जानिए नटराज मंदिर का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

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WEB DESK and Masummba Chaurasia

देवों के देव महादेव, भगवान शिव के जितने नाम हैं, उतने ही स्वरूपों में उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस धरती पर उनके अलग-अलग स्वरूपों के खूबसूरत मंदिर भी हैं। ऐसा ही एक मंदिर विश्व विख्यात है, जो अपनी सुंदरता के साथ-साथ अपनी भव्यता के लिए भी जाना जाता है। यह मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित है, जो थिल्लई नटराज मंदिर के नाम से ख्याति प्राप्त किए हुए है। इस मंदिर में भगवान शिव के नटराज स्वरूप के दर्शन होते हैं। यह मंदिर दुनिया का चौथा सबसे बड़े मंदिर है।

नटराज की प्रतिमा का आकर्षित करने वाला है स्वरूप
नटराज मंदिर के साथ-साथ इसे चिदंबरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव के मंदिरों में यह मंदिर प्रमुख है। यहां बनी भगवान शिव के नटराज स्वरूप की प्रतिमा भक्तों का मन मोह लेती है, यह मूर्ति इतनी आकर्षित है, कि श्रद्धालु बस एक टक मन लगाकर शिव के इस स्वरूप को निहारते ही रह जाते हैं। यहां कि मान्यता है, भोलेनाथ ने अपने आनंद नृत्य की प्रस्तुति इसी स्थान पर की थी। भगवान शिव की प्रतिमा की खासियत ये है, कि यहां नटराज स्वरूप में विराजमान भोलेनाथ आभूषणों से सजे हुए हैं।

इस मंदिर में शिव और वैष्णव दोनों एक साथ हैं विराजमान
यह भव्य मंदिर 40 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर में बने स्तंभों और दीवारों पर भगवान शिव के अनोखे स्वरूप को दर्शाया गया है, वहीं हर ओर भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं भी उकेरी गईं हैं। मंदिर में नौ द्वारों का निर्माण किया गया है। इसी के साथ यहां गोविंदराज और पंदरीगावाल्ली का मंदिर भी बना हुआ है। यह मंदिर देश के उन मंदिरों की सूची में शामिल है, जहां भगवान शिव और वैष्णव दोनों देवता एक साथ एक ही स्थान पर हैं।

हैरान करने वाला है वैज्ञानिक शोध
वैज्ञानिक दृष्टि से बात करें, तो 8 सालों के शोध के बाद पश्चिमी वैज्ञानिकों का दावा है, कि इस मंदिर में जिस स्थान पर भगवान शिव ने नटराज स्वरूप में पैर रखा है। वह दुनिया के चुंबकीय भूमध्य रेखा का केंद्र बिंदु है। इसकी के साथ-साथ यह मंदिर 11 डिग्री अक्षांश पर स्थित है, जो पृथ्वी के चुंबकीय प्रभावों से खुद को फ्री करने के लिए एक आदर्श स्थान है।

नटराज मंदिर का महत्व
चिदंबरम मंदिर 5 तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले 5 मंदिरों में से एक है। इनमें से तमिलनाडु का चिदंबरम मंदिर आकाश यानि अंबर का प्रतिनिधित्व करता है, तो वहीं तमिलनाडु का श्रीकालाहस्ती मंदिर पवन यानि वायु को दर्शाता है, वहीं तमिलनाडु के कांची एकम्बरेश्वर मंदिर जो पृथ्वी यानि थल का प्रतिनिधित्व करता है। ये सभी 3 मंदिर 79 डिग्री 41 मिनट देशांतर पर एक सीधी लाइन में हने हुए हैं।

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