पीओजेके का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गिलगित-बाल्टिस्तान में पिछले दस से ज्यादा दिनों से आक्रोश में उबल रहा है। पहले भी समाचार दिया गया था कि वहां पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध आम नागरिक लामबंद हो चुके हैं। वे पाकिस्तान की बर्बरता से इतने दुखी हैं कि अब खुलेआम भारत से जोड़े जाने की मांग उठा रहे हैं।
एक तरफ कंगाल पाकिस्तान की सरकार दुनिया के आगे भीख का कटोरा लिए खड़ी है तो दूसरी तरफ उससे देश संभाले नहीं संभल रहा है। उधर गिलगित बाल्टिस्तान में सेना की बेवजह की सख्ती लोगों का जीना हराम किए हुए है। वहां यातनाएं इतनी बढ़ गई हैं कि आम लोगों के सब्र का बांध टूट चुका है। वे पिछले कई दिनों से दुकान, बाजार बंद करके सड़कों पर उतरे हुए हैं। नागरिक सरकार और सेना के विरुद्ध नारे लगा रहे हैं। अब तो उनकी बस एक ही मांग है कि वहां से गुजरती कारगिल की सड़क को खोल दिया जाए और गिलगित बाल्टिस्तान को भारत के लद्दाख के अंतर्गत करगिल जिले से जोड़कर उसी में शामिल कर दिया जाए।
गिलगित बाल्टिस्तान के नागरिकों का साफ कहना है कि पाकिस्तान की सरकार उनके साथ जबरदस्त भेदभाव बरत रही हैं। वे कह रहे हैं कि अब बहुत हो चुका है, अब गिलगित बाल्टिस्तान के बारे में वही कोई फैसला करेंगे।
उल्लेखनीय है कि इलाके की जनसांख्यिकी बदलने की साजिश के तहत पाकिस्तानी फौज बाहरी लोगों को वहां बसा रही है। इससे स्थानीयजन आहत हैं और उनके गुस्सा भरता जा रहा है। उनका आरोप है कि फौज की देखरेख और शह पर पंजाब तथा खैबर पख्तूनख्वा के लोग वहां बस रहे हैं और उनके पुरखों की जमीनों पर कब्जे करते जा रहे हैं। फौज उनकी सुरक्षा में लगी है, इसके लिए ढेरों जवानों की तैनाती की गई है। इसकी वजह से स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है। वे धरने—प्रदर्शन पर उतरे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने उम्मीद भरी नजरों से भारत की तरफ देखते हुए भारत सरकार से इस मामले में दखल देने की मांग भी की है।
स्थानीय नागरिकों के प्रदर्शनों की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वे हैरान करने वाली हैं। उनमें प्रदर्शनकारी नारे लगाते सुने जा सकते हैं। उनका नारा है—’आर-पार जोड़ दो, कश्मीर का दरवाजा खोल दो।’ प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि अब से हमारे बारे में फैसले इस्लामाबाद की सरकार नहीं लेगी। अब उसको हम ऐसा करने की इजाजत नहीं दे सकते। अब गिलगित बाल्टिस्तान के बारे फैसला वहां की अवाम ही करेगी।
प्राप्त समाचारों के अनुसार, सेना के कई जवान गिलगित इलाके में मिनावर गांव पहुंचे थे। वे वहां कथित कब्जे के लिए लोगों के घर और प्रतिष्ठानों को गिराने गए थे। इससे स्थानीय लोगों ने सेना का विरोध करते हुए खूब नारे लगाए। जैसा पहले बताया, पाकिस्तान की फौज काली कमाई के लिए सुनियोजित तरीके से लोगों की जमीनें कब्जाती जा रही है।
सेना के विरोध मोर्चा खोलने वाले मिनावर के लोगों को अपने आस-पास के गांवों के लोगों का समर्थन मिलता जा रहा है। प्रदर्शन में जमा लोग कहते हैं कि अब वे अपनी जमीनें किसी को नहीं कब्जाने देंगे, चाहे फौज उन पर गोली चला दे। उनका कहना है कि वे अपने पुरखों की जमीन पर किसी को भी, किसी कीमत पर भी कब्जा नहीं करने देंगे।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सेना के जवान आकर उन्हें बेवजह मारते हैं। वे उनकी जमीन पर कब्जा करके चले जाते हैं। सरकार कोई मुआवजा नहीं देती। एक आहत व्यक्ति का कहना था कि फौज उसकी 12 हजार कनाल जमीन हड़प चुकी है। अब बहुत हुआ, वे फौज वालों को एक इंच जमीन भी कब्जाने नहीं देंगे। एक अन्य ने कहा कि पाकिस्तानी फौजी जबरदस्ती उनके घरों और खेतों पर कब्जा कर लेते हैं।
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