हीराबाई ने सिदी समुदाय के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए कई बालवाड़ियां स्थापित की हैं। इसके अलावा सिदी जनजाति की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए 2004 में उन्होंने ‘महिला विकास मंडल’ बनाया।
गुजरात में गिर सोमनाथ जिले की रहने वाली हीराबाई लोबी का जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा है। इसके बावजूद उन्होंने समाज के लिए कार्य किया और उसी कार्य ने उन्हें आज देशभर में चर्चा का विषय बना दिया है। जंबूर की मूल निवासी हीराबाई लोबी सिदी जनजातियों के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
हीराबाई ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। उन्हें उनकी दादी ने पाला-पोसा। हीराबाई अपने समाज की स्थिति से सदैव चिन्तित रहा करती थीं। उन्हें यह भी लगता था कि इसके लिए कोई बाहरी व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता है। इसलिए उन्होंने अपने को पहले इस योग्य बनाया कि वे समाज के लिए कुछ कर सकें। इसके बाद उन्होंने अपने समाज के लोगों के लिए कई कार्य शुरू किए। प्रारंभ में लोगों ने उनके कार्यों को कोई महत्व नहीं दिया, लेकिन जैसे ही उनके कार्यों की चर्चा होने लगी तो अन्य लोग भी उनके साथ जुड़ते गए।
हीराबाई ने सिदी समुदाय के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए कई बालवाड़ियां स्थापित की हैं। इसके अलावा सिदी जनजाति की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए 2004 में उन्होंने ‘महिला विकास मंडल’ बनाया है। इस मंडल से जुड़ीं जंबूर की अनेक महिलाओं ने किराने की दुकान और सिलाई-कढ़ाई का काम शुरू किया।
आज ये महिलाएं अपने परिवार का भरण-पोषण बहुत अच्छी तरह कर रही हैं। इनकी देखादेखी अन्य गांवों की महिलाएं भी स्वावलंबी बन रही हैं। इन कार्यों के लिए 2006 में हीराबाई को जमुना लाल बजाज पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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