‘अहमदिया महिलाओं पर हमले करो, उनके बच्चे मत पैदा होने दो’, यह सोच डराए हुए है पाकिस्तान के अहमदियाओं को

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WEB DESK

पाकिस्तान में कट्टर सुन्नियों को वहां के अल्पसंख्यक अहमदियाओं से कितनी नफरत है उसका एक और उदाहरण कराची में देखने में आया है। यहां सुन्नियों की भीड़ ने कल एक अहमदी समुदाय की एक प्राचीन मस्जिद पर हमला बोलकर उसकी मीनारों को तोड़ डाला। बताया जा रहा है कि यह उपद्रव कट्टर गुट टीएलपी के समर्थकों ने किया था।

हैरानी की बात है इन दिनों गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में मजहबी उन्माद अपना कुचक्र चलाए हुए है। कल हुई कराची की उक्त घटना के सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में मस्जिद के सामने लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है। कुछ मस्जिद की दीवारें फलांघते हुए उसकी छत पर चढ़कर मस्जिद की मीनारें तोड़ते देखते जा सकते हैं। अखबारों में आईं रिपोर्ट में उपद्रवियों को तहरीके लब्बैक पाकिस्तान से जुड़ा बताया जा रहा है।

वीडियो में कुछ लोग मस्जिद की दीवारें फलांघते हुए उसकी छत पर चढ़कर मस्जिद की मीनारें तोड़ते देखते जा सकते हैं।

कट्टर मजहबी पड़ोसी देश में आएदिन किसी न किसी अहमदिया को ‘ईशनिंदा का आरोपी’ ठहराकर प्रताड़ित किया जाता है। कितनों को तो इस ‘अपराध’ के लिए सजाए मौत दी जा चुकी है। कट्टर मजहबी गुट तहरीके लब्बैक तो विशेष रूप से अहमदियाओं को निशाने पर रखता आ रहा है।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान सुन्नी बहुल मुल्क है जहां एक अन्य मुस्लिम फिरके अहमदिया को मुसलमान ही नहीं माना जाता, उन्हें हिकारत से देखा जाता है। ये अहमदिया पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों में आते हैं, उन्हें वहां दूसरे दर्जे का माना जाता है। यही वजह है कि कट्टर मजहबी पड़ोसी देश में आएदिन किसी न किसी अहमदिया को ‘ईशनिंदा का आरोपी’ ठहराकर प्रताड़ित किया जाता है। कितनों को तो इस ‘अपराध’ के लिए सजाए मौत दी जा चुकी है। कट्टर मजहबी गुट तहरीके लब्बैक तो विशेष रूप से अहमदियाओं को निशाने पर रखता आ रहा है।

गत वर्ष तो इसी कट्टर तहरीके लब्बैक पाकिस्तान से जुड़े एक मौलवी ने खुलेआम अहमदिया समुदाय की गर्भवती महिलाओं पर हमला बोलने का आह्वान किया था। सुन्नी चाहते ही नहीं कि अहमदियाओं की नस्ल आगे बढ़े। उस उन्मादी मौलवी मोहम्मद नईम का वह नफरती वीडियो उस वक्त सोशल मीडिया पर खूब साझा किया गया था।

कराची की इस ताजा घटना से पाकिस्तान में बसा अहमदिया समुदाय सकते में है। इलाके के अहमदिया किसी अनहोनी की आशंका से घबराए हुए हैं। उन्हें डर है कि उनके समुदाय के विरुद्ध आगे कोई बड़ी हिंसक कार्रवाई हो सकती है। खौफ इसलिए भी ज्यादा है कि सुन्नी पुलिस उनकी मदद के लिए आगे नहीं आती।

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