350 साल पुराने ऐतिहासिक सप्तकोटेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यक्रम में शामिल हुए, उस समय उनके चेहरे पर एक अलग आभा देखने को मिल रही थी।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत गत दिनों 350 साल पुराने ऐतिहासिक सप्तकोटेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यक्रम में शामिल हुए, उस समय उनके चेहरे पर एक अलग आभा देखने को मिल रही थी। पारंपरिक परिधान पहने श्री सावंत गर्वीले भाव के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम को संपन्न कर रहे थे।
सिर पर सुशोभित फेटा पहने, उन्होंने बलपूर्वक कहा ‘‘गोवा में हम सब जानते हैं कि हिन्दू धर्म की रक्षा करने में सबसे बड़ा योगदान अगर किसी का रहा है तो छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज का रहा है।’’ उनका यह वक्तव्य बता रहा था कि गोवा सरकार विदेशी आततायियों द्वारा ध्वंस-नष्ट किए गए धार्मिक स्थानों को संवारने, उनका परिमार्जन करने के लिए प्राण-पण से जुटी है।
श्री सावंत ने कहा कि मंदिर का उद्घाटन करना गर्व की बात है। तीन शताब्दी पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने पुर्तगालियों द्वारा नष्ट किए गए सप्तकोटेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। उसी मंदिर का फिर से जीर्णोद्धार किया गया है। यह हमारे लिए गर्व की बात है।
उन्होंने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य प्रशासन प्रधानमंत्री के निरंतर सहयोग के साथ इस अमृत काल में गोवा राज्य में पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थलों को बढ़ावा देने और विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार पर गोवा सरकार को बधाई दी और कहा कि इससे युवाओं का आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़ाव मजबूत होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
बता दें कि भाजपा सरकार ने साल 2019 में इसके जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू की थी। ऐसे में अब श्री सप्तकोटेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार से पुर्तगालियों के साढ़े चार सौ साल के शासन के दौरान नष्ट किए गए अन्य ऐतिहासिक स्थानों के जीर्णोद्धार के बारे में भी उम्मीदें जगी हैं।
मंदिरों को संवारने में जुटी सरकार
गोवा सरकार राज्य के ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए सर्वे करा रही है। इसमें उन मंदिरों-धार्मिक स्थलों को चिन्हित किया गया है, जिनको पुर्तगालियों ने नष्ट कर दिया या क्षति पहुंचाई थी।
उल्लेखनीय है कि सप्तकोटेश्वर मंदिर पणजी से 35 किलोमीटर दूर उत्तर गोवा जिले के नरवे गांव में स्थित है। पुरातत्व राज्य मंत्री सुभाष फलदेसाई कहते हैं कि उनका विभाग गोवा में पुर्तगालियों द्वारा नष्ट-क्षति पहुंचाए गए मंदिरों के बारे में जानकारियां इकट्ठी करने में जुटा है। तमाम पुरातात्विक स्थानों का सर्वे चल रहा है। जैसे ही उनकी पुष्टि होती है वे उनका जीर्णोद्धार या पुनर्निर्माण कराएंगे। उल्लेखनीय है कि गोवा सरकार ने 2022 में पुर्तगालियों द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिरों को संवारने के लिए 20 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया था।
कदंब वंश ने कराया था निर्माण
श्री सप्तकोटेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। आदिनाथ 12वीं शताब्दी के आसपास कदंब वंश के राजाओं के पूजित देवता थे। इतिहास की दृष्टि से देखें तो 1352 में बहमनी सुल्तान अलाउद्दीन हसन गंगू ने कदंब राज्य पर आक्रमण किया था। लगभग 14 वर्ष तक यह राज्य आक्रांता के कब्जे में रहा। इस अवधि में कई मंदिर-धार्मिक स्थलों को क्षति पहुंचाई गई।
यहां तक कि सप्तकोटेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर भी अराजक तत्वों की कुदृष्टि गयी। लेकिन 1367 में विजयनगर के राजा हरिहरराय की सेना ने बहमनी सुल्तान की सेना को हराकर सप्तकोटेश्वर मंदिर सहित अधिकांश धार्मिक स्थलों को गौरव वापस लौटाया। साक्ष्यों के अनुसार 14वीं शताब्दी के अंत तक माधव मंत्री ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। लेकिन एक फिर इस मंदिर पर आतताइयों की कुदृष्टि पड़ गई। पुर्तगालियों ने अनेक मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था, जिसमें श्री सप्तकोटेश्वर मंदिर भी था। बाद में 1668 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसका जीर्णोद्धार कराया था।
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