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होम भारत

‘135 करोड़ भारतीयों को एक करता है तिरंगा’- अनुराग ठाकुर

पाञ्चजन्य के हीरक जयंती समारोह में सूचना एवं प्रसारण और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि आज देश में खेल का बजट भी बढ़ाया गया है और उनका मनोबल भी बढ़ाया जा रहा है। कार्यक्रम में आर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर और वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा ने अनुराग ठाकुर से बातचीत की। प्रस्तुत हैं वार्ता के प्रमुख अंश-

प्रफुल्ल केतकर and अनुराग पुनेठा by प्रफुल्ल केतकर and अनुराग पुनेठा
Jan 24, 2023, 07:35 am IST
in भारत, साक्षात्कार
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https://panchjanya.com/wp-content/uploads/speaker/post-264712.mp3?cb=1674541393.mp3

आज युवा भारत की राजनीति को सकारात्मक रूप से देख रहा है, उसके साथ जुड़ रहा है और उसे आगे बढ़ाने में भूमिका भी निभा रहा है। इसको आप कैसे देखते हैं?
देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। प्रधानमंत्री जी अमृतकाल में देश के युवाओं के लिए बड़ी भूमिका की बात करते हैं। कैसे देश को आगे लेकर जाएं और स्वर्णिम काल भारत का कैसा हो। यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है कि पाञ्चजन्य ने भी अपने 75 वर्ष पूरे किए। सारी टीम को बहुत बधाई। अटल जी जैसे व्यक्ति पाञ्चजन्य के संपादक रहे। सही खबर, सत्य खबर कहीं मिलती है, तो उसमें पाञ्चजन्य की भी बहुत बड़ी भूमिका है। जहां तक युवाओं की बात है, मुझे 2010 में युवा मोर्चा की जिम्मेदारी मिली। एक सांसद के नाते संसद में देखता था कि कोई भी सांसद जम्मू-कश्मीर के विषय को उठाता ही नहीं था। उस समय पथराव की घटनाओं से 2500 से अधिक सैनिक घायल हुए थे।

कश्मीर को स्वायत्तता देने की बात चल रही थी। तब के अधिकतर सांसदों को जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियों का पता ही नहीं था और न ही किसी को जानने की इच्छा होती थी। उस समय की सोनिया-मनमोहन सरकार सशक्त बल विशेष शक्ति कानून में बदलाव की बात करती थी। अगर यह हो जाता तो हमारे फौजियों पर मुकदमे ही खत्म नहीं होते। वे आतंकवादियों से लड़ते या फिर मुकदमे लड़ते। दोनों में से एक ही होता। उस समय मैंने तय किया कि ‘इंडिया फर्स्ट’ नाम से एक कार्यक्रम चलाएं, ताकि देशभर के युवा जागरूक हों। 2011 में स्वामी विवेकानंद जी की जयंती (12 जनवरी) पर हम लोगों ने कोलकाता से कश्मीर तक की यात्रा शुरू की। उस समय कुछ लोग कहते थे कि कौन आएगा इस तिरंगा यात्रा में? लेकिन उसमें युवाओं की जबर्दस्त भीड़ उमड़ी।

तब पता चला कि यह तिरंगा चंद गज का कपड़ा नहीं, इसमें 135 करोड़ भारतीयों को एकजुट करने की ताकत है। यह अलग बात है कि उस समय हम लोगों को शारीरिक यातनाएं दी गई थीं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 और 35ए से सदा-सदा के लिए मुक्ति दिलाई, तब हम लोग भावुक हो गए थे। आज भी याद है। मैं संसद में अमित भाई के कमरे में जा रहा था, तभी पहले सुषमा जी का और फिर प्रधानमंत्री जी का फोन आया। सुषमा जी बहुत भावुक हो गईं कि हमने अपनी जिंदगी में इतनी लंबी लड़ाई लड़ी। यह कभी सोचा नहीं था कि 370 और 35ए कभी खत्म होगा। वह इतना बड़ा दिन था।

उस समय युवाओं की भूमिका संघर्ष की थी। आज युवाओं की भूमिका अलग है। आज स्टार्ट अप, स्किल इंडिया, नई शिक्षा नीति, इन सबको लेकर हमें लोगों के बीच में जागरूकता का अभियान करना है। लोगों को राष्ट्र निर्माण में एक सकारात्मक भूमिका में लाना है। आज युवाओं की भूमिका बदली है, लेकिन स्वच्छता अभियान से लेकर बाकी अभियान को बल देना है। नशामुक्त भारत हो, भ्रष्टाचारमुक्त भारत हो। युवाओं को हमें इस दिशा में लेकर जाना है। जातिवाद से बाहर निकलकर भारत को और मजबूत करने का काम करना है।


सूचना एवं प्रसारण और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बातचीत करते हुए आर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर और वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा।

 

आपने जब राजनीति शुरू की थी तब 2 जी से पहले का युग था, अब तो 5जी आ गया है। आप इसको कैसे देखते हैं?
वह भी एक दौर था जब अटल जी पाञ्चजन्य के संपादक थे। कहते हैं कि छपाई के अंतिम समय में भी अटल जी कुछ नया लिख देते थे। आज तो कंप्यूटर आ गया है और अंतिम क्षण भी कोई विज्ञापन आ जाता है। आज कंप्यूटर के जरिए काम आसान हो गया है। अंदाजा लगा सकते हैं कि उस समय लोगों की क्या क्षमता रहती होगी। लेकिन आज दूसरी चुनौतियां आ गई हैं कि आपका संस्करण अगर रात को 11:00 बजे भी जा रहा हो और कोई ऐसी खबर आ जाए तो आपको पूरा बदलाव करना पड़ता है, क्योंकि उसके बिना आप खबरों की दुनिया में पिछड़ सकते हैं। लेकिन इसके साथ ही यह भी देखना है कि आनलाइन जो कुछ चल रहा है, वह सत्य है या नहीं। कुछ लोग बिल्कुल गलत और फजी फर्जी खबरें चलाने का काम करते हैं। ती हैं। ये लोग ऐसी खबरें फैलाते हैं जिससे भारत का नुकसान होता है। ऐसे लोगों के विरुद्ध नियमों के अनुसार कड़ी कार्रवाई की है और आगे भी करेंगे। कुछ ऐसे अंतरराष्ट्रीय अबखार और पत्रिकाएं भी हैं, जो किसी एजेंडा के तहत भी खबरें चलाते हैं। कोविड के समय खबरें फैलाई जाती थीं कि कोविड के समय भारत में करोड़ों लोगों की मृत्यु हो जाएगी। लेकिन भारतवासियों ने ऐसा नेता चुना, जिसने एक नहीं दो-दो वैक्सिन अपने वैज्ञानिकों के माध्यम से तैयार कर ली। 220 करोड़ वैक्सीन लगाने का काम भारत के लोगों ने किया।

दुनिया के देश देखते रहे। दुनिया के 170 देशों को वैक्सीन देने का काम किया। 190 देशों को दवाइयां दीं। कोविड के समय तो मैं वित्त राज्य मंत्री था। मैं, अमित जी और निर्मला जी प्रधानमंत्री जी के निवास पर पहुंच जाते थे। लोगों को कैसे महामारी से बचाएं, कैसे भुखमरी से बचाएं। दुनिया भर के लोग सोशल मीडिया पर उस समय ऐसा डालते थे कि इतने लाख करोड़ का पैकेज दे दो। दुनियाभर के अन्य देशों ने यह कर दिया, यह कर दो। इस स्थिति में मोदी जी ने क्या समझदारी की यह जानने की जरूरत है? मोदी ने अनाज के भंडार खोले और 80 करोड़ लोगों को तीन साल तक मुफ्त में देने का काम किया। किसी को भुखमरी से मरने नहीं दिया और महामारी से बचाने के लिए 220 करोड़ वैक्सिन बिल्कुल मुफ्त में लगाई और बूस्टर डोज भी लगवाए। अब बात आती है अर्थव्यवस्था को बचाने की। 5 लाख करोड़ रुपया बैंकों के माध्यम से बगैर किसी गारंटी के देश के व्यापारियों और उद्यमियों को दिया।

आज तक देश में कभी ऐसा नहीं हुआ था। इनकम टैक्स रिफंड जल्दी कर दिया। टीडीएस में 25 प्रतिशत कटौती हो गई। कांग्रेस के राज में मनरेगा में 30 हजार करोड़ खर्च होते थे। हमने एक लाख दस करोड़ रु. खर्च किया। इससे गांवों में लोगों को रोजगार मिल गया। क्रयशक्ति बढ़ी तो पैसा चलन में आ गया और मांग बढ़नी शुरू हो गई। हमारे यहां जीएसटी कभी 1,00,000 करोड़ रु. से अधिक इकट्ठा नहीं होता था। लेकिन पिछले 16 महीने से लगातार जीएसटी संग्रह 1,00,000 करोड़ से ज्यादा और 1,63,000 करोड़ रु. तक रहा है। आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में पहले नंबर पर आकर खड़ी है। यह अपने आप में बहुत कुछ कहता है। जब मैं वित्त राज्य मंत्री बना तो मोदी जी ने निर्मला जी और मुझे बुलाकर कहा कि भाई सुनो भारत के युवाओं में बहुत क्षमता है। इनको उद्यमी बनाना है, ताकि इनमें रोजगार देने की क्षमता बने।

स्टार्टअप की चुनौतियों को तीन महीने के अंदर दूर करना है और हमने वह किया। आज भारत दुनिया के पहले तीन स्टार्टअप देशों में खड़ा है। यह सब किया युवाओं ने, लेकिन मोदी जी ने उनका नेतृत्व करने का काम किया। अब मैं सिर्फ कोरोना आपदा के समय हमने स्पेस सेक्टर खोल दिया, माइनिंग और डिफेंस सेक्टर खोल दिया। आज 400 से ज्यादा उत्पाद देश में बनते हैं। आज भारत फर्मा का हब बन गया है। हम दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार आयात करते थे, लेकिन गत वर्ष हमने तीस हजार करोड़ रु. का हथियार निर्यात किया है। यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। लड़ाकू विमान, टैंक, बंदूक सभी चीजें बन रही हैं।

कभी खेल संस्कृति और प्रशासन पर एक अलग तरह के वर्ग का कब्जा था। अब इसमें बदलाव दिख रहा है। यह कैसे संभव हुआ?
पहले हमारे परिवारों में यह होता था कि हमारा बच्चा पढ़-लिख जाए, इंजीनियर, डॉक्टर, प्रोफेसर या कुछ और बन जाए या वैज्ञानिक बन जाए, लेकिन खेल के क्षेत्र में न जाए। मेरे साथ भी ऐसा ही था। मेरे घर वाले चाहते थे कि मैं फौज में जाऊं। लेकिन मैं 11 साल की उम्र में घर से भाग गया क्रिकेटर बनने। मोदी जी फिट इंडिया मूवमेंट शुरू की, ताकि देश के लोग मोटापे, शुगर जैसी बीमारियों से दूर रह सकें। हम ‘फिटनेस का डोज, आधा घंटा रोज’ इस नारे के साथ चले। आधा घंटा अपने लिए निकालें। खेलो इंडिया अभियान शुरू कर मोदी जी खेलों के प्रति लोगों का नजरिया ही बदल दिया। किसी टूर्नार्मेंट में जाने से पहले खिलाड़ियों से देश का प्रधानमंत्री स्वयं मिलता है। उनका मनोबल बढ़ाता है और उन पर दबाव नहीं बनाता है। अधिकतर देखा जाता है कि परिवार के लोग भी खिलाड़ी पर बच्चे पर दबाव बनाते हैं। कोच भी दबाव बनाते हैं। मोदी जी बिल्कुल विपरीत करते हैं। वे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाते हैं और कहते हैं कि कोई नहीं खेलना जरूरी है, भागीदारी जरूरी है। जीतो या हारो कोई फर्क नहीं पड़ता। और मैंने देखा भी जो लोग ओलंपिक में नहीं जीत पाए थे, उन्हें भी मोदीजी ने अपने घर में बुलाया और पीठ पर हाथ रखकर कहा कि क्यों उदास बैठे हो। कहा कि सर बैडमिंटन में मेडल नहीं जीत पाये। तो क्या हुआ अगली बार जीतोगे। इसका परिणाम यह हुआ कि थॉमस कप हमने बैडमिंटन में पहली बार स्वर्ण पदक जीता।

अब यही फर्क है। कोविड के समय हम अपने पड़ोसी से भी मिलने नहीं जाते थे, लेकिन हमने कोई भी कैंप कोविड के समय बंद नहीं किया। हॉकी टीम लगातार छह महीने बेंगलूरू में रही। मीराबाई चानू की इंजूरी हो गयी। हमने 24 घंटे के अंदर वीजा लगवाया। अपने कोच के साथ अमेरिका भेजा, ट्रेनिंग दिलाई। वह सीधा टोकियो ओलंपिक्स में गई और भारत को पहला मेडल जिताने का काम मीराबाई चानू ने वहां से किया। हॉकी में गोल्ड मेडल तो 1928, 1932, 1936 में मेजर ध्यानचंद ने जीता दिए थे। फिर वर्ल्ड कप के बाद बलबीर सिंह सीनियर ने 1948 और 56 में, फिर हमने हैट्रिक लगायी। खेल भावना वापिस खड़ी हुई है। प्रधानमंत्री जी ने इसमें जान फूंकी है। बजट जो 864 करोड़ था, उसको बढ़ाकर 3100 करोड़ रु. कर दिया है। बजट भी बढ़ाया, मनोबल भी बढ़ाया।

हमारा बच्चा पढ़-लिख जाए, इंजीनियर, डॉक्टर, प्रोफेसर या कुछ और बन जाए या वैज्ञानिक बन जाए, लेकिन खेल के क्षेत्र में न जाए। मेरे साथ भी ऐसा ही था। मेरे घर वाले चाहते थे कि मैं फौज में जाऊं। लेकिन मैं 11 साल की उम्र में घर से भाग गया क्रिकेटर बनने। मोदी जी फिट इंडिया मूवमेंट शुरू की, ताकि देश के लोग मोटापे, शुगर जैसी बीमारियों से दूर रह सकें। हम ‘फिटनेस का डोज, आधा घंटा रोज’ इस नारे के साथ चले। आधा घंटा अपने लिए निकालें। खेलो इंडिया अभियान शुरू कर मोदी जी खेलों के प्रति लोगों का नजरिया ही बदल दिया।

आप बीसीसीआई के महत्वपूर्ण पद पर रहे हैं। उसके बारे में आपका क्या कहना है?
बीसीसीआई के अध्यक्ष बनने से पहले मैं उसका संयुक्त सचिव, सचिव था। तब मैंने अंडर 19 और इंडिया ए के विदेशी दौरे बहुत बढ़ा दिए थे। हम पहले 16 खिलाड़ियों के ऊपर निर्भर रहते थे। 8 और गिनते थे यानी 24 खिलाड़ियों पर निर्भर रहते थे। मैंने इस पूरी व्यवस्था को बदल दिया था। मैंने अंडर 19 के टूर ज्यादा कराये। कोई एक जाए तो जाए दो और खड़े हो टीम में जाने के लिए। आज आप देखें कि चाहे आईपीएल हो आसानी से आप किसी को बदल देते हो। 130 करोड़ के देश में हम यह क्यों सोचते हैं कि ये ही लोग खेलेंगे। टेस्ट टीम, वनडे टीम से लेकर आईपीएल तक इतना बड़ा प्लेटफॉर्म है आपके पास। आप चाहें तो 300 खिलाड़ियों का पूल बना सकते हैं। इनकी रोटेशन वहुत जरूरी है। यही कड़ा निर्णय बीसीसीआई को करना है। भारत में मल्लखंभ वगैरह करना शुरू कर दो तो ताली बंद नहीं होगी, क्योंकि वहां पर जो करतब दिखाते हैं वह अपने आप में अनोखा है। हम पारंपरिक खेलों को राष्टÑीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाएंगे।

आने वाले समय में भारत शायद ओलंपिक या फुटबॉल का भी विश्व कप आयोजित करने की स्थिति में रहेगा?
देखिए, इस वर्ष भारत शंघाई कोआपरेशन की अध्यक्षता कर रहा है। ऐसे ही हम जी-20 की भी अध्यक्षता कर रहे हैं। हम लोग इस वर्ष हॉकी का विश्व कप कर रहे हैं। हम लोग क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन करेंगे। हम ओलंपिक का आयोजन भारत में करके दिखाएंगे। हमारे पास अच्छे खेल मैदान हैं। ढांचागत सुविधाएं हैं। खिलाड़ी अच्छे हैं। हमारे पास होटल और हवाई अड्डे अच्छे हैं। तो भारत क्यों न आयोजन करे।

आपके पास सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय है। डिजिटल प्लेटफार्म पर नरेटिव की एक बड़ी लड़ाई चलती है। ओटीटी प्लेटफार्म को लेकर भी कई बातें कही जाती हैं। इन पर आपका क्या कहना है?
ओटीटी पर कुछ शिकायतें भी आती हैं। रचनात्मकता के नाम पर किसी भी प्लेफॉर्म का दुरुपयोग न हो। रचनात्मकता को थोड़ी स्वायत्ता भी मिले। लेकिन इतनी भी न मिले कि वह कुछ भी दिखाये जिसके कारण समाज में दुष्प्रभाव हो। इसलिए उसके लिए उतना प्रावधान रखा गया है और अभी तक वह ठीक काम कर रहा है। भविष्य में यदि कुछ लगता है कि उसमें कुछ कदम उठाने की जरूरत है तो निश्चित तौर पर उठाएंगे।

Topics: पाञ्चजन्य हीरक जयंती समारोहStartupsसूचना एवं प्रसारणस्टार्ट अपSkill Indiaनई शिक्षा नीतिस्किल इंडिया'India First'New Education Policy‘इंडिया फर्स्ट’Tricolor not a few yards of clothअमृत महोत्सवतिरंगा चंद गज का कपड़ा नहींtwo-two vaccinesखेल मंत्रीदो-दो वैक्सिनIndependence of the countryस्‍वर्ण पदकदेश आजादीSports Culture and Administrationgold medalखेल संस्कृति और प्रशासनOlympics or Footballविश्व कपओलंपिक या फुटबॉलDigital Platform On Narrativeworld cupडिजिटल प्लेटफार्म पर नरेटिवOTT PlatformAmrit Mahotsavओटीटी प्लेटफार्म
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