नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाली गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है। सरकार ने प्रतिबंध को सही ठहराते हुए कहा कि सिमी भारतीय राष्ट्रवाद और कानून के खिलाफ है। सिमी को देश में इस्लामिक शासन स्थापित करने के उसके उद्देश्य से काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सिमी पर लगे प्रतिबंध को चुनौती वाले मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी। आज दोनों पक्षों ने मामले की सुनवाई टालने की मांग की, जिसके बाद जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई टाल दी।
हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि 2001 के बाद से लगातार प्रतिबंध के बावजूद सिमी का अस्तित्व बना हुआ है। सरकार ने बताया कि तीन दर्जन से अधिक संगठनों के जरिए अपनी गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से बनाए गए संगठनों के जरिए काम करने की वजह 2019 में पांच साल के प्रतिबंध का आदेश दिया गया। सिमी के ये फ्रंट संगठन सिमी को विभिन्न गतिविधियों में मदद करते हैं जिसमें धन संग्रह, साहित्य का संचलन, कैडरों का पुनर्समूहीकरण आदि शामिल हैं। बता दें कि सिमी के एक पूर्व सदस्य ने संगठन पर 2019 में लगाए गए प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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