सिरोही (राजस्थान)। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को आबूरोड के ब्रह्माकुमारीज संस्थान और जल शक्ति मंत्रालय की साझेदारी में ‘जल जन अभियान’ के शुभारंभ समारोह में वीडियो संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक संस्थाओं की जल अभियान में बड़ी भूमिका है। बीते दशकों में हमारे यहां एक नकारात्मक सोच बन गई थी कि हम जल संरक्षण और पर्यावरण जैसे विषयों को मुश्किल मानकर छोड़ देते थे। यह सोचते थे कि यह काम नहीं किया जा सकता। बीते आठ साल में यह मानसिकता बदली है। ‘जल जन अभियान’ मिशन ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पानी की कमी को लेकर दुनिया भारत की ओर देख रही है। जल है तो कल है, इसके लिए हमें आज से ही सोचना है।
जल सुरक्षा भारत के लिए महत्वपूर्ण दायित्व
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में दुनिया इस बात की गंभीरता को समझ रही है कि हमारी धरती के पास जल संसाधन कितने सीमित हैं। इतनी बड़ी आबादी के कारण जल सुरक्षा भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण दायित्व है। भारत के ऋषियों ने हजारों वर्षों से प्रकृति से मिलने वाली चीजों के संरक्षण का संदेश दिया है। इसलिए हम जल को देव की संज्ञा देते हैं। नदियों को मां मानते आए हैं। हमारी संस्कृति प्रकृति और इंसान के बीच मानवीयता का रिश्ता जोड़ती है। अब केवल गंगा ही नहीं साफ हो रही है। सहायक नदियां भी स्वच्छ हो रही है। गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती जैसे अभियान भी शुरू हुए हैं। ‘नमामि गंगे’ अभियान देश के विभिन्न राज्यों के लिए मॉडल बनकर उभर रहा है।
गिरता भूजल स्तर पर चिंता का विषय
प्रधानमंत्री ने कहा कि गिरता भूजल स्तर पर चिंता का विषय है। इसलिए कैच द रेन मूवमेंट शुरू किया है। देश की हजारों ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना का काम किया जा रहा है। हमारे देश में जल जैसी जीवन की महत्वपूर्ण व्यवस्था महिलाओं के हाथ में रही है। जल जीवन मिशन में पानी समिति का नेतृत्व माताएं ही कर रही हैं।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भारत में आबादी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। हम मानसून के सिर्फ 40-42 दिन बारिश के पानी पर सारा साल निर्भर होते हैं। हमारे देश में हर साल 2000 बिलियन क्यूसेक (56 लाख करोड़) पानी बरसता है, लेकिन दो हजार बिलियन क्यूसेक पानी में से सिर्फ 300 बिलियन क्यूसेक (8.5 लाख करोड़) पानी ही रोक पा रहे हैं। हम धरती से पानी निकालने वाले सबसे बड़े देश हैं। हमारे बाद अमेरिका और चीन आता है, लेकिन हम उन दोनों देशों के कुल उपयोग के डेढ़ गुना ज्यादा दोहन कर रहे हैं। हमने अपनी धरती के मौजूद जल का बीस फीसदी हिस्सा निकाल लिया है, अब वहां पानी नहीं है। भारत में ज्यादातर वाटर रिर्सोसेस प्रदूषित हो रहे है।
इससे पहले अभिनेता नाना पाटेकर ने कहा कि हम समझ नहीं पा रहे हैं। हम पानी का उपयोग सही नहीं कर रहे हैं। हमारी समस्या है, बच्चे बड़े हो जाते हैं और शहर की ओर चले जाते हैं। गांव की ओर नहीं लौटते हैं। हमें नए तरीके से खेती करनी पड़ेगी और यह पलायन खत्म होना चाहिए। पाटेकर ने कहा कि देश में पानी की समस्या बहुत है। महाराष्ट्र में भी पानी की समस्या है लेकिन इन देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बढ़ती आबादी है।
संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय ने कहा कि ‘जल जन अभियान’ देशभर में अगले 8 माह तक इस वर्ष के आखिर तक चलाया जाएगा। इसमें संस्थान के सदस्य मेगा सिटी से लेकर गांव-गांव तक विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जल संरक्षण का संदेश देंगे। पर्यावरण विशेषज्ञ जल संरक्षण की तकनीक व विभिन्न उपायों से लोगों को मार्गदर्शन देंगे। अभियान में ऐतिहासिक महत्व के जलाशय, तालाब, कुंआ, बावड़ी आदि जलाशयों व जल स्रोतों का संरक्षण व जीर्णोद्धार किया जाएगा। इसमें जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जरूरी संसाधन और सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगी।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
टिप्पणियाँ