हमें चाहिए वैज्ञानिक और कारोबारी मानस
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

हमें चाहिए वैज्ञानिक और कारोबारी मानस

हम भारतीयों में वैज्ञानिक तथा कारोबारी मानस दोनों की प्रधानता नहीं है। नागरिकों की एक बड़ी संख्या यथास्थिति बनाए रखने में संतुष्टि का अनुभव करती है

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Jan 13, 2023, 05:30 pm IST
in भारत, विज्ञान और तकनीक
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आईसीटी में छलांग लगाने के लिए हमें पारंपरिक से हटकर जोशीला और विजनरी (दृष्टिसंपन्न) नेतृत्व चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विजन से देश को एक सकारात्मक प्रेरणा दी है

हमारे इस लोकतांत्रिक राष्ट्र में, जिसका भविष्य चुनावी राजनीति से प्रभावित होता है और जहां अक्सर एक दल दूसरे दल की नीतियों तथा फैसलों को बदलने में हिचकिचाहट नहीं दिखाता, चीजें धीमी रफ़्तार से बदलती हैं। हम भारतीयों में वैज्ञानिक तथा कारोबारी मानस दोनों की प्रधानता नहीं है। नागरिकों की एक बड़ी संख्या यथास्थिति बनाए रखने में संतुष्टि का अनुभव करती है। हमारे यहां पारंपरिक कामकाज या नौकरियां अधिक पसंद की जाती हैं। पर कुछ बड़ा करने के लिए खुद को चुनौती देने, लीक से हटकर सोचने, नया सीखने, कुछ दमदार कर दिखाने, आय के गैर-पारंपरिक माध्यमों की खोज करने और नए अवसर पैदा करने की मानसिकता कम है। नौकरी बनाम उद्यमिता, सुविधा बनाम चुनौती, यथास्थिति बनाम नवाचार के मामलों में हम पहले विकल्प को अधिक पसंद करते रहे हैं। इसके पीछे हमारी विषम सामाजिक परिस्थितियों से लेकर शिक्षा प्रणाली के गलत फोकस का भी हाथ है और संभवत: ढाई सौ वर्ष की गुलामी के पश्च प्रभाव का भी। हालांकि अब स्थितियां बदल रही हैं जिसमें सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी की भूमिका है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जब भी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा शिक्षा के अन्य महत्वपूर्ण केंद्रों पर जाते थे, यही कहा करते थे कि हमें नौकरी करने वाले नहीं, बल्कि नौकरियां पैदा करने वाले युवकों को तैयार करना है। हमारी शिक्षा प्रणाली ज्ञान के साथ-साथ ऐसे कौशल प्रदान करने पर केंद्रित हो। एक युवक रोजगार खोजने के बजाय अगर दस दूसरे युवकों को नौकरी देने की तैयारी करे तो देश की शक्ल बदल सकती है।

युवा पीढ़ी की सोच उसकी किस्मत बदल देती है। सकारात्मक और नकारात्मक दोनों अर्थों में भी। सन् 2018 में अपनी शंघाई यात्रा के दौरान मैंने देखा था कि चीन के युवाओं की बहुत बड़ी संख्या आज उद्यम और कारोबार की मन:स्थिति में है। वहां शोध और नवाचार की प्रवृत्ति बढ़ी है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित (स्टेम) के स्नातकों और स्नातकोत्तरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चीन में सेंसरशुदा, फिल्टर्ड इंटरनेट उपलब्ध है लेकिन युवा फिर भी सहज हैं। वहां लोकतंत्र नहीं है लेकिन वे उसकी ओर से काफी हद तक बेपरवाह हैं। वे चार दशक पहले हुए लोकतंत्र समर्थक आंदोलन, थ्येनआनमन चौक की लोमहर्षक घटनाओं आदि से प्रभावित नहीं दिखते।

कौशल विकास समाज और सरकार के लिए वरीयता बन रहा है। नवाचार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। युवा पीढ़ी के साथ नेतृत्व का जुड़ाव पहले से कहीं बेहतर है। राष्ट्रव्यापी तकनीकी ढांचा खड़ा करने का सिलसिला चल रहा है। दर्जनों योजनाओं में रचनात्मक तथा नवीन दृष्टिकोण दिखाई दे रहा है। इस नेतृत्व ने देश को एक सकारात्मक झटका दिया है। हम आरामकुर्सी छोड़कर उठ खड़ें हों और चल पड़ें तो देश क्यों नहीं बदलेगा?

जनांकिकी लाभ पाने के लिए हमें भी एक पूरी की पूरी पीढ़ी की सोच बदल डालने की जरूरत है। पर चीन के विपरीत, हमारे लिए वह उतना आसान काम नहीं है। हालांकि हमारे पास चीन से बेहतर भी कुछ है और वह है हमारी सॉफ़्ट पावर, सकारात्मक वैश्विक छवि, भारत में बने उत्पादों की गुणवत्ता तथा साख, बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भारतीय पेशेवरों की मजबूत स्थिति और अंग्रेजी (हां, अंग्रेजी) पर हम भारतीयों की पकड़ क्योंकि वैश्विक बाजार में वह भी एक अहम पहलू बन जाती है।

आईसीटी में छलांग लगाने के लिए हमें पारंपरिक से हटकर जोशीला और विजनरी (दृष्टिसंपन्न) नेतृत्व चाहिए। डिजिटल तकनीकों को राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में कुछ गंभीरता से लिया गया। पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के दौर में भी किसी नाटकीय विचलन के बिना आईसीटी की प्रगति आगे बढ़ी। लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौर कुछ अलग है। वे अक्सर 4डी की बातें करते हैं जो हमें दूसरों से अलग करती है, यानी डेमोक्रेसी (लोकतंत्र), डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी), डिसाइसिवनेस (निर्णयात्मकता) और डिमांड (मांग)।

मोदी का विजन औरों से अधिक व्यापक दिखता है, जो डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, ई-गवर्नेंस, एम-गवर्नेंस आदि के रूप में दिखाई देता है। आज के भारत को इसकी आवश्यकता थी- जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान। संकल्पबद्ध, अडिग, मजबूत और दूरदृष्टा नेतृत्व के बिना भारत बड़ी जमीन नहीं तोड़ सकता, हां आईसीटी में अपने मौजूदा दर्जे को भले ही बरकरार रख ले। शिक्षा प्रणाली बदल रही है। नए प्रौद्योगिकी संस्थान, विज्ञान संस्थान और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान खुल रहे हैं। कौशल विकास समाज और सरकार के लिए वरीयता बन रहा है। नवाचार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। युवा पीढ़ी के साथ नेतृत्व का जुड़ाव पहले से कहीं बेहतर है। राष्ट्रव्यापी तकनीकी ढांचा खड़ा करने का सिलसिला चल रहा है। दर्जनों योजनाओं में रचनात्मक तथा नवीन दृष्टिकोण दिखाई दे रहा है। इस नेतृत्व ने देश को एक सकारात्मक झटका दिया है। हम आरामकुर्सी छोड़कर उठ खड़ें हों और चल पड़ें तो देश क्यों नहीं बदलेगा?
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट इंडिया में ‘निदेशक-भारतीय भाषाएं
और सुगम्यता’ के पद पर कार्यरत हैं।)

Topics: आईसीटी में छलांगप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीडिजिटल इंडिया‘मेक इन इंडिया’डॉ. एपीजे अब्दुल कलामभारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानयुवा पीढ़ीस्टार्टअप इंडियाई-गवर्नेंसएम-गवर्नेंस
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

विश्व में भारत का गौरव

कमला प्रसाद बिसेसर को सरयू का पवित्र जल सौंपते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो साभार: द हिन्दू)

राम मंदिर प्रतिकृति, गंगा और सरयू का पवित्र जल: पीएम मोदी का त्रिनिदाद की पीएम को उपहार

’21 हजार लगाओ, प्रतिदिन 1.25 लाख कमाओ’, क्या पीएम मोदी कर रहे निवेश योजना का प्रचार, जानें क्या है पूरा सच

शिक्षा से रोजगार तक

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के अपने अन्य साथियों के साथ

मिशन एक्सिओम-4 : अंतरिक्ष में छलांग ऊंची

भारत वैश्विक रक्षा बाजार में नई ताकत बनकर उभरा

नाटो के बढ़ते रक्षा बजट से भारत होगा मालामाल, पीएम मोदी की रणनीति का दिखेगा असर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वाले 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies