बीते 5 वर्ष में रिलायंस समूह ने 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है और आने वाले समय में वह 75 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा। इससे लगभग एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। सम्मेलन में मुकेश अंबानी ने कहा कि रिलायंस प्रदेश में 10 गीगावाट क्षमता वाली अक्षय ऊर्जा इकाई लगाएगी, जो प्रदेश की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा परियोजना होगी। राज्य के गांवों और छोटे शहरों में किफायती शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए दो पायलट परियोजनाएं जियो-स्कूल और जियो-एआई-डॉक्टर भी शुरू की जाएंगी। साथ ही, 2023 के अंत तक प्रदेश के सभी शहरों में 5जी नेटवर्क की पहुंच होगी। हम सब साथ मिलकर भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य को भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक में बदल देंगे।
2017 में शुरू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति ने राज्य में 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है। निवेशकों की आवश्यकताओं को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2020 में संशोधन किया गया है। बीते 6 साल में प्रदेश में प्रदेश का चौतरफा विकास हुआ है, चाहे सड़क संपर्क हो या नागरिक उड्डयन। राज्य में जहां मात्र दो हवाई अड्डे थे, वहां आज 9 हवाई अड्डे क्रियाशील हैं। इसके अलावा, 10 नए हवाई अड्डे निर्माणाधीन हैं और 2 हवाई अड्डों के लिए जमीन देखने का काम शुरू हो गया है। यानी आने वाले समय में उत्तर प्रदेश 21 हवाई अड्डे होंगे।
गंगा और उसकी सहायक नदी वरुणा की सफाई के लिए डेनमार्क ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ 1,000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत डेनमार्क सरकार वाराणसी में गंगा की सफाई के लिए ‘स्मार्ट रिवर लेबोरेटरी’ बनाएगी। इसी तरह यूएई के लुलु समूह के साथ 3300 करोड़ रुपये का अनुबंध हुआ है, जिसके तहत समूह अयोध्या, वाराणसी और नोएडा सहित अन्य स्थानों पर मॉल खोलेगा। वहीं, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में एलाना समूह ने भी निवेश की घोषणा की है। लुलु मॉल के साथ स्वयं सहायता समूहों के लिए भी एक समझौता हुआ है, जिससे महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों को मॉल में बेचा जा सके। इसी तरह, जापान का प्रसिद्ध होटल समूह होटल मैनेजमेंट इंटरनेशनल कम्पनी लिमिटेड (एचएमआई) प्रदेश में 30 नए होटल बनाएगा। ये होटल आगरा, वाराणसी और अयोध्या जैसे प्रमुख स्थानों पर बनाए जाएंगे। इससे 10 हजार से अधिक लोगों को नौकरी मिलेगी। इसके लिए समूह ने प्रदेश सरकार के साथ 7200 करोड़ रुपये का करार किया है। समूह के निदेशक टाकामोटो योकोयामा ने कहा कि प्रदेश की औद्योगिक नीति प्रोत्साहित करने वाली हैं।
— लखनऊ ब्यूरो
विदेशी मेहमानों की बानगी से समझा जा सकता है कि मोदी-योगी सरकार के सम्मिलित प्रयासों से न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी उत्तर प्रदेश की छवि काफी बदली है और निवेश का अभूतपूर्व माहौल बना है।
विपक्ष को करारा जवाब
हमेशा की तरह विपक्षी दलों ने इस निवेशक सम्मेलन में निवेश के आंकड़ों पर सवाल उठाया है। लेकिन सच्चाई को समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा। इस निवेश यात्रा की शुरुआत 2018 में हुई थी। 16 फरवरी, 2018 को प्रदेश सरकार ने 4.28 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इसके पांच दिन बाद जब निवेशक सम्मेलन का उद्घाटन हुआ, तब बजट जितनी राशि यानी 4.28 लाख करोड़ रुपये के 1045 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। उस समय भी विपक्षी दलों ने निवेश के आंकड़ों पर अविश्वास जताया था। लेकिन निवेशक सम्मेलन के 6 महीने बाद अगस्त में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 61,500 करोड़ रुपये की 81 परियोजनाओं और 28 जुलाई, 2019 में 290 कंपनियों की 67,000 करोड़ों रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास किया। 3 जून, 2022 को तीसरे शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिकॉर्ड 80,000 करोड़ रुपये की 1406 परियोजनाओं का भूमिपूजन किया। इस तरह, राज्य सरकार ने योजनाओं को मूर्त रूप देकर विपक्षी दलों को यह संदेश दिया कि निवेशक सम्मेलन में घोषित योजनाएं छलावा नहीं, बल्कि सच्चाई के धरातल पर मौजूद हैं।
केंद्र-राज्य सरकार के सम्मिलित प्रयासों से मिली यह सफलता कितनी बड़ी है, इसकी तुलना पूर्ववर्ती सरकारों को मिले परिणामों से करके इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। योगी आदित्यनाथ की सरकार से पहले सपा सरकार ने भी प्रदेश में निवेश के लिए नामचीन उद्योगपतियों का मेला लगाया था। दिल्ली में 12 जून, 2014 को 23 कंपनियों ने 54,606 करोड़ रुपये के 20 एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे, जबकि मुंबई में 10 सितंबर, 2015 को 33,000 करोड़ रुपये के निवेश अनुबंध और मई 2016 में दुबई में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा हुई थी। लेकिन इन घोषणाओं के वास्तविक निवेश की जानकारी कभी सामने नहीं आई।
दूसरी ओर, योगी आदित्यनाथ की सरकार ने निवेशक सम्मेलन के बाद शिलान्यास सम्मेलन का आयोजन कर नई परंपरा की शुरुआत की। सच तो यह है कि सपा सरकार के पूरे कार्यकाल की तुलना में योगी सरकार को पहले ही निवेशक सम्मेलन में ने केवल कई गुना अधिक निवेश मिला, बल्कि उसमें से 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं धरातल पर भी उतर चुकी हैं। दरअसल, सरकार के साथ किए जाने वाले एमओयू एक तरह से निवेश की सहमति या समझौता ज्ञापन होते हैं, जो बाध्यकारी नहीं होते। यह निवेशकों के वादे को नहीं, बल्कि आशाओं को स्पष्ट करते हैं। अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक, यदि ऐसे 10-15 प्रतिशत एमओयू भी साकार हो जाएं तो उन्हें सफल माना जाता है। राज्य सरकार के वर्तमान प्रदर्शन को देखकर लगता है कि वह इससे कहीं अधिक सफल साबित होगी।
लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम
राज्य सरकार ने अगले 5 साल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक खरब डॉलर (लगभग 80 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। निवेश महाकुंभों के जरिये सरकार इस लक्ष्य को साधने में जुटी है। वित्त वर्ष 2022-23 के अनुमान के अनुसार, प्रदेश की वर्तमान अर्थव्यवस्था 21.64 लाख करोड़ रुपये की है। 2016-17 में पहली बार योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली भाजपा सरकार जब सत्ता में आई थी, तब सूबे की अर्थव्यव्था 12.47 लाख करोड़ रुपये की थी। यानी बीते 5 साल के दौरान अर्थव्यवस्था में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस हिसाब से अगले 5 वर्ष में अर्थव्यवस्था बिना किसी विशेष प्रयास के लगभग 25 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी। नए लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लगभग 55 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
भारत को एक खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 55 साल लगे थे। लेकिन महज 5 वर्ष में ही देश की जीडीपी में केंद्र की राजग सरकार ने एक खरब डॉलर से अधिक जोड़े हैं। प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्य के अनुरूप यदि भारत को 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो पहले उत्तर प्रदेश को एक खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना ही होगा। हालांकि लक्ष्य कठिन है, लेकिन असंभव भी नहीं है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन इस लक्ष्य का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। साथ ही, राज्य की 24 करोड़ की आबादी का सहयोग भी जरूरी है। इसके लिए सरकार को अमीर-गरीब सब की सहभागिता और उसका लाभ सुनिश्चित करना होगा।
(लेखक ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी जीएसटी काउंसिल उत्तर प्रदेश के सदस्य हैं)
टिप्पणियाँ