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असम में बाल विवाह के खिलाफ बड़ा अभियान, चार हजार मामले दर्ज, 1800 गिरफ्तार

सबसे ज्यादा 136 गिरफ्तारियां मुस्लिम बहुल धुबरी जिले में हुई हैं, जहां बाल विवाह के 370 मामले दर्ज किए गए थे

by दिव्य कमल बोरदोलोई
Feb 3, 2023, 04:00 pm IST
in असम
बाल विवाह के आरोप में गिरफ्तार किए गए आरोपी

बाल विवाह के आरोप में गिरफ्तार किए गए आरोपी

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गुवाहाटी। असम में बाल विवाह के खिलाफ बड़ा अभियान चला है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के सख्त आदे के बाद पुलिस ने पूरे राज्य में बाल विवाह के खिलाफ शुक्रवार से अभियान शुरू किया है। मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने मीडिया को बताया कि करीब 1800 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये संख्या निश्चित रूप से बढ़ेगी क्योंकि राज्य भर में पुलिस का अभियान जारी है। मुख्यमंत्री सरमा ने गुवाहाटी में बताया कि बाल विवाह के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई अगले तीन से चार दिनों तक जारी रहेगी।

अब तक सबसे ज्यादा 136 गिरफ्तारियां मुस्लिम बहुल धुबरी जिले में हुई हैं, जहां बाल विवाह के 370 मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद बिश्वनाथ चराली में 131, बारपेटा में 110 और नागांव में 100, होजई में 92, कोकराझार में 89, बोंगाईगांव में 83, करीमगंज में 79, गोलपारा में 76, कछार में 71 और मोरीगांव जिले में 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

असम पुलिस ने बाल विवाह के 4,004 मामले दर्ज किए थे। ये सभी मामले एक पखवाड़े से भी कम समय में दर्ज किए गए थे, क्योंकि राज्य कैबिनेट ने 23 जनवरी को बाल विवाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया था। सीएम सरमा ने कहा कि कार्रवाई जारी रहेगी और गिरफ्तारियों की संख्या के बारे में शाम तक तस्वीर साफ हो जाएगी।

गौरतलब है कि 23 जनवरी को असम सरकार ने कैबिनेट के एक फैसले में पुलिस को राज्य भर में बाल विवाह के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। कैबिनेट के फैसले के अनुसार 14 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी करने वाले पुरुषों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। 14-18 साल की उम्र के बीच शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।

अपराधियों को कानून के प्रावधानों के अनुसार गिरफ्तार किया जाएगा और इन शादियों को अवैध घोषित किया जाएगा। अगर लड़का भी 14 साल से कम उम्र का है तो उसे बाल सुधार गृह भेजा जाएगा क्योंकि नाबालिगों को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता है। सीएम सरमा ने कैबिनेट के फैसले के बाद 23 जनवरी को एक प्रेस वार्ता में कहा था कि इस तरह के विवाह के संचालन में शामिल पुजारियों, काजियों और परिवार के सदस्यों पर भी मामला दर्ज किया जाएगा। गुरुवार को सीएम डॉ. सरमा ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी कि जिलेवार ब्रेकअप के साथ ही प्रदेश भर में बाल विवाह के 4004 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने ट्वीट किया, ”असम सरकार राज्य में बाल विवाह की बुराई को समाप्त करने के अपने संकल्प पर अडिग है। अब तक असम पुलिस ने राज्य भर में (बाल विवाह के) 4,004 मामले दर्ज किए हैं और आने वाले दिनों में और पुलिस कार्रवाई की संभावना है। मामलों पर कार्रवाई 3 फरवरी से शुरू होगी। मैं सभी से सहयोग करने का अनुरोध करता हूं।”

हाल ही में दर्ज किए गए बाल विवाह के 4,004 मामलों में से सबसे अधिक मुस्लिम बहुल जिलों धुबरी (370) और होजई (255), मोरीगांव (224) में दर्ज किए गए। उदलगुरी (235), और कोकराझार (204) जिलों में बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए, जिनमें मुस्लिम आबादी काफी अधिक है।

गुरुवार देर रात सीएम डॉ. शर्मा ने नवनियुक्त डीजीपी जीपी सिंह और शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ बाल विवाह के खिलाफ राज्यव्यापी पुलिस कार्रवाई पर पुलिस अधीक्षकों के साथ एक वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने लोगों से अपील की कि वे राज्य को बुरी प्रथा से छुटकारा दिलाने के लिए समर्थन और सहयोग दें। यह राज्य में एमएमआर के उच्च प्रतिशत के प्रमुख कारणों में से एक है। असम ने देश में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) का उच्चतम प्रतिशत दर्ज किया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, असम में शिशु मृत्यु दर की उच्च दर भी है और राज्य में औसतन 31 प्रतिशत विवाह निषिद्ध आयु में होते हैं।

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