नैनीताल जिले का “कैंची धाम” उत्तराखंड का नया तीर्थ डेस्टिनेशन बन चुका है। बाबा नीब करौरी महाराज के सोशल मीडिया पर प्रचार के कारण दो-तीन साल में यहां श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हो चुकी है। एप्पल बाबा के नाम से युवा वर्ग में यहां बाबा नीब करौरी के प्रति आस्था का ज्वार देखा जा रहा है।
एप्पल और फेसबुक के संस्थापकों का अपने जवानी के दौर में यहां आकर बाबा का आशीर्वाद लेने के किस्से बाबा के प्रति आस्था का प्रचार पूरी दुनिया में हुआ है। इस बात का जिक्र उन्होंने अपनी बायोग्राफी में किया है। बाबा के भक्तों ने यूएसए में भी इसी तरह का धाम बनाया हुआ है। किंतु माना ये जाता है कि बाबा के भक्तों को एक बार कैंची धाम की यात्रा जरूर करनी होती है। भारत में भी बाबा को मानने वाले लाखों लोग हैं।
कैंची धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से यहां रोजगार के साधन तो बढ़े ही हैं क्षेत्रीय व्यापार में भी भारी इजाफा हुआ है। इस भीड़ को कैंची मंदिर ट्रस्ट द्वारा संभालना मुश्किल हो रहा है। देश के सबसे बड़े सरकारी हुक्मरान इस ट्रस्ट के कर्ताधर्ता हैं। उन्हें शायद महाराज के देशभर में फैले भक्तों की बढ़ती संख्या की जानकारी नहीं है। इसलिए मंदिर परिसर में भक्तों कि सुविधाओं को बढ़ाया नहीं जा रहा है। मंदिर का आश्रम परिसर तो सामान्य भक्तों के लिए पहले ही बंद किया जा चुका है। भीड़ के कारण हर वर्ष 15 जून को यहां होने वाला भंडारा भी पहले ही बंद हो चुका है। अब भण्डारे की जगह केवल माल पुए का प्रसाद का वितरण होता है।
हर सप्ताहांत में यहां भक्तों की भयंकर भीड़ उमड़ रही है, जिसकी वजह से अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राज मार्ग पर जाम लग रहा है। इन दिनों हजार से अधिक गाड़ियां और 20-25 हजार श्रद्धालु यहां प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। हर वक्त सैकड़ों वाहन खड़े रहते हैं इस कारण इस रास्ते की पूरी यातायात व्यवस्था चरमरा गयी है।
कैंची धाम में रोज एक से दो घंटे का जाम लग रहा है। वहां दुर्घटनाएं और यात्रियों की अराजकता भी लगातार बढ़ती जा रहा है। भक्तों का आना लगातार बढ़ता ही रहेगा। बड़ी पार्किंग बनाए जाने के साथ-साथ अल्मोडा राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा कैंची मंदिर के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाया जाना ही इसका समाधान है। प्रशासन ने पार्किंग की डीपीआर तो बना ली है, जिसकी सरकार से मंजूरी मिलना अभी बाकी है।
नैनीताल पुलिस ने यहां भवाली थाने के अंतर्गत एक पुलिस चौकी भी बना दी है, ताकि यहां यातायात व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था बनाई जा सके। फिलहाल यहां राज्य सरकार के पर्यटन और तीर्थाटन विभाग को और अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
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