भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर के मुख्य मंडप में निर्मित होने वाली भगवान श्रीराम की प्रतिमा के लिए नेपाल से शालिग्राम पत्थरों की पहली खेप शीघ्र ही अयोध्या पहुंचेगी। इन्हें ट्रक से अयोध्या लाया जा रहा है। ये शालिग्राम पत्थर जनकपुर बिहार के रास्ते लाई जा रही है। इन्हीं पत्थरों का उपयोग कर गर्भगृह में स्थापित होने वाली भगवान श्रीराम की सांवली सूरत वाली प्रतिमा निर्मित होगी। बताया जा रहा है कि इन पत्थरों पर राम मंदिर ट्रस्ट का अंतिम फैसला लेगा। ट्रकों पर लदे विशाल शालिग्राम पत्थर पहली फरवरी को उत्तर प्रदेश की सीमा में कुशीनगर में प्रवेश करेगा।
राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने शनिवार को बताया कि नेपाल के पोखरा स्थित नारायणी नदी से शालिग्राम पत्थरों को निकाला गया है। जिओलॉजिकल तथा आर्केलॉजिकल वैज्ञानिकों की देखरेख में इन्हें दो ट्रकों पर रखा गया। एक ट्रक पर 26 टन तथा दूसरे पर 14 टन के पत्थर लादे गए हैं। दोनों पत्थरों को 26 जनवरी को ट्रकों पर लोड किया गया था। उन्होंने कहा कि रास्ते में जगह-जगह इन ट्रकों को रोककर श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाने की भी योजना है। इसके लिए सौ से अधिक कार्यकर्ताओं का जत्था साथ चल रहा है। शिलाओं के अयोध्या पहुंचने के बाद ट्रस्ट अपना काम करेगा। वैज्ञानिकों का ऐसा कहना है कि ये शिलाएं करोड़ों वर्ष पुरानी हैं।
ज्ञातव्य हो कि इस विशाल यात्रा में लगभग 100 लोग शामिल हैं। जिनके रात्रि विश्राम की व्यवस्था जगह-जगह की गयी है। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष जिवेश्वर मिश्रा, अयोध्या से राजेंद्र सिंह पंकज, नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री कमलेंद्र निधि और जनकपुर के महंत आदि अयोध्या तक साथ जा रहे हैं। यह कारवां जनकपुर से सहारघाट, बेनीपट्टी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर तथा 31 जनवरी को गोपालगंज में प्रवेश करेगा।
नेपाल में शालिग्राम और भारत में नारायणी है नदी का नाम
नेपाल की शालिग्राम नदी के भारत में प्रवेश करते ही इसका नाम बदल जाता है। भारत में इस नदी को नारायणी नदी के नाम से जानते हैं। शालिग्राम पत्थर सिर्फ शालिग्राम अथवा नारायणी नदी में ही मिलता है।
पत्थर निकालने के बाद शालिग्राम नदी से हुई क्षमा याचना
श्री चौपाल ने कहा कि शालिग्राम नदी से शिलाओं को निकालने के बाद धार्मिक अनुष्ठान हुआ। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शालिग्राम नदी से क्षमा याचना भी की गई।
पुरातत्वविद ने कहा
साथ ही चल रहे पुरातत्वविद तथा अयोध्या पर कई किताबें लिख चुके देशराज उपाध्याय ने बताया कि शालिग्राम पत्थर बेहद मजबूत होता है। इस पर शिल्पकार बारीक से बारीक आकृति उकेर लेते हैं। इस पत्थर से ही अयोध्या में भगवान राम की सांवली प्रतिमा बनेगी।
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