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मदरसों पर लगेगी लगाम

असम में कई निजी मदरसों को आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाया गया है। इस कारण राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि निजी मदरसों को कम किया जाएगा और उनके पाठ्यक्रमों की भी निगरानी की जाएगी

by दिव्य कमल बोरदोलोई
Feb 2, 2023, 03:03 pm IST
in भारत, असम, विश्लेषण
जिहादी गतिविधियों में संलिप्त एक मदरसा, जिसे तोड़ दिया गया

जिहादी गतिविधियों में संलिप्त एक मदरसा, जिसे तोड़ दिया गया

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असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य सरकार निजी तौर पर संचालित मदरसों की संख्या को कम करने की योजना बना रही है। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम मदरसों को पंजीकृत कर उनमें सामान्य शिक्षा देना चाहते हैं

हाल ही में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य सरकार निजी तौर पर संचालित मदरसों की संख्या को कम करने की योजना बना रही है। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम मदरसों को पंजीकृत कर उनमें सामान्य शिक्षा देना चाहते हैं। इस मामले को लेकर सरकार मुसलमान समुदाय के साथ काम कर रही है और वे लोग सरकार की मदद भी कर रहे हैं।’’ इससे पहले असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भास्कर ज्योति महंत ने कहा था कि कट्टरवाद के खतरे को कम करने के लिए निजी तौर पर चलाए जा रहे सभी छोटे मदरसों को आस-पास के बड़े मदरसों में मिला दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि राज्य में ऐसे कई मदरसों के जिहादी गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद यह निर्णय आया है। राज्य में ऐसे सभी मदरसों की जानकारी प्राप्त करने के लिए असम पुलिस की मदद से शिक्षा विभाग द्वारा एक सर्वेक्षण किया जा रहा है। डीजीपी ने यह भी कहा है कि असम कट्टरवादियों के निशाने पर है। जिहादी गतिविधियां आमतौर पर छोटे मदरसों में की जाती हैं। डीजीपी महंत ने जानकारी दी कि राज्य पुलिस ने पिछले वर्ष 53 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। ये आतंकवादी अंसारुल बांग्ला टीम (एबीटी) और अलकायदा से जुड़े थे। इनमें से कई निजी मदरसों में शिक्षक थे।

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में कई आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है और कई कुख्यात आतंकवादियों को अदालत से फांसी की सजा मिली है। कहा जा रहा है कि इसके बाद ये आतंकवादी संगठन अपना आधार भारत में बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन समय पर कार्रवाई होने से इनकी मंशा पूरी नहीं हो पा रही। इन संगठनों का लक्ष्य है मुस्लिम युवाओं को कट्टरवादी बनाना। डीजीपी महंत ने बताया कि राज्य के मुस्लिम नेताओं ने इन गतिविधियों की जांच के लिए अधिकारियों से संपर्क किया। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों के साथ 68 मुस्लिम नेताओं की एक बैठक हुई। इसमें मदरसों में शैक्षिक सुधार लाने पर सहमति बनी। यह निर्णय लिया गया कि तीन किलोमीटर की परिधि में केवल एक ही मदरसा होगा। उन्होंने कहा कि तीन किलोमीटर की परिधि और 50 या उससे कम छात्रों वाले मदरसों को आसपास के बड़े मदरसों के साथ मिला दिया जाएगा।

इन मदरसों को अरबी पढ़ाने के अलावा, संशोधित पाठ्यक्रम कौशल विकास पर विशेष जोर देने के साथ आधुनिक शैक्षिक गतिविधियों का पालन करना होगा। उल्लेखनीय है कि राज्य में इस्लामी अध्ययन की चार धाराओं का पालन किया जाता है। इस संदर्भ में यह निर्णय लिया गया कि इन धाराओं के कुछ सदस्यों को मिलाकर एक बोर्ड बनाया जाएगा और इसके माध्यम से मदरसों की शिक्षा प्रणालियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। सभी मदरसों की विस्तृत जानकारी ली जा रही है। इसमें जमीन का ब्योरा, शिक्षकों की संख्या, छात्र और पाठ्यक्रम शामिल हैं। इन मदरसों के सभी शिक्षकों को पुलिस सत्यापन से गुजरना होगा और मजहबी नेता राज्य के बाहर से आने वाले शिक्षकों पर भी नजर रखेंगे।

डीजीपी महंत ने कहा, ‘‘पुलिस अधीक्षकों को विशेष रूप से अल्पसंख्यक बहुल निचले असम के जिलों और बराक घाटी के तीन जिलों में कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।’’ इस निगरानी का ही परिणाम है कि 53 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार करने के अलावा, ऐसे तीन मदरसों को ध्वस्त किया गया है, जो जिहादी गतिविधियों में लिप्त पाए गए थे।

उल्लेखनीय है कि राज्य में करीब 2,500 निजी मदरसे संचालित हैं। इनमें से अधिकांश मदरसों में छात्रों की संख्या बहुत ही कम है। असम सरकार पहले ही लगभग 400 सरकारी मदरसों को नियमित विद्यालयों में बदल चुकी है। इस फैसले को इस्लामिक संगठनों ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन अदालत ने असम सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया।

असम सरकार के अधिकारियों ने राज्य के मुस्लिम प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।

जिहाद और मदरसे
मध्य असम में मोरीगांव जिले के मोइराबारी इलाके का एक मुफ्ती मुस्तफा आतंकवादी संगठन अंसारुल बांग्ला टीम के साथ वित्तीय लेनदेन में शामिल था। असम पुलिस के खुफिया विभाग को जब इसकी पुख्ता जानकारी मिली तो उसका भंडाफोड़ किया गया।

पता चला है कि अंसारुल बांग्ला टीम की आर्थिक मदद से मुस्तफा चर इलाके में नदी के किनारे एक मदरसा चला रहा था, जहां 43 छात्र इस्लामी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। यह मदरसा उन बांग्लादेशी आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना था, जो राज्य में जिहाद फैलाने के लिए आए थे। अंसारुल बांग्ला टीम के शीर्ष आतंकवादियों में से एक आलमगीर मोइराबारी के एक मदरसे में रह रहा था और एक स्थानीय मस्जिद के इमाम के रूप में काम कर रहा था।

मोरीगांव पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि इन जिहादियों द्वारा संचार उद्देश्यों के लिए ‘डार्कनेट’ का भी इस्तेमाल किया जा रहा था, ताकि सुरक्षा एजेंसियां उन तक न पहुंच सकें। पुलिस जांच में यह भी पता चला कि गिरफ्तार मुस्तफा का असम और पश्चिम बंगाल के अनेक जिहादियों से संपर्क था। वह बांग्लादेश स्थित कई आतंकवादियों से भी जुड़ा था। यह भी पता चला है कि बांग्लादेश में रहने वाले आतंकवादी जाकिर महती और महबूबुर ने नियमित रूप से मुस्तफा के खाते में पैसे भेजे थे। मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी कहा है कि अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का आधार बनाने के लिए छह बांग्लादेशी जिहादी असम में घूम रहे हैं। इन छह में से एक मोहम्मद सुमन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

असम पुलिस के खुफिया विभाग को जब इसकी पुख्ता जानकारी मिली तो उसका भंडाफोड़ किया गया। अंसारुल बांग्ला टीम की आर्थिक मदद से मुस्तफा चर इलाके में नदी के किनारे एक मदरसा चला रहा था, जो राज्य में जिहाद फैलाने के लिए आए थे। अंसारुल बांग्ला टीम के शीर्ष आतंकवादियों में से एक आलमगीर मोइराबारी के एक मदरसे में रह रहा था और एक स्थानीय मस्जिद के इमाम के रूप में काम कर रहा था।

बाकी पांच अभी भी फरार हैं और राज्य में जिहादी जड़ें जमाने की कोशिश कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि बांग्लादेशी जिहादियों को आपस में जोड़ने की जिम्मेदारी मुफ्ती मुस्तफा के पास थी। हालांकि मुस्तफा 27 जुलाई, 2022 को गिरफ्तार हो चुका है। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि जिहादी गतिविधियों के केंद्र में मदरसे हैं। गिरफ्तार किए गए अधिकांश जिहादी या तो किसी मदरसे से जुड़े हैं या किसी मस्जिद के इमाम हैं। ये जिहादी मुस्लिम युवाओं को शरिया कानून और अन्य मजहबी मुद्दों की आड़ में कट्टरवादी बना रहे हैं। जिहादी तत्वों ने मुस्लिम इलाकों में घुसपैठ करने के लिए कोरोना महामारी की भी आड़ ली है। एक रपट के अनुसार जब कोरोना के दौरान पूरे देश में अवाजाही बंद थी, तब जिहादी तत्वों ने असम के मुस्लिम-बहुल इलाकों में सशस्त्र प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए। इन शिविरों में मुसलमान युवाओं को साइबर सुरक्षा, छोटे हथियारों का प्रशिक्षण और बम बनाना भी सिखाया गया।

21 अगस्त, 2022 को असम पुलिस ने गोलपारा जिले में दो इमामों को गिरफ्तार किया। ये दोनों हैं-अब्दुस सुभान (43) और जलालुद्दीन शेख (49)। दोनों गोलपारा जिले की दो मस्जिदों में इमाम थे। पूछताछ के दौरान अब्दुस सुभान और जलालुद्दीन शेख ने खुलासा किया कि उन्होंने सुंदरपुर तिलपारा मदरसे में दिसंबर, 2019 में एक मजहबी जलसे का आयोजन किया था। उसमें अलकायदा से जुड़े कई बांग्लादेशी आतंकवादियों को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था।

क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने मीडिया को बताया कि बांग्लादेशी वक्ता व्यवहार में काफी संदिग्ध लग रहे थे। वे कई दिनों तक मस्जिद में रहे, लेकिन स्थानीय लोगों से कभी बातचीत नहीं की। वे अच्छी तरह से बांग्ला भाषा भी नहीं बोलते थे। जब स्थानीय लोगों ने उन पर शक किया तो सभी संदिग्ध अचानक गायब हो गए।

Topics: इस्लामिक संगठनमदरसों में शैक्षिक सुधारDr Himanta Biswa SarmaJihadi ActivityjihadMadrassasडॉ. हिमंत बिस्व सरमाIslamic OrganizationजिहादEducational Reforms in Madrassasजलालुद्दीन शेखJalaluddin Shaikhअब्दुस सुभानAbdus Subhanजिहादी गतिविधिमदरसे
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