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अंतिम चरण में बंजारा कुंभ की तैयारियां, जानिए कार्यक्रम की पूरी रूप रेखा और प्रमुख आकर्षण

- आठ राज्यों से दस लाख लोगों के आने का अनुमान, सात नगर बनेंगे, प्रत्येक में पचास हजार श्रद्धालुओं की रहने की व्यवस्था

by WEB DESK
Jan 24, 2023, 04:45 pm IST
in भारत, महाराष्ट्र
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महाराष्ट्र के जामनेर तालुका के गोदरी में पांच सौ एकड़ क्षेत्र में अखिल भारतीय हिंदू गोर बंजारा और लबाना नायकड़ा समाज कुंभ की तैयारी तेज हो गई है और श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए सात नगर बनाए गए हैं। इसमें पचास हजार श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की जाएगी।  साथ ही कुंभ मेले में दिन में आने वाले डेढ़ लाख श्रद्धालुओं के भोजन की भी व्यवस्था की जाएगी.  इसके लिए खाना बनाने के लिए सात बड़े रसोड़े बनाए गए हैं।

25 जनवरी से 30 जनवरी तक चलने वाले इस अखिल भारतीय हिंदू गोर बंजारा व लबाना नायकड़ा समाज कुम्भ के प्रबंधन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। धर्म स्थान, कुम्भ स्थान, आवास, वाहन स्थल, परिवहन, भोजन आदि प्रबंध पूरे किए गए हैं। इस छह दिवसीय कुम्भ में भक्तों का मार्गदर्शन करने विभिन्न राष्ट्रीय संत और महात्मा आएंगे। अनुमान है कि इस छह दिवसीय कुम्भ समारोह में लगभग 10 लाख श्रद्धालु आएंगे। तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, छतीसगड़ और महाराष्ट्र के कोने-कोने से बंजारा, लबाना और नायकड़ा समुदाय के लोग आएंगे यह जानकारी अखिल भारतीय हिन्दू गोर बंजारा एवं लबाना नायकड़ा समाज कुंभ संचालन समिति अध्यक्ष श्याम चैतन्य महाराज जी ने दी ।

इस भौगोलिक क्षेत्र में हजारों तांड़े हैं। बंजारा समुदाय एक ऐसा समाज है जो हिंदू धर्म को जानता और मानता है, लेकिन धर्मांतरण हेतु बंजारा समुदाय को लक्ष्य किया जा रहा है। ऊपर दिए गए भौगोलिक क्षेत्र में 11 हजार तांड़े हैं जिनमें से 3500 तांड़ों में लोगों का सीधा ईसाईकरण हुआ है या ईसाइयों से संपर्क के कारण हिंदू रीति-रिवाजों को छोड़कर चर्च जा रहे हैं। हालांकि कुछ छिपे हुए ईसाई भी हैं जो अपने प्रमाणपत्रों पर ST या NT लिखवाते हैं।

कुछ लोग गलत सूचना फैला रहे हैं कि गोर धर्म एक अलग धर्म है और बंजार हिंदू नहीं हैं। लातूर में बंजारा समुदाय पर हिंदू संस्कारों को छोड़कर गोर धार्मिक संस्कारों को अपनाने का दबाव डाला गया है। यह कुम्भ 25 से 30 जनवरी तक बंजारा समुदाय के ईसाईकरण को रोकने और सभी बंजारा, लबानाव नायकड़ा समुदाय को एकजुट करने के लिए आयोजित किया जा रहा है जिसका आयोजन संतों और बंजारा समुदाय ने किया है।

कुम्भ का आयोजन तय होने के बाद संबंधित  गांवों के नाइक और कारभारियों का 9500 तांड़ों पर एकत्रीकरण हुआ। इसके लिए बंजारा समाज के 218 कार्यकर्ता 3 माह से पूर्ण सेवा दे रहे हैं। साथ ही बंजारा समुदाय के 400 संतों ने तांड़ों पर पदयात्रा की और संबंधित क्षेत्रों में 5500 सभा-सम्मेलन किए।

प. पू. बाबूसिंग जी महाराज, प.पू. सुरेशजी महाराज, श्री. श्यामजी चैतन्य महाराज, प.पू.महंत 1008 श्री रामसिंग महाराज, प.पू.1008 श्री श्री चंद्रसिंगजी महाराज इन संतों ने कई गांवों का दौरा करते हुए समाज से सीधे संपर्क किया है। पांच सौ एकड़ क्षेत्र में गोदरी कुंभ की  की तैयारी शुरू दस लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति का अनुमान

भोजन सेवा

गोदरी में कुंभ मेले में प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं के लिए रसोड़े में दिनभर  भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इसलिए भोजन व्यवस्था गतिविधि चौबीस घंटे चलेगी, भोजन वितरण सुबह से लेकर रात तक चलेगा। कुम्भस्थल में मुख्य सभा मंडप के सामने श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था है।  दिन में डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं के भोजन करने की व्यवस्था की गई है।

चार हेलीपैड का निर्माण

छह दिवसीय कुंभ के लिए देश भर से विभिन्न राष्ट्रीय संत, राजनीतिक नेता, मंत्री और विशिष्ट अतिथि आएंगे। आने वाले मुख्य अतिथियों की सुविधा के लिए चार हेलीपैड का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही गोदरी ग्राम को जोड़ने वाले नौ सड़को की सुधार भी हो गई है।

महिलाओं के लिए एक अलग शहर का निर्माण

कुंभ के लिए तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य से दस लाख श्रद्धालु आएंगे।  उनकी सुविधा के लिए सात नगरों की व्यवस्था की गई है।  इनमें से  महिलाओं के लिए अलग शहर होगा।  2500 से 3000 महिलाओं के रहने की व्यवस्था भी की गई है।  इस नगर में मंडपों में आवास के साथ ही स्नानगृहों का निर्माण किया जा रहा है।  इसमें अत्याधुनिक शौचालय का निर्माण किया गया है।

छह गुंबदों (डोम) और नब्बे संत कुटिया के साथ ढाई सौ एकड़ का मंडप

गोदरी कुंभ में 250 एकड़ के मंडप में छह गुंबद और नब्बे संत कुटीया का निर्माण कार्य चल रहा है।  मुख्य सभा मंडप का गुंबद जर्मन हैंगर उज्जैन से आएगा।  कुंभ सभा मंडप का गुम्बद मुख्य गुम्बद होगा। विशेष गणमान्य व्यक्ति यहां आएंगे, उस दृष्टि से उनका निर्माण किया जा रहा।

धर्मस्थल पर गुरुद्वारा के लंगर से होगा अन्नदान

धार्मिक स्थल गोदरी में स्वयं सहायता समूह (महिला बचत गट) स्टॉल के लिए जगह उपलब्ध करायी गयी है.  इसमें 200 बचत समूह अपने विभिन्न उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे।  केंद्रीय कार्यालय धार्मिक स्थल पर मंदिर के पीछे स्थित होगा।  धार्मिक स्थलों पर अमृतसर, नांदेड़ में गुरुद्वारा के माध्यम से श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद लंगर रखा जाएगा।

दो हजार पुलिस जवानों की होगी व्यवस्था

कुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए यहां दो हजार पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे।  इसके अलावा फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और अस्पताल, बस सेवा की व्यवस्था की गई है।  साथ ही मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए बीएसएनएल द्वारा एक अस्थाई मोबाइल टावर का निर्माण किया जा रहा है।

लबाना समाज के पूज्य धोंडीराम बाबा और आचार्य चंद्रबाबा की मुर्तियो का गोदरी कुंभ में होगी स्थापना

जलगाँव जिले के जामनेर तालुका के “गोदरी” में अखिल भारतीय हिंदू गोर बंजारा और लबाना-नाइकड़ा समाज कुंभ 25 से 30 जनवरी तक हो रहा है। यह कुम्भ अब राष्ट्रीय स्वरूप ले रहा है।  कुम्भ में अनेक राष्ट्रीय संत एवं विशेष अतिथि पधारेंगे।  इसलिए जामनेर पंचक्रोशी के नागरिकों की उत्सुकता बढ़ गई है।  जिस गोदरी गांव में कुंभ हो रहा है, वह पूज्य धोंडीराम बाबाजी और आचार्य चंद्रबाबा द्वारा पवित्र स्थान है और इसका गुरु नानक देव जी से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ एक लंबा इतिहास है।  इसलिए कुंभ के दौरान गोदरी में पूज्य धोंडीराम बाबा और लबाना समुदाय के श्रद्धेय आचार्य चंद्रबाबा का मंदिर बनाया गया है और मूर्तियों की स्थापना की जाएगी।

पूज्य धोंडीराम बाबाजी का गोदरी में एक लंबा इतिहास रहा है। बाबाजी का जन्म 1803 में नानक जवला, पुसद जिला वाशिम में हुआ।  वह 1872 में गोदरी में बस गए।  बाबाजी के पास 10 हजार गायें और 1000 एकड़ जमीन थी।  गोधन के साथ उनके पास पाँच सौ से छह सौ भैंसें भी थीं।  उनका मुख्य व्यवसाय गोपालन और नमक का व्यापार था।  यह समाज गोसेवक समाज है और गाय मोटी भी हो तो कसाई को नहीं बेची जाती।  अगर गाय मर जाती है तो उसे जमीन में दफन किया जाता है।

धोंडीराम बाबा आयुर्वेदिक चिकित्सा के पारखी थे।  उनके पास पंचक्रोशी से कई मरीज दवा लेने आते थे।  वे दूध के स्टॉल लगाते थे और रास्ते से गुजरने को मुफ्त में गाय का दूध देते थे। वर्तमान में बाबाजी की चौथी पीढ़ी गोदरी में रहती है और लगभग 50 रिश्तेदारों के परिवार यहां बसते है।

इसी स्थान पर परम पूज्य आचार्य श्री चंद्रबाबा की मूर्ति भी स्थापित होगी।  जिनकी स्थानीय लबाना समुदाय में बहुत आस्था है।  आचार्य चंद्रबाबा गुरु नानक देव और सुलक्खनी देवी के सबसे बड़े पुत्र थे।  उनका जन्म 1494 में पंजाब के सुल्तानपुर लोधी में हुआ था।  11 साल की उम्र में वे धार्मिक अध्ययन के लिए श्रीनगर में आचार्य पुरुषोत्तम कौल के गुरुकुल गए।  इसके बाद उन्होंने अविनाशी मुनिजी से दीक्षा प्राप्त की।  उन्होंने बहुत साधना कर ऐतिहासिक उदासी (उदासिना) सम्प्रदाय की स्थापना की।

आचार्य चंद्रदेव बाबा ने सिंध, बलूचिस्तान, काबुल, कंधार और पेशावर के बीच यात्रा की और विभिन्न संप्रदायों और संप्रदायों के पवित्र व्यक्तियों के साथ बातचीत की।  उन्होंने हरिद्वार, कैलाश मानसरोवर, नेपाल और भूटान, असम, पुरी, सोमनाथ, कन्याकुमारी और सिंहली का दौरा किया। उन्होंने जीवन में समरसता का आचरण किया था। वे किसी प्रकार का भेद नहीं मानते थे। उन्होंने ज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। समरसता निर्माण और हिंदू समाज के जागरण के लिए आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं के अनुसार गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव और शक्ति को लोकप्रिय बनाया और सत्य, संतोष, क्षमा, आत्म अनुशासन और मानव जाति की एकता का प्रचार किया।

परम पूजनीय  श्री चंद्रबाबा ने करतारपुर (पाकिस्तान) में गुरु नानक देव के लिए एक स्मारक बनवाया जिसे डेराबाबा नानक (पाकिस्तान) के नाम से जाना जाता है। उनका उदासी आश्रम, जालंधर वर्तमान में स्वामी शांतानंद द्वारा चलाया जाता है।  यहां श्री चंद्रबाबा के सभी उपदेशों का प्रचार होता है।

बाबा मक्खन शाह लबाना को लबाना समुदाय का मुख्य पूर्वज माना जाता है।  वे रेशम और मसालों के व्यापारी थे।  व्यापार के दौरान सिख भाई उनके साथ काम कर रहे थे।  इस बीच, जब समुद्री तूफान में जहाज फंस गए, तो जो भी जहाजों को तूफान से सुरक्षित निकालेगा उसे 500 मोहरे देने का वादा किया। यह साबित भी हुआ और  वह वीर गुरु तेग बहादुर थे।  इसलिए इस कुंभ को लबाना समाज और गुरु नानक देवजी की भी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है ।

प्रमुख आकर्षण

धार्मिक विधी – पल्ला ,मूर्ती स्थापना,कृष्णलीला, अरदास और  भोग लगाना

सांस्कृतिक- भजन ,नगारा खेल  पारंपरिक पोशाख  पुरुष व महिला,पट खेलना ,साहसी खेल  व तलवारबाजी  .

प्रदर्शनी एवं  स्टॉल – इतिहास (महापुरुष, संत व वास्तू),वेशभूषा (पारंपारिक पेहराव),

भाषा – पुस्तके, गीत,कथा,धार्मिक स्थल ,संस्कृती दिखानेवाली भव्य प्रदर्शनी

कार्यक्रम समयसारिणी

25 जनवरी बुधवार

सुबह  .9 से  10 बजे . पल्ला ,10.30 से  11.30  तक . मूर्ती स्थापना ,दु .12 ते 4 वा .सांस्कृतिक/ व्यासपीठ कार्यक्रम, शाम 4 से 6 वा. संत प्रवचन /संत सेवालाल अमृतलीला, शाम .7 से  10 बजे तक. देवी भागवत

26 जनवरी

गणतंत्र दिवस के अवसर पर सुबह 7.30 बजे केंद्रीय कार्यालय, कुम्भ स्थान, गोद्री में ध्वजारोहण किया जाएगा।

सुबह 11 से  4 बजे तक सांस्कृतिक/व्यासपीठ कार्यक्रम, शाम  5 से  7.30 बजे तक .संत प्रवचन /संतसेवालाल अमृतलीला , रात 7.30 से  10 देविभागवत/ कृष्णलीला/ संत रामरावबापू अमृतवाणी

27 जनवरी  – सुबह .11 से  4 बजे तक  सांस्कृतिक/व्यासपीठ कार्यक्रम, सायंकाळी 5 ते 7.30 बजे तक .संत प्रवचन /संतसेवालाल अमृतलीला , रात 7.30 से  10 तक देवि भागवत/ कृष्णलीला/ संत रामरावबापू अमृतवाणी

28 जनवरी – सुबह .9 ते 10.30 पल्ला, सुबह  .11.30 ते 4 वा .सांस्कृतिक/व्यासपीठ कार्यक्रम, शाम .4 ते 7 संत प्रवचन /संत सेवालाल अमृतलीला, रा.7 ते 10 देवी भागवत/ कृष्णलीला/रामनाव संत रामरावबापू अमृतवाणी

29 जनवरी  – सुबह .10.30 ते 4 बजे . सांस्कृतिक/ व्यासपीठ कार्यक्रम, शाम .4 से  7 संत प्रवचन /संत सेवालाल अमृतलीला, रा.7 ते 10 देविभागवत/कृष्णलीला /रामनाव/संत रामरावबापू अमृतवाणी

30 जनवरी – सुबह .10.30 ते 4 वा. सांस्कृतिक/ व्यासपीठ कार्यक्रम, शाम .4 ते 7 संत प्रवचन /संत सेवालाल अमृतलीला, रा.7 ते 10 देविभागवत/कृष्णलीला /रामनाव/संत रामरावबापू अमृतवाणी

रात्री 10 – समापन

Topics: महाराष्ट्र समाचारMaharashtra NewsNational Newsराष्ट्रीय समाचारबंजारा कुंभअखिल भारतीय हिंदू गोर बंजारा कुंभलबाना नायकड़ा समाज कुंभBanjara KumbhAll India Hindu Gor Banjara KumbhLabana Nayakada Samaj Kumbh
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