रमेश पतंगे
किसी भी राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए उसके नागरिकों में आपसी भाईचारे का होना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्र निर्माता ही होता है। इस सम्मान को पाकर मैं गौरवान्वित हूं। -रमेश पतंगे
साप्ताहिक विवेक के संपादक और पाञ्चजन्य के लेखक रहे श्री पतंगे बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। उन्होंने संघ के विभिन्न दायित्यों का सफलता के साथ निर्वाह किया है।
राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए उसके नागरिकों में आपसी भाईचारे का होना बहुत ही आवश्यक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामाजिक समरसता जनांदोलन को आगे बढ़ाने में श्री पतंगे की लेखनी और जमीन से जुड़े कार्योंकी अग्रणी भूमिका रही है।
वे महाराष्ट्र ही नहीं, अपितु देश के प्रसिद्ध विचारकों एवं वक्ताओं में गिने जाते हैं। मराठी भाषा में उनकी ‘समरसता’,‘संघर्ष महामानवाचा’, ‘बहुस्पर्शी विवेकानंद’, ‘महामानव अब्राहम लिंकन’ सहित दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, उनकी सभी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी हो चुका है। उनकी बहुचर्चित पुस्तक ‘मैं, मनु और संघ’ का तो देश की 9 भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
श्री पतंगे अर्थशास्त्र में परास्नातक की उपाधि प्राप्त हैं। वे मानते हैं कि, किसी भी राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए उसके नागरिकों में आपसी भाईचारे का होना बहुत ही आवश्यक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामाजिक समरसता जनांदोलन को आगे बढ़ाने में श्री पतंगे की लेखनी और जमीन से जुड़े कार्योंकी अग्रणी भूमिका रही है।
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