माटी का मोल
May 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

माटी का मोल

गढ़मुक्तेश्वर के पास ढाना देवली स्थित ‘माटी कला केंद्र’ के परिसर में आधुनिक मशीनों के माध्यम से मिट्टी के 30 से अधिक प्रकार के बर्तन बनाए जा रहे हैं। इससे जहां लगभग 500 परिवारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है, वहीं पर्यावरण की रक्षा भी हो रही

by अरुण कुमार सिंह
Feb 17, 2023, 07:41 am IST
in भारत, उत्तर प्रदेश, संस्कृति
माटी कला केंद्र में तैयार कुल्हड़ सहेजती हुईं महिलाएं

माटी कला केंद्र में तैयार कुल्हड़ सहेजती हुईं महिलाएं

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हापुड़ जिले की गढ़मुक्तेश्वर तहसील के विकास खंड बक्सर के ग्राम ढाना देवली में स्थापित है। ढाई बीघा जमीन पर इस केंद्र की स्थापना मेरठ के ‘दिशा सेवा संस्थान’ द्वारा की गई है। इस समय इस केंद्र से प्रत्यक्ष रूप से 300 और अप्रत्यक्ष रूप से 500 लोगों को रोजगार मिल रहा है।

आज पर्यावरण भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या है। प्लास्टिक की वस्तुएं पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रही हैं। यदि लोगों को प्लास्टिक का सुगम और सस्ता विकल्प मिल जाए तो वे इसे छोड़ सकते हैं। कुछ ऐसा ही अनुभव इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में देखने को मिल रहा है। चाहे चाय दुकानदार हों, ढाबा चलाने वाले हों या फिर बागवानी में लगे लोग, इनमें से अधिकतर लोग मिट्टी के बर्तनों का उपयोग कर रहे हैं। ये सभी माटी कला केंद्र में बनने वाले मिट्टी के बर्तन खरीद रहे हैं।

यह केंद्र हापुड़ जिले की गढ़मुक्तेश्वर तहसील के विकास खंड बक्सर के ग्राम ढाना देवली में स्थापित है। ढाई बीघा जमीन पर इस केंद्र की स्थापना मेरठ के ‘दिशा सेवा संस्थान’ द्वारा की गई है। इस समय इस केंद्र से प्रत्यक्ष रूप से 300 और अप्रत्यक्ष रूप से 500 लोगों को रोजगार मिल रहा है। ये सभी आसपास स्थित नौ गांवों के निवासी हैं। इनमें से अधिकतर लोग केंद्र में आकर काम करते हैं, बाकी कुछ लोग अपने घर पर उत्पाद तैयार कर केंद्र को दे जाते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि माटी के बर्तन तैयार करने में हर वर्ग के लोग शामिल हैं। वैसे परंपरागत रूप से यह कार्य कुम्हार जाति के लोग करते आ रहे हैं, लेकिन केंद्र ने इस कार्य के लिए सबके द्वार खोल रखे हैं। जो भी इस कार्य से जुड़ना चाहता है, जुड़ सकता है।

केंद्र में प्रशिक्षण लेते स्थानीय लोग

माटी कला केंद्र का प्रमुख उद्देश्य है स्थानीय संसाधनों से स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना। इस समय इस केंद्र में चार प्रकार के दीये, चार प्रकार के गुल्लक, पांच प्रकार के कुल्हड़, चार तरह की कटोरियां, तीन प्रकार के गमले, घड़े, कलश, पानी की बोतलें, हांडी, प्लेट जैसी वस्तुएं बन रही हैं। केंद्र में कुल्हड़ बनाने की 30 मशीनें हैं। एक मशीन से एक दिन में लगभग 7,000 कुल्हड़ तैयार होते हैं। वहीं दीये बनाने की 15 मशीनें हैं और एक मशीन पांच मिनट में लगभग 3,000 दीये बनाती है। बर्तन के लिए मिट्टी भी मशीन से ही तैयार की जाती है। लगभग 15 मिनट में इतनी गीली मिट्टी तैयार हो जाती है जो पूरे दिन के लिए काफी होती है। दिशा सेवा संस्थान के संस्थापक एवं मुख्य संचालक डॉ. अमित मोहन ने बताया, ‘‘आसपास में जितने नर्सरी वाले हैं, वे गमले खरीद लेते हैं। चाय वाले कुल्हड़ ले लेते हैं। होटल वाले प्लेट खरीदते हैं। मांग इतनी है कि हम लोग सामान की आपूर्ति नहीं कर पा रहे।’’ इसके साथ ही वे यह भी कहते हैं कि आने वाले समय में रेलवे को भी कुल्हड़ दिए जाएंगे, वहां से भी मांग आ रही है।

डॉ. अमित बताते हैं कि परंपरागत रूप से मिट्टी के बर्तन बनाने में लागत काफी अधिक आने लगी है और जो लोग इस काम में लगे हैं, वे अपने उत्पादों को उचित मूल्य पर बेच नहीं पा रहे हैं। इस कारण लोग इस काम को छोड़ रहे हैं, लेकिन मशीन के माध्यम से बर्तन बनाने से कम समय में अधिक उत्पादन होता है और इस तरह लागत भी कम हो जाती है। फिर निर्माण में लगे लोगों को बाजार की चिंता भी नहीं रहती।

उत्पाद बेचने का काम दिशा सेवा संस्थान ही करता है। इस केंद्र की स्थापना भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय की ‘स्फूर्ति योजना’ के अंतर्गत और कोहंड व उद्यमिता विकास संस्थान, अमदाबाद के सहयोग से की गई है। बता दें कि भारत सरकार परंपरागत उद्योगों को आधुनिक तरीके से पुनर्जीवित करना चाहती है, ताकि ग्राम्य कुटीर उद्योगों को मजबूती मिले और उनसे जुड़े कारीगरों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सुदृढ़ तथा समृद्ध बनाया जा सके।

अमित मोहन कहते हैं कि परंपरागत मिट्टी के कार्य करने वाले कारीगरों को ‘डिजिटल मार्केटिंग’ का प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि उन्हें अपने उत्पादों का समुचित पारिश्रमिक प्राप्त हो सके। डॉ. अमित के अनुसार, कारीगरों की सहायता के लिए ढाना देवली स्थित परिसर में एक जन सहायता केंद्र की स्थापना भी की जा रही है, जिससे कारीगरों को उनके उद्यम की आवश्यकता के सभी दस्तावेज तैयार हों और उससे संबंधित विभिन्न प्रशिक्षण दिया जा सके ।

यही कारण है कि केंद्र से जुड़े कारीगरों को सबसे पहले प्रशिक्षण दिया गया। इसके साथ ही उन्हें मशीन पर काम करने का अभ्यास कराया गया। इसका सुपरिणाम यह हुआ कि आज माटी कला केंद्र में एक दिन में लगभग 50,000 रु. का कच्चा सामान तैयार हो जाता है। डॉ. अमित ने बताया कि सरकार ने एक वर्ष में 1.75 करोड़ रु. मूल्य का सामान बनाने का लक्ष्य दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि अभी सभी कारीगर मशीन से काम करने में सहज नहीं हैं, इसलिए लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है, लेकिन उम्मीद है कि छह महीने के अंदर इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। केंद्र में बने सभी उत्पादों को जिस भट्ठी में पकाया जाता है, वह 21 लाख रु. की लागत से बनी है। इस भट्ठी की सबसे बड़ी विशेषता है कि डीजल से चलने के बावजूद यह प्रदूषण नहीं फैलाती।

केंद्र में मिट्टी की पिसाई करते कामगार

कारीगरों के कौशल को बढ़ाने के लिए समय-समय पर उन्हें खुर्जा व अन्य स्थानों पर ले जाया जाता है। इसके माध्यम से मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों को अपने कौशल को बढ़ाने के लिए आवश्यक जानकारियां तो मिल ही रही हैं, साथ ही मशीनों के उपयोग एवं उनसे सार्थक कार्य करने के तरीकों के बारे में भी अभिनव ज्ञान प्राप्त हो रहा है। अमित मोहन कहते हैं कि परंपरागत मिट्टी के कार्य करने वाले कारीगरों को ‘डिजिटल मार्केटिंग’ का प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि उन्हें अपने उत्पादों का समुचित पारिश्रमिक प्राप्त हो सके। डॉ. अमित के अनुसार, कारीगरों की सहायता के लिए ढाना देवली स्थित परिसर में एक जन सहायता केंद्र की स्थापना भी की जा रही है, जिससे कारीगरों को उनके उद्यम की आवश्यकता के सभी दस्तावेज तैयार हों और उससे संबंधित विभिन्न प्रशिक्षण दिया जा सके ।

माटी कला केंद्र के संरक्षक एवं भाग्योदय फाउंडेशन के अध्यक्ष आचार्य राममहेश मिश्र कहते हैं, ‘‘भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘स्फूर्ति योजना’ परंपरागत उत्पादों तथा जमीन से जुड़े उद्यमों को बढ़ावा देकर अपने देश के कारीगरों को सम्यक रोजगार देना चाहती है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि दिशा सेवा संस्थान के अथक प्रयासों से आरंभ हुआ माटी कला केंद्र देश की माटी, देश के गांवों तथा देश के खेतों से जुड़े ग्राम ‘देवताओं’ को उनका खोया हुआ सम्मान वापस दिलाने में महती भूमिका का निर्वहन कर सकेगा, ऐसी आशा की जाती है।

इससे पहले दिशा सेवा संस्थान ने हरियाणा, बिहार, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों के बहुसंख्य लोगों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सफलतापूर्वक कार्य किया है।

अब यह संस्थान हापुड़ जिले के असंगठित कामगारों के लिए वरदान साबित हो रहा है। माटी कला केंद्र में कार्य कर रहे लोग बहुत खुश हैं। उन्हें अपने घर के पास ही अच्छा रोजगार मिल गया है। यही तो ‘स्फूर्ति योजना’ का लक्ष्य है।

Topics: पर्यावरणPlastic ItemsEnvironmentSoil Art Centerमाटी का मोलEarthenwareIndiaप्लास्टिक की वस्तुएंMinistry of MicroGovernment of Indiaमाटी कला केंद्रSmall and Medium Enterprisesमिट्टी के बर्तनSphoorti Yojanaसूक्ष्म -लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालयDisha Seva Sansthanस्फूर्ति योजनाDigital Marketing'दिशा सेवा संस्थानभारतडिजिटल मार्केटिंग’भारत सरकारValue of Soil
Share36TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

India opposes IMF funding to pakistan

पाकिस्तान को IMF ने दिया 1 बिलियन डॉलर कर्ज, भारत ने किया विरोध, वोटिंग से क्यों बनाई दूरी?

प्रतीकात्मक तस्वीर

PIB fact check: पाकिस्तान का भारत के हिमालय क्षेत्र में 3 IAF जेट क्रैश होने का दावा फर्जी

India And Pakistan economic growth

भारत-पाकिस्तान: आर्थिक प्रगति और आतंकवाद के बीच का अंतर

Representational Image

IMF से पैसा लेकर आतंकवाद में लगा सकता है पाकिस्तान, भारत ने बैठक में जताई चिंता, रिकॉर्ड पर लिया बयान

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Operation Sindoor

सेना सीमा पर लड़ रही, आप घर में आराम चाहते हैं: जानिए किस पर भड़के चीफ जस्टिस

India opposes IMF funding to pakistan

पाकिस्तान को IMF ने दिया 1 बिलियन डॉलर कर्ज, भारत ने किया विरोध, वोटिंग से क्यों बनाई दूरी?

आलोक कुमार

‘सुरक्षा और विकास के लिए एकजुट हो हिन्दू समाज’

प्रतीकात्मक तस्वीर

PIB fact check: पाकिस्तान का भारत के हिमालय क्षेत्र में 3 IAF जेट क्रैश होने का दावा फर्जी

Gujarat Blackout

भारत-पाक के मध्य तनावपूर्ण स्थिति के बीच गुजरात के सीमावर्ती गांवों में ब्लैकआउट

S-400 difence System

पाकिस्तान का एस-400 को नष्ट करने का दावा फर्जी, जानें क्या है पूरा सच

India And Pakistan economic growth

भारत-पाकिस्तान: आर्थिक प्रगति और आतंकवाद के बीच का अंतर

कुसुम

सदैव बनी रहेगी कुसुम की ‘सुगंध’

#पाकिस्तान : अकड़ मांगे इलाज

प्रतीकात्मक तस्वीर

भारतीय वायुसेना की महिला पायलट के पाकिस्तान में पकड़े जाने की बात झूठी, PIB फैक्ट चेक में खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies