राष्ट्र निर्माण में बंजारा कुंभ का महत्व
Friday, March 24, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

राष्ट्र निर्माण में बंजारा कुंभ का महत्व

कुंभ का मतलब संतों के सम्मेलन से है। देशभर से संत प्रार्थना और आशीर्वाद के लिए इकट्ठा होते हैं, साथ ही विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं। विभिन्न विचारों और विचारों के मंथन से राष्ट्र को गति और दिशा मिलती है।

पंकज जगन्नाथ जयस्वाल by पंकज जगन्नाथ जयस्वाल
Jan 29, 2023, 04:48 pm IST
in भारत
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

राष्ट्र निर्माण में बंजारा कुंभ का महत्व
25 से 30 जनवरी तक जलगांव जिले के गोद्री में बंजारा और लबाना नाइकाडा समुदाय एकत्रित हुए है। शबरी कुंभ और नर्मदा कुंभ पहले 2006 में गुजरात और 2020 में मध्य प्रदेश में आयोजित किए गए थे। कुंभ का मतलब संतों के सम्मेलन से है। देश भर से संत प्रार्थना और आशीर्वाद के लिए इकट्ठा होते हैं, साथ ही विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं। विभिन्न विचारों और विचारों के मंथन से राष्ट्र को गति और दिशा मिलती है। अलग-अलग समय सिंहस्थ कुंभ और इस कुंभ का आयोजन होता है। उनके बीच एकमात्र अंतर रूप और स्थान में है। शेष लक्ष्य वही रहता है।

बंजारा कुंभ क्यों आयोजित किया गया है ?
“धर्म” पर चलने वाले अनुयायियों से हटकर “रिलीजन” को मानने वाले अनुयायियों की मानसिकता खतरनाक मोड ले रही है और पर्यावरणक्षति सहित पूरी दुनिया में अशांति पैदा कर रही है। इन रिलीजन अनुयायियों, विशेष रूप से कुछ ईसाई मिशनरियों की प्रत्येक गैर-ईसाई खासकर हिंदू धर्मीय को ईसाई में परिवर्तित करने की विचार प्रक्रिया विशेष रूप से समाज और समुदाय में दरार और विनाश पैदा करने के इरादे से संबंधित है। आखिर लक्ष्य क्या है? क्या ईसाई धर्म या किसी अन्य धर्म में जबरन धर्मांतरण, या भ्रामक मायाजाल के उपयोग ने धर्म परिवर्तित व्यक्ती को खुशी, मन की शांति और बेहतर सामाजिक और आर्थिक स्थिति लाने में मदद की है क्या?

जबकि मैं सभी धर्मों और संप्रदायों का सम्मान करता हूं, जमीन पर तथ्यों को नजरअंदाज करना अज्ञानी और खतरनाक दोनों है। यदि ईसाई धर्म श्रेष्ठ है, तो बहुसंख्यक ईसाई आबादी वाले देशों में मानसिक व शारीरिक परेशानिया, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और सामाजिक अस्थिरता क्यों है? कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट के बीच झगड़ा क्यों है? ईसाइयों में जातिगत भेदभाव क्यों है? इतने सारे ईसाई-बहुल देश आर्थिक और सामाजिक रूप से क्यों धराशायी हो रहे हैं?

हम सनातन संस्कृति और उसके सिद्धांतों का पालन करने वाले कई ईसाइयों की भावना का स्वागत करते हैं और उनकी सराहना करते हैं, हालांकि, सनातन धर्म के द्वेषी सनातन अनुयायियों को परिवर्तित कर रहे हैं, धर्मान्तरित लोगों के बीच गहरी घृणा पैदा कर रहे हैं। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर, ईशा के संस्थापक जग्गी वासुदेव, माता अमृतानंदमयी, स्वामीनारायण, इस्कॉन, और कई अन्य आध्यात्मिक गुरुओं और संगठनों के दुनिया भर में बड़ी संख्या में अनुयायी हैं, लेकिन वे उन्हें कभी भी धार्मिक रूप से परिवर्तित नहीं करते हैं। इसके बजाय, वे अपने सभी अनुयायियों को अपना धर्म बदले बिना सनातन सिद्धांतों का पालन करने का आशीर्वाद देते हैं। इसलिए सर्वहित के लिए सनातन धर्म की रक्षा करनी चाहिए। जो व्यक्ति, समाज, विश्व और पर्यावरण के लिए सनातन धर्म के मूल्य को पहचानते हैं, उन्हें खुलकर बोलना चाहिए, जिसमें अधिकांश ईसाई भी शामिल हैं, जो ईसाई मिशनरी प्रॉपगेंडा में विश्वास नहीं करते। आरएसएस, कई अन्य संगठनों के साथ सदियों पुराने विभाजन को पाटने का काम कर रहा है। उनका मंत्र कहता है, “हम सब एक हैं।”

सेवा वास्तव में क्या है ?
समाज और पर्यावरण की अधिक भलाई के लिए बिना स्वार्थ के प्रदान की गई सेवाएं। क्या यह सच नहीं है कि ईसाई मिशनरियों और उनके संगठनों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का उद्देश्य उनका धर्मांतरण करना है? ऐसी सामाजिक सेवाएं किस काम की हैं? जैसा कि मैंने पहले कहा, कई भारतीय आध्यात्मिक, धार्मिक और सामाजिक संगठन दुनियाभर में सामाजिक सेवाएं प्रदान करते हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है मन की शांति और खुशी का विकास करना, जो हर किसी के जीवन का सबसे कठिन और महत्वपूर्ण पहलू है। हालांकि, ये सभी सामाजिक सेवाएं अच्छे इरादों के साथ और बिना किसी स्वार्थ के प्रदान की जाती हैं। सेवा में दोनो धाराओं की इस असमानता को सरकारों, विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों द्वारा अधिक जागरूकता और समझ के साथ संबोधित किया जाना चाहिए।

बंजारा कुंभ सबके भले के लिए सभी को एकजुट करने के लिए कार्य करता है। बंजारा समाज में पिछले 15 से 20 सालों में दो बड़ी चुनौतियां सामने आई हैं। पहला ईसाई धर्म का प्रसार है, और दूसरा बुतपरस्ती का जानबूझकर प्रचार है। परिणामस्वरूप, पुजारियों, संतों और बंजारा समुदाय के सदस्यों ने पहल की और कुंभ करने का फैसला किया। हर कुछ वर्षों में यह पता चलता है कि प्रत्येक जाति जनजाति में उनका एक अलग धर्म है।

ऐसा क्यों किया जाता है ?
यह एक जटिल प्रश्न है। आज की स्थिति में यह चंद राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव जीतने के लिए वोट बैंक बनाने की राजनीतिक ताकत के दुरुपयोग की साजिश है। हालांकि, इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। सनातन समाज को बांटकर सत्ता हासिल करने की विनाशकारी मंशा को सभी को समझना होगा और कुम्भ की ऐसी पहलों का उत्साहपूर्वक और अपनेपन की भावना से समर्थन करना होगा।

धर्म परिवर्तन
उत्तर प्रदेश और गुजरात में मुस्लिम बंजारों के कई समुदाय हैं, जो केवल बंजारा समाज से धर्म परिवर्तित हुए हैं। मुस्लिम आक्रमणकारी औरंगजेब के आक्रमण के बाद केवल कुछ बंजारों ने इस्लाम में जबरन धर्म परिवर्तन करना स्वीकार किया। उन्हें उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों के साथ-साथ हैदराबाद में भी देखा गया है। बंजारों का ईसाईकरण महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और भारत के कुछ अन्य हिस्सों में हुआ है। आश्चर्यजनक रूप से कुछ बंजारों के ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के बाद भी वे हिंदू परंपराओं का पालन करते रहे। शादी, बारात और हिंदू त्योहार और शादी मे हल्दी स्नान।

कुल देवता और संत परंपरा
बंजारों की पारिवारिक देवी माता महाकाली और माता जगदंबा हैं, जिन्हें माता महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। महागौरी गौर वंश को इंगित करती हैं। वेंकटेश्वर तिरुपति बालाजी और बंजारी देवी की भी पूजा की जाती है। खासकर गौर बंजारा समुदाय में सती भवानी की पूजा की जाती है। भगवान शंकर के वाहन नंदी की पूजा आज भी बड़े उत्साह के साथ की जाती है। इसे ‘गरशा’ भी कहते हैं। छत्तीसगढ़ के बंजारे देवी ‘बंजारा’ की पूजा करते हैं, जो इस जाति की देवी हैं और मातृशक्ति की प्रतीक हैं। साथ ही ये महानुभाव संप्रदाय से भी जुड़े हुए हैं, जिसके कारण ये भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करते हैं। बंजारे देवताओं के साथ संतों की भी पूजा करते हैं। सतगुरु हाथीराम बाबा महाराज, संत सेवालाल महाराज, राणा लखीराय बंजारा (राणा लखी शाह), बंजारी माता, संत रूप सिंह महाराज, समकी माता, संत समतदादा, संत लक्ष्मण चैतन्य महाराज, संत ईश्वर सिंह महाराज, संत राम राव महाराज आदि की पूजा की जाती है। बंजारा समुदाय संतों के विचारों को दिल से मानते हैं।

हमारे महान संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए हमारे जनजाति भाई-बहनों ने बहुत कष्ट सहे हैं। आइए हम उन्हें सहयोग दें, अपनेपन की भावना रखें और बिना किसी इच्छा के उन्हें सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित करने में मदद करें।

Topics: राष्ट्र निर्माण में बंजारा कुंभ का महत्वबंजारा कुंभ क्यों आयोजित किया गया है ?Importance of Banjara Kumbh in nation buildingWhy Banjara Kumbh is organized ?कन्वर्जनConversionधर्मांतरणबंजारा कुंभBanjara Kumbh
Share1TweetSendShareSend
Previous News

उत्तराखंड के त्रिलोक सिंह बसेड़ा, जिन्हें कहा जाता था ‘आयरन वॉल ऑफ इंडिया’

Next News

हल्द्वानी रेलवे अतिक्रमण मामला: जब उत्तराखंड सरकार पक्ष नहीं तो फिर प्रशासन ने सीमांकन क्यों शुरू किया?

संबंधित समाचार

मेरठ : भोले-भाले हिंदुओं को बरगलाकर करा रहे थे मतांतरण, तीन आरोपी गिरफ्तार

मेरठ : भोले-भाले हिंदुओं को बरगलाकर करा रहे थे मतांतरण, तीन आरोपी गिरफ्तार

अनुसूचित जाति के लिए अटल है आरक्षण’

अनुसूचित जाति के लिए अटल है आरक्षण’

सिंध के हिन्दुओं ने खोला मोर्चा, दुनिया को बताएंगे मजहबी उन्मादियों की असलियत

सिंध के हिन्दुओं ने खोला मोर्चा, दुनिया को बताएंगे मजहबी उन्मादियों की असलियत

मिशनरी स्कूल में यौन शोषण

मिशनरी स्कूल में यौन शोषण

बिजनौर में कन्वर्जन कराने की कोशिश, दो ईसाई महिलाओं को पुलिस को सौंपा

इंदौर : मतांतरण कराने की कोशिश, पादरी ने कहा- ईसाई नहीं बने तो पूरा परिवार तड़प-तड़पकर मर जाएगा, गिरफ्तार

नाकाम किए मिशनरी

नाकाम किए मिशनरी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मुरादाबाद : वीडियो कॉल पर दिया तीन तलाक, पीड़िता ने कराई एफआईआर

गर्दन पर चाकू रखकर देवर ने किया दुष्कर्म, शौहर से बताया तो उसने दे दिया तीन तलाक, पीड़िता ने लगाई न्याय की गुहार

ऑर्गेनिक खेती से आय की दुगुनी

ऑर्गेनिक खेती से आय की दुगुनी

खालिस्तानी समर्थक के साथ कांग्रेस नेताओं के संबंध, मूणत ने जारी की तस्वीर

खालिस्तानी समर्थक के साथ कांग्रेस नेताओं के संबंध, मूणत ने जारी की तस्वीर

सरल भाषा में समझें वेदों का ज्ञान : गृहमंत्री अमित शाह ने किया ‘वैदिक हेरिटेज पोर्टल’ का शुभारंभ

सरल भाषा में समझें वेदों का ज्ञान : गृहमंत्री अमित शाह ने किया ‘वैदिक हेरिटेज पोर्टल’ का शुभारंभ

मध्यप्रदेश में गठित होगा स्वर्ण कला बोर्ड, मुख्यमंत्री शिवराज ने की बड़ी घोषणा

मध्यप्रदेश में गठित होगा स्वर्ण कला बोर्ड, मुख्यमंत्री शिवराज ने की बड़ी घोषणा

‘जब जातियों में बंटे हिन्दू एक हो जाएंगे, हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना स्वतः साकार हो जाएगी’

‘जब जातियों में बंटे हिन्दू एक हो जाएंगे, हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना स्वतः साकार हो जाएगी’

नौसेना और कोस्ट गार्ड का ध्रुव हेलीकॉप्टर बेड़ा अभी भी ‘जमीन’ पर, जांच पूरी नहीं

नौसेना और कोस्ट गार्ड का ध्रुव हेलीकॉप्टर बेड़ा अभी भी ‘जमीन’ पर, जांच पूरी नहीं

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला : दो याचिकाओं पर हुई सुनवाई, 31 मार्च और 17 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला : दो याचिकाओं पर हुई सुनवाई, 31 मार्च और 17 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

विधानसभा उपचुनावः छह राज्यों की सात सीटों में चार पर भाजपा विजयी

भाजपा ने दिल्ली, बिहार, ओडिशा और राजस्थान के लिए नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की

वक्फ एक्ट के खिलाफ 120 याचिकाएं, जानिए कब होगी सुनवाई

Delhi High Court : जामिया हिंसा मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies