पाञ्चजन्य की हीरक जयंती : पत्रकारिता की तीसरी आंख खुलने पर नए समाज का होता है सृजन - राजनाथ सिंह
July 13, 2025
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पाञ्चजन्य की हीरक जयंती : पत्रकारिता की तीसरी आंख खुलने पर नए समाज का होता है सृजन – राजनाथ सिंह

by WEB DESK
Jan 15, 2023, 10:54 am IST
in दिल्ली
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दिल्ली के होटल अशोक में “पाञ्चजन्य” अपनी यात्रा के 75वर्ष पूर्ण कर मकर संक्रांति के दिन रविवार को अपनी “हीरक जयंती” मना रहा है। केंद्रीय रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन सत्र में विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी विचारधारा से ओतप्रोत यह पत्रिका 75 वर्ष पूरे कर रही है तो मैं इसे एक बड़ी घटना मानता हूं।

आजादी के समय पत्रकारिता एक मिशन थी। जागृत और जोश पैदा कर रही थी। इसलिए अकबर इलाहाबादी ने कहा था कि … जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो। पत्रकारिता सबसे उद्देश्यपरक शक्ति है। सत्ता के ताकत के दुरुपयोग को रोकती है तो किसी विचार का निषेध भी करती है। उन्नत होते समाज का प्राण है। यह मनोरंजन नहीं है यह सच्चाई भी समझनी चाहिए। राष्ट्र निर्माण का साधन है।

पत्रकारिता सभ्य मानव जीवन की प्राण वायु है। आजादी के बाद लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में अपना दायित्व निभा रही है। पत्रकारिता ने सामाजिक जागरूकता फैलाने का काम किया। राजा राम मोहन राय मूल रूप से समाज सुधारक थे, लेकिन पत्रकारिता में भी उनका योगदान है। संविधान का चौथा स्तंभ कहा जाने लगा। समाज के सच को निरंतर उजागर करती है।

 

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस दिशा में पूरे संकल्प के साथ काम कर रहे है। उनका मानना है कि भारतीय प्रतिभा और उनकी रचनात्मकता का समुचित विकास भारतीय भाषाओं में ही संभव है। आज जब देश अमृतकाल के दौरान एक आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी भारत की दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है मीडिया को इस दिशा में भी सहयोग करने की जरूरत है। मैं यह नही कहता कि मीडिया को आलोचना नही करनी चाहिए मगर जहां देशहित का सवाल हो वहां आलोचना के लिए आलोचना ठीक नहीं है।

‘भारत की बात’ भारतीय भाषाओं में ही होगी

उन्होंने कहा कि आप कल्पना करें जब भारतवासी अपनी उन मातृ भाषाओं में विचार करेंगे जिस भाषा में वे सांस लेते हैं, तो देश की रचनात्मक शक्ति में कितनी भारी वृद्धि होगी। भारत की आजादी के अमृतकाल में तो भारतीय भाषाओं का महत्व और बढ़ने वाला है क्योंकि देश अब औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने का संकल्प ले चुका है। इसलिए आने वाले समय में ‘भारत की बात’ भारतीय भाषाओं में ही होगी। राजनीति में अधिक सक्रिय होने के बावजूद अटलजी का ‘पाञ्चजन्य’ और हिंदी पत्रकारिता से जुड़ाव हमेशा बना रहा।मुझे जानकारी दी गई है कि 1998 में जब ‘पाञ्चजन्य’ ने अपनी स्वर्ण जयंती वर्ष थी तो वे मुख्य अतिथि के रूप में आप लोगों के बीच आए थे। इसलिए आज जब ‘पाञ्चजन्य’ अपनी स्थापना के 75 वर्ष मना रहा है तो मैं इस कार्यक्रम में आकार अनुगृहीत महसूस करता हूं।

राष्ट्रवादी विचार की अभिव्यक्ति है पाञ्चजन्य

पाञ्चजन्य केवल समाचार-विचार का माध्यम मात्र नही है बल्कि राष्ट्रवादी विचार का दर्शन और अभिव्यक्ति भी है। लोग कर्इ बार पूछते हैं कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता क्या होती है और उसकी क्या क्रेडिबिलिटी है। ऐसे लोगों को तो मैं यही कहना चाहूंगा कि उन्हें दीनदयालजी द्वारा ‘पाञ्चजन्य’ में लिखे गए ‘विचार वीथी’ स्तम्भ और ‘ऑर्गनाइज़र’ में लिखे गए ‘पोलिटिकल डायरी’ कालम को जरूर पढ़ना चाहिए

नए समाज का होता है सृजन

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जैसे शिव जी का तीसरा नेत्र खुलने पर प्रलय होता है। उसी प्रकार पत्रकारिता की तीसरी आंख खुलने पर नए समाज का सृजन होता है। पेशे से न दीनदयाल जी पत्रकार थे न ही अटल जी पत्रकार थे। लेकिन विचार से प्रेरित होकर दोनों पत्रकारिता में आए और पाञ्चजन्य की नींव रखी। दोनों ने मिलकर पत्रकारिता को नया तेवर और कलेवर दिया।

भारत को पुन: विश्वगुरू के पद पर आसीन करेंगे

आज हमारे सामने अवसर है, क्षमता भी है, हमारा संकल्प भी है कि हम भारत को पुन: विश्वगुरू के पद पर आसीन करेंगे। पाञ्चजन्य की आधारशिला भी इसी धरातल पर रखी गई थी। अमृतकाल उस संकल्प की सिद्धि का अवसर है। हमें उसी दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है। इस देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाना, रक्षा की जरूरतों की पूर्ति के मामले में आत्मनिर्भर बनना और यहां तक कि भारत को एक परमाणु शक्ति बनाने का सपना तो दीनदयालजी का ही सपना था। जिसके बारे में उन्होंने अनेक अवसरों पर पाञ्चजन्य में भी लिखा था। देश का रक्षामंत्री होने के नाते मैं आपको यह भरोसा देना चाहता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत उसी दिशा में बढ़ चला है जिसकी कल्पना 75 साल पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी और बाद में अटलजी जैसी महान विभूतियों ने की थी।

समाज में पत्रकार का भी वही स्थान होता है जो एक शिक्षक का होता है। जो समाचार के साथ छेड़छाड़ करता है वह पत्रकार नहीं हो सकता है। समाचार चयन में पक्षपात नही होना चाहिए पाञ्चजन्य में कई बार अपने लेखों में दीनदयालजी सरकार की आलोचना करते थे मगर उनके मन में किसी के प्रति अपमान का या कटुता का भाव नहीं था। राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए अपनी बात मजबूती से रखना ही स्वस्थ पत्रकारिता है।

मीडिया इस देश और समाज का अभिन्न अंग है। हाल के वर्षों में हमने देखा है कि मीडिया ने काफी सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका भी निभार्इ है। कोरोना के संकट के समय पत्रकारों ने कर्मयोगियों की तरह काम किया और यहां तक कि स्वच्छ भारत अभियान की सफलता में उनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

देश के युवाओं को बरगलाने वाले सफल नहीं होंगे – सुनील आंबेकर

पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित बात भारत की कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने चर्चा की। आंबेकर जी ने कई तथ्यों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि Fake News पर पाञ्चजन्य ने बहुत काम किया है। फैक्ट चेक के लिए आज सोशल मीडिया पर पाञ्चजन्य को लोग ढूंढकर पढ़ते हैं। इस समय पत्रकारिता में प्रमाणिकता की बहुत आवश्यकता है। इस समय गलत समाचार बहुत तेजी से फैलता है। फेक न्यूज़ पर भी काम करने की जरूरत है। पाञ्चजन्य इस मापदंड में हमेशा खड़ा उतरा है। लोग पाञ्चजन्य पर बहुत भरोसा करते हैं। जब हमारा राष्ट्र आगे बढ़ता है तब जीवन के हर क्षेत्र में हमें आगे बढ़ना होता है। समाज के हर वर्ग के लोग इसमें शामिल होने चाहिये। देश के युवाओं में विवेक रहेगा तो स्वाभाविक रूप से देश तरक्की करेगा। संघ की आगे की यात्रा और सपना ये है कि पूरा देश कदम से कदम मिलाकर चले। संघ के सामने जो भी कठिनाइयां आयी उसका सभी स्वयंसेवक ने मिलकर सामना किया। इसी का परिणाम है कि आज संघ के स्वयंसेवक समाज के हर क्षेत्र में मौजूद हैं जब कश्मीर में तिरंगा जलाया गया तब सबसे पहले संघ ने नारा दिया “जहां हुआ तिरंगे का अपमान वहीं करेंगे उसका सम्मान” इसलिए ये कहना कि संघ को सिर्फ भगवा से प्यार है तिरंगा से नही बिल्कुल बेबुनियाद है। पूरे देश ने संघ को स्वीकार किया है , आज देश के हर जिले में हर कोने में हर समाज के बीच संघ उपस्थित है। 5 अगस्त 1947 को गुरुजी कराची में उपस्थित थे। क्योंकि संघ को हिंदुओं की रक्षा करनी थी। डॉ हेडगेवार को राजनीति करनी होती तो वो राजनीतिक पार्टी का गठन करते , उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की क्योंकि उन्हें देश सेवा करना था राजनीति नहीं। संघ की स्थापना ही देश सेवा के लिए और देश पर हो रहे आघात से देश को बचाने के लिए संघ का जन्म हुआ। देश की युवा शक्ति जागरूक है। कैंपस के छात्र को भड़काने वाले लोगों को छात्रों ने पहचान लिया है। देश के युवाओं को बरगलाने वाले सफल नहीं होंगे।

पांचजन्य के साथ जुड़ी है विश्वसनीयता – श्री अनुराग ठाकुर 

तीसरा सत्र संवाद का रहा। इसमें वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा, आर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने केंद्रीय सूचना एवं प्ररारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर से चर्चा की। इसमें श्री अनुराग ठाकुर भविष्य के भारत की योजना तो बताई ही, उन बातों को भी रेखांकित किया जो पिछले कुछ वर्षों में भारत को ऊंचाई पर ले गए। उन्होंने कहा कि यह समय क्रेडिबिलिटी का है। पांचजन्य के प्रथम संपादक अटल जी रहे, यही क्रेडिबिलिटी पांचजन्य के नाम के साथ जुड़ी है। सही खबर, सत्य खबर कहीं मिलती है तो उसमें पांचजन्य का भी योगदान है। उन्होंने कहा कि 2010 में मैं युवा मोर्चा का अध्यक्ष था। सांसद भी था। कश्मीर में 2500 सैनिक पथराव में घायल हो चुके थे। कोई कश्मीर पर कोई सांसद बोलता नहीं था। विशेष कानून खत्म करने का इरादा था। फौजी आतंकियों से लड़ते कि मुकदमों से। हमने कलकत्ता से कश्मीर तक तिरंगा यात्रा निकाली। तिरंगा चंद गज का कपड़ा नहीं, इसमें करोड़ लोगों को एकजुट करने की शक्ति है। हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया तो जम्मू कश्मीर के घर घर पर तिरंगा लहराया। मुझे कठुआ की जेल में डाला गया। अरुण जेटली जी सुषमा स्वराज को जेल में बंद किया गया। मुझे याद है कि जिस दिन धारा 370 हटी। उस दिन सुषमा जी का फोन आया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र जी, अमित जी आपने करके दिखा दिया। मोदी सरकार में तीन तलाक हटा, 35ए हटा। आज हम भारत को आगे ले जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज लोगों को राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक अभियान में लाना है। जातिवाद से बाहर निकलकर भारत को मजबूत करने का समय है।

हम ओलंपिक भी आयोजित करेंगे

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत आज G20 , हॉकी वर्ल्ड कप ,क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन कर रहा है, इसलिए यह मान लीजिए कि आने वाले समय में हम भारत में ओलंपिक भी आयोजित करेंगे। हमारे पास अनुकूल इनफ्रास्ट्रक्चर है, ऐसे आयोजन के लिए स्टेडियम हैं, एयरपोर्ट हैं। खेल संस्थाओं में आज खिलाड़ियों को ही जिम्मेदारी दी जा रही है। पीटी उषा इसका उदाहरण हैं। लेकिन खेल संस्थान के पदाधिकारियों में खेल की बारीकियों की जानकारी के साथ-साथ प्रबंधन भी आना चाहिए। आज सूर्य कुमार यादव वो कर के दिखाता है जो बाकी खिलाड़ी नहीं कर पाते। ये तभी हुआ जब उसे अवसर मिला।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि मैं जब BCCI में था तब खिलाड़ियों के विदेशी टूर ज्यादा कर दिया था। हमारे खिलाड़ी जब बाहर जाकर खेलते हैं और परफॉर्म करते हैं तब उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। आज हमारी क्रिकेट टीम सभी फॉरमेट में मजबूत है। जो खिलाड़ी हार के आते हैं उन्हें भी मोदीजी घर पर बुलाकर उसका मनोबल बढ़ाते हैं।इसी का परिणाम है कि आज हमने थॉमस कप जीतकर इतिहास रच दिया है। 30 हजार करोड़ का निर्यात रक्षा के क्षेत्र में आज हमने किया है। पहले हम बाहर से हथियार मंगाते थे ,आज हम दूसरों को हथियार दे रहे हैं।

भारत को तोड़ने की कोशिश करने वालों पर होगी कार्रवाई

दुनिया के पहले टॉप 3 स्टार्टअप देश में आज भारत शामिल है। ये मोदी जी जिनका विजन और हमारे युवाओं की काबिलियत को दिखाता है। हमारे यहां कभी GST 1 लाख करोड़ से ज्यादा कलेक्शन नहीं होता था। लेकिन पिछले 16 महीनों से GST कलेक्शन लगातार सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है। कुछ अंतरराष्ट्रीय अखबार भी हैं जो हमारे देश के खिलाफ एजेंडा चलाते हैं। कोरोना के समय उन्होंने कहा कि भारत में कई लाख मौतें होंगी। लेकिन कोरोना से लड़ाई के लिए सबसे पहली वैक्सीन पूरी दुनिया को भारत ने दिया। हमने ऐसे चैनल जो भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहे रहे, चाहे वो देश के अंदर से चल रहे हों या देश के बाहर से चल रहे हों, सब पर नियम के तहत हमने कार्रवाई की।

पहला कुफ्र का फतवा हजरत अली के खिलाफ जारी हुआ था- श्री आरिफ मोहम्मद खान 

केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान जी से पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने संवाद किया। मुस्लिम श्रेष्ठता बोध का प्रश्न सामाजिक विमर्श के रूप में आया है। क्या मौलाना वर्ग ने मुस्लिम समाज को एक अलग तरह से श्रेष्ठता बोध में भरने का काम किया है। इस प्रश्न के जवाब में आरिफ मोहम्मद खान जी ने कहा कि इसे इतिहास के परिप्रेष्य में देखें तो पहला कुफ्र का फतवा किसी गैर मुस्लिम के लिए नहीं। इस्लाम की पहली सदी की बात है। उस व्यक्तित्व के खिलाफ आया जिसकी परवरिश पैगंबर साहब ने की थी। हजरत अली के खिलाफ पहला फतवा लगा। उसी फतवे के नतीजे में उनका कत्ल किया गया। फतवा कभी भी धार्मिक कारणों से नहीं हो सकता है। दो सौ बार आयत आई है कुरान में जहां कहा गया है कि – ये दुनिया में जो तुम्हारे बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन जब मरने के बाद मेरे पास आओगे तो हम फैसला करेंगे कि सही कौन है बुरा कौन है। कुरान ये अधिकार तो पैगंबर को भी नहीं देता कि सही या बुरे का फैसला करें।

मेरे खिलाफ फतवा जारी हुआ

सन 80 में मुझे चुनाव लड़ना था। इंदिरा जी से कहा कि मैं देहात में पैदा हुआ हूं तो कानपुर मत भेजिए। तो इंदिरा जी ने कहा कि आपकी हिंदी अच्छी है और हम 1952 से यह सीट नहीं जीते। उस समय हिंदी का कोई शब्द भी आ जाए तो कुफ्र का फतवा जारी हो जाता था। मेरे खिलाफ फतवा जारी हुआ कि मैं हिंदी बोलता हूं, तिलक लगवाता हूं, आरती करवाता हूं। मेरे नाम में भी उन्हें खामी नजर आई। दाराशिकोह पर कुफ्र का फतवा जारी किया गया। फतवा केवल राजनीतिक हथियार के रूप में लिया जाता रहा है।

मुफ्त की रेवड़ियां विषय नहीं है, विषय यह है कि आप उसे दे पाते हो कि नहीं – निर्मला सीतारमण

बात भारत की कार्यक्रम में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी शामिल हुईं। वरिष्ठ पत्रकार तृप्ति श्रीवास्तव और पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने उनसे संवाद किया। मुफ्त की रेवड़ियों पर पूछे गए सवाल पर निर्मला सीतारमण जी ने कहा कि इसकी चर्चा तेजी से हो रही है। लोग एक-दूसरे को फंसाने के लिए ये विषय उठाते हैं। लेकिन विषय यह नहीं है, विषय यह है कि चुनाव के समय जो वादे करते हैं, सरकार में आने के बाद क्या उन फ्री के वादों को पूरा कर सकते हैं। यह सच्चाई तब ध्यान में आती है जब सरकार में आते हो। जैसे कि बिजली का मुद्दा। यदि आप मुफ्त में दे सकते हो तो इसे बजट में दिखाओ। उसके लिए व्यवस्था करो, साल के अंत में वह हिसाब-किताब दो। लेकिन ऐसा नहीं होता है। वोट तो आपने कमाया लेकिन जब भुगतान का मामला आता है तो वह मोदी जी पर डाल दो। ये ठीक नहीं है। पावर सेक्टर में आज यही दिक्कत हो रही है। आप डिस्कॉम जनरेटिंग कंपनी को पैसा नहीं देते। मुफ्त में बिजली बटवारे का जिम्मा लेने को कोई तैयार नहीं है। आपने वादा किया तो पेमेंट करो। विषय यह है।

आम जनता को ये चीजें कैसे समझ आएंगी। इस सवाल के जवाब में कहा कि जनता को समझाना चाहिए। लेकिन ये कठिन है। इसलिए इसका होमवर्क करके बात करें। एसेंबली का विवरण दिखाएं कि उसके लिए पैसा कहां है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चैरिटी के लिए सोशल वेलफेयर के लिए जो भी खर्च उठाना है तो वह अब भी उठा रहे हैं। इसके साथ ही वर्ष 2020 से पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपेंडिचर पर फोकस किया गया है।

पाकिस्तान का मुद्दा उठा

पाकिस्तान में गरीबी का मुद्दा भी उठा। पाकिस्तान की नीति पर भारत के रुख पर पूछे गए सवाल पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी भी हमें मोस्ट फेवर नेशन का दर्जा नहीं दिया। और इससे पहले कितनी भी कोशिश हुई। ट्रेड फेयर हो, व्यापार हो इस पर भी पाकिस्तान से सही रिस्पांस नहीं आया। पुलवामा पर अटैक के बाद हमने ट्रेड रिलेशनशिप को उतना नहीं रखा।

विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत के निगेटिव नैरेटिव पर उन्होंने कहा कि ये सब इंडेक्स बनाने वाली संस्था हैं। उनके सरकार द्वारा पैसा मिलेगा कि नहीं यह पता नहीं, लेकिन ये सरकारी नहीं हैं। अपने यहां के कुछ वर्ग उनके डाटा को अपनी ही सरकार के खिलाफ यूज करते हैं। वे कैसे गलत इंडेक्स तैयार करते हैं, उसके खिलाफ भी लोग लिख रहे हैं। रिलीजियस फ्रीडम पर यूएसए में एक बॉडी है वह भारत के बारे में लिखते हैं। उनके नाम में यूएन का नाम है तो लोग भ्रमित होते है। वह एनजीओ है। आप देखिये, भारत का कोई एक एनजीओ ऐसा बोलेगा तो विदेश में क्या उसे कोई समर्थन मिलेगा? लेकिन अपने यहां ऐसा होता है। हमें इन सभी विषयों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। सही समय पर सटीक जवाब देना चाहिए। इस तरह के एनजीओ अपनी मेथेडोलॉजी बताएं, आप उनसे पूछें। भारत में लोग उनके पेरोल में भी हो सकते हैं।

भारत की ताकत को विश्व कभी नकार नहीं सकता – ज्योतिरादित्य सिंधिया  

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बात भारत की कार्यक्रम में शामिल हुए। उनसे संवाद किया पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर और वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा ने।

इस देश में 2014 के बाद दुनिया के दृष्टिकोण में भारत के बदलाव को कैसे देखा, इस सवाल पर उन्होंने विस्तार से जवाब दिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत की प्रस्तुतिकरण में एक बदलाव आया है। भारत की महत्वपूर्ण ताकत को इस विश्व में कभी भी कोई नकार नहीं सकता है। भारत की जो आवाज विश्व पटल पर होनी चाहिए, उससे वंचित रहा। मोदी जी ने जब पद ग्रहण किया तो उन्होंने एक प्रक्रिया की शुरुआत की, इंगेजमेंट की, भारत की आवाज विश्व पटल पर उजागर करने की भारत की क्षमता पूरे विश्व में दिखे ये काम किया। हम केवल 135 करोड़ केवल भारत में ही नहीं, साढ़े तीन करोड प्रवासी भारत के बाहर भी झंडा बुलंद किए हैं। हम आर्थिक मामले में 11 नंबर पर थे, लेकिन आठ साल में पांचवें नंबर पर आ गए। हमने विश्व के बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया। 2030 तक यह संकल्प लिया है कि जो भारत आज पांचवें पायदान पर है, वही भारत विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में प्रमाणित होगी। हमने यूके को पीछे छोड़ा हम लोग जर्मनी और जापान से भी आगे निकल जाएंगे। आज भारत का ग्रोथ रेट विश्व का सबसे बड़ा ग्रोथ रेट।

जैसे विमान को एक सशक्त पायलट की जरूरत होती है, उसे कमांड करने के लिए, उसी तरह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत ही नहीं विश्व का भी कमांड किया है, कोरोना के समय हमने इसे देखा। पहले भारत की आवाज की छोटी क्षमता होती थी, लेकिन आज निगाहें हैं भारत की ओर कि वह रास्ता सुझाएगा। जिस भारत में 75 वर्षों में एक वैक्सीन की खोज नहीं हुई, वही मोदी जी के नेतृत्व में दो दो वैक्सीन का निर्माण। पूरा देश हमारा परिवार है। कोरोना काल में भारत ने यह करके दिखाया।

जी 20 को पूरा भारत दिखाएंगे

उन्होंने कहा कि जी 20 का नेतृत्व भारत कर रहा है। इस बार मोदी जी पूरे जी 20 को पूरा भारत दिखाना चाहेंगे। 200 कार्यक्रम किए जाएंगे। एक एक राज्य में किए जाएंगे। आज सारे पड़ोसी देशों को . भारत कभी अकेले अग्रसर नहीं होता। भारत पड़ोसियों को लेकर आगे चलता है। दूसरे देशों में भारतीय एजेंसियों की ओर से कार्य किए जा रहे हैं। आज भारत में सबसे ज्यादा यूनिकार्न बन रहे हैं। हमने छह लाख गांवों तक यूपीआई की पहुंच बनाई। एक स्वाभाविक और संपूर्ण परिवर्तन। मोदी जी विश्व के आकर्षण के केंद्र में रहते हैं। यूक्रेन और रूस के युद्ध में पीएम मोदी की ओर निगाहें होती हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए हम सभी को लगना पड़ेगा, पढ़ना पड़ेगा – श्री मुकुल कानिटकर

शाम के सत्र में प्रख्यात शिक्षाविद् मुकुल कानिटकर जी ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था और रिसर्च पर कई तथ्यों को साझा किया। उन्होंने ये भी बताया कि किसी समय दुनिया की आर्थिक व्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी दो तिहाई से अधिक थी।

उन्होंने कहा कि कर्म वही है जो बंधन में न बांधे और विद्या वही है जो मुक्त करे। भारत अपनी स्वाधीनता का अपना अमृत महोत्सव मना रहा है। पांचजन्य भी शंखनाद का अमृत महोत्सव मना रहा है। श्री कानिटकर ने कहा कि 75 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी अपना स्वयं का संविधान प्रदान करने के बाद भी, स्व के अधीन होने के बाद भी आज हम जब अपने चारों तरफ देखते हैं तो क्या हम अपनी व्यवस्थाओं में भारत को देख पाते हैं। भारत तेजी से प्रगति कर रहा है हो सकता है कि हम नंबर एक पर पहुंच जाएंगे। लेकिन इस पर विचार किया क्या कि ऐसी कौन सी व्यवस्था थी कि विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत की भागीदारी दो तिहाई रही, पंद्रहवी शताब्दी तक। क्या स्वतंत्र होने के बाद इस पर विचार नहीं करना चाहिए। इतिहासकार विल डोरा को कहना पड़ा कि भारत संसाधन का वितरण करने वाला देश रहा। जो हिस्सेदारी दो तिहाई थी वह अंग्रेजों के समय यह 23 प्रतिशत पर आ गई।
1835 तक साक्षरता का स्तर 100 प्रतिशत था, ऐसा अंग्रेजों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है। सभी वर्ग के लोगों को शिक्षा मिलती थी। 1947 में शिक्षा का स्तर 18 प्रतिशत और दुनिया में जीडीपी की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत रह गई। मैगस्थनीज ने 2300 साल पहला लिखा कि पाटलिपुत्र के पास दो किसान लड़ते हुए मिले वह भी इस विषय पर कि ये सोने का घड़ा मेरा नहीं है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का तंत्र जीवन बनाती है। समस्त तंत्रों की जड़ है। न जाने कितने आक्रांता आए, उसके बाद भी इस देश के मर्म को नहीं तोड़ पाए। अंग्रेजों के समय शिक्षा का सरकारीकरण हो गया। सरकार की अनुमति से एक शब्द भी नहीं पढ़ा सकते थे। 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई है, पूरा परिणाम दिखने में 2030 तक लग सकते हैं। 1835 का शीर्षासन ठीक करने का काम राष्ट्रीय शिक्षा नीति कर रही है। क्रियान्वयन हम सभी को करना पड़ेगा। समाज के प्रत्येक वर्ग को इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सहयोग देने की जरूरत है। परिवर्तन की नींव है यह नीति। इसके पुष्पन पल्लवन के लिए हमें लगना पड़ेगा, पढ़ना पड़ेगा। अमेरिका सामरिक शक्ति के साथ ही ज्ञानशक्ति के दम पर राज कर रहा है। विश्वविध्यालयों में होने वाला रिसर्च राष्ट्रीय उत्थान पर होना चाहिेए।

मूल्यों का रक्षक है पांचजन्य – स्वामी अवधेशानंद जी महाराज

बात भारत की कार्यक्रम के समापन सत्र में स्वामी अवधेशानंद जी महाराज ने आर्शिवच दिए। उन्होंने कहा कि पांचजन्य मूल्यों का रक्षक है। पांचजन्य की आभा कभी क्षीण नहीं हुई। उन्होंने कहा कि अब भारत पूरे विश्व में चिंतन का विषय है। भारत के नागरिक, भारत की हर वस्तु चर्चा में है।

पूरे विश्व में आज भारत की बात हो रही है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि भारत बोले और हम सुनेंगे। भारत अपनी भाषा में बोले। कुछ दिनों पहले पश्चिमी विश्वविद्यालयों में इस पर चर्चा हो रही थी कि कौन सी संस्कृति पूरे विश्व में तेजी से फैल रही है, बिना कन्वर्जन के पूरे विश्व में छा रही है तो लोगों ने कहा कि वह है भारतीय संस्कृति। वहां यह बात शोध का विषय है। भारत का विचार शोध का विषय है।

उन्होंने भारतीय सस्कृति के गूढ़ तत्व की बात करते हुए कहा कि हमने केवल एक लोक की चिंता नहीं की। भारत पूरे विश्व को ही नहीं, सभी लोकों को अपना परिवार मानता है। जहां- जहां जीवन है उसकी स्वीकारोक्ति भारत द्वारा है। पश्चिम का कहना था कि गॉड पार्टिकल हाथ लगा। वह सार्वभौम है, वह सनातन है। इसकी बात तो हमने बहुत पहले कह दी थी। पूरे पश्चिम में यदि भारत की कोई बात स्वीकार की जा रही है तो वह है पुरुषार्थ, पराक्रम, क्योंकि वह थकेगा नहीं। पश्चिम में ऐसी चर्चा होती है कि कौन ऐसा प्राणी है जो व्यथित नहीं होता, आहत नहीं होता, विश्वासी है तो वह है भारत का आदमी। भारत का व्यक्ति आर्थिक छल नहीं करेगा, वैचारिक छल नहीं करेगा। पूरा संसार भारत की बात कर रहा है। भारत की औषधियों की, भारत के योग की। वर्ष 2007-08 योग दिवस पर अमेरिका में था। वहां तुलसी, नीम, बबूल, पेटेंट के लिए कोर्ट का चक्कर लगाया जा रहा था। हमने पूर्णता का पहाड़ा सिखाया है। उसमें कुछ घटाओ तो घटता नहीं। अभाव नाम की कोई वस्तु नहीं होती। अल्पता, रिक्तता कुछ नहीं होती। ये मस्तिष्क की उपज है। हमने पूर्णता का ज्ञान सिखाया। क्योंकि परमात्मा पूर्ण है। जितना परमात्मा पूर्ण है, उतना आप भी हैं। कृष्ण कहते हैं कि तू पूर्ण है।

Topics: पाञ्चजन्यLIVE75 वर्षहीरक जयंती
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