सपा नेता आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को एक मुकदमे में सुनवाई पूरी होने के बाद दो साल की सजा सुनाई गई। मुकदमे में दोषी पाए जाने के बाद अब्दुल्ला आज़म खान की विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है और इस तरह से स्वार विधानसभा सीट एक बार फिर रिक्त हो गई है। इसके पहले वर्ष 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुला आज़म खान को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया था।
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2008 में पूर्व मंत्री आजम खान मुजफ्फरनगर किसी कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। वाहन चेकिंग के लिए पुलिस ने आज़म खान की गाड़ी छजलैट थाने के सामने रुकवा ली थी। इसके बाद आज़म खान और अब्दुल्ला आज़म थाना छजलैट के सामने धरने पर बैठ गए थे। इस मामले में आरोप लगा कि आज़म खान, अब्दुल्ला आज़म एवं अन्य लोगों ने सड़क जाम किया और सरकारी कार्य मे बाधा उतपन्न किया था। इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने पर आज़म खान और अब्दुल्ला आज़म को दो-दो साल की सजा और तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। अन्य अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने बरी कर दिया।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले स्वार विधानसभा से विधायक अब्दुल्ला आज़म खान का निर्वाचन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 में रद्द कर दिया था। बसपा नेता नवाब काजिम अली ने अब्दुल्ला आज़म खान के निर्वाचन को वर्ष 2017 में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता नवाब काजिम अली ने आरोप लगाया था कि जिस समय अब्दुल्ला आज़म खान ने विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय वह 25 वर्ष के नहीं थे। गलत तरीके से दस्तावेज लगाकर उन्होंने स्वयं को 25 वर्ष का दर्शाया था जबकि उनकी उम्र उस समय 25 वर्ष से कम थी। इस चुनाव याचिका की सुनवाई लगभग दो वर्ष चली थी।
उल्लेखनीय है कि नामांकन दाखिल करते समय अब्दुला आज़म खान ने निर्वाचन कार्यालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया था, जिसके आधार पर उनकी आयु 25 वर्ष हो चुकी थी। समाजवादी पार्टी के टिकट पर रामपुर जनपद की स्वार विधानसभा से विधायक निर्वाचित हो जाने के बाद जब यह मामला कुछ लोगों की जानकारी में आया तो इसकी गहन छानबीन की गई। अब्दुला आज़म की हाईस्कूल की मार्कशीट से यह स्पष्ट हो गया कि जन्म तिथि को छिपा कर जल्दी से विधायक निर्वाचित हो जाने के लिए ऐसा किया गया था।
बता दें कि हाईस्कूल के सार्टिफिकेट में अब्दुल्ला आज़म खान की जन्म तिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज है। इस जन्म तिथि के मुताबिक़ निर्वाचन के समय, अब्दुल्ला की उम्र 24 वर्ष ही थी। इस लिहाज से वह चुनाव लड़ने की अर्हता नहीं पूरी कर रहे थे। अब्दुल्ला की माँ जो कि राज्यसभा सदस्य रही हैं, उनकी तरफ से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया गया था कि अब्दुला की जन्म तिथि 30 सितम्बर 1990 है। अब्दुला का जन्म लखनऊ के क्वींस मैरी अस्पताल में हुआ था। हाईस्कूल के सार्टिफिकेट में गलती से जन्म तिथि दर्ज हो गई थी, जिसे ठीक कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था मगर विभाग ने कहा कि प्रार्थना पत्र देने की अवधि समाप्त हो चुकी है। यह काल बाधित हो चुका है। हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म खान की तरफ से दिए गए तर्कों को खारिज कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि इसी मामले में रामपुर जनपद के भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने जनवरी माह में आजम खान, अब्दुल्ला आज़म खान और तन्जीन फातिमा के खिलाफ आई.पी. सी. की धारा 420, 467 एवं 468 के अंतर्गत एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी। आकाश सक्सेना ने आरोप लगाया था कि जौहर विश्वविद्यालय में अनैतिक लाभ देने के लिए दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए गए। फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए आज़म खान ने बनवाया था। दोनों जन्म प्रमाण पत्रों में जन्म स्थान अलग – अलग दर्शाया गया है। एक जन्म प्रमाण पत्र 28 जून 2012 को नगर पालिका परिषद रामपुर से बनवाया गया। इसमें जन्म स्थान रामपुर दर्शाया गया है, जबकि दूसरा जन्म प्रमाण पत्र 21 जनवरी 2015 को नगर निगम लखनऊ से बनवाया गया है। नगर निगम लखनऊ से जारी हुए जन्म प्रमाण पत्र में एक निजी अस्पताल का प्रमाण पत्र लगा हुआ है। पहला जन्म प्रमाण पत्र जो रामपुर नगर पालिका परिषद् से जारी किया गया है, उसी के आधार पर विधायक अब्दुल्ला आज़म खान ने अपना पासपोर्ट बनवाया है। किसी भी एक व्यक्ति का दो जन्म स्थान कैसे हो सकता है। जिस व्यक्ति का जन्म प्रमाण पत्र बनवाया गया है उसके पिता मंत्री रहे हैं और माँ प्रोफेसर रही हैं। ऐसे में यह तर्क भी नहीं दिया जा सकता कि भूलवश ऐसा हो गया।
टिप्पणियाँ