उत्तराखंड के देहरादून जिले में कालसी, चकराता फॉरेस्ट रेंज में अवैध कब्रिस्तान बनाए जाने का मामला सुर्खियों में है। अब इसी स्थान से ऊपर मुस्लिमों द्वारा बनाई गई अवैध मजार भी नजर आई है। ये वो रिजर्व फॉरेस्ट है, जहां आम इंसानों की आवाजाही की मनाही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वन विभाग में कार्यरत मुस्लिम या कोई अन्य भी मजार जिहाद में शामिल है?
पिछले दिनों देहरादून फॉरेस्ट रेंज में वन विभाग ने अवैध मजारें हटवाई थी, उससे पहले वन विभाग द्वारा राज्य के जंगलों में अवैध मजारों को जब चिन्हित किया गया तो करीब तेरह सौ अवैध मजारें सामने आईं। ये संख्या चौकाने वाली है। इस मजार जिहाद का “पाञ्चजन्य” ने खुलासा किया था।
दरअसल, देहरादून में चकराता फॉरेस्ट डिवीजन में कालसी क्षेत्र के रिजर्व फॉरेस्ट की रिजर्व फ्रंट की कक्ष संख्या 17 की जंगल जमीन पर जबरन कब्रिस्तान बनाए जाने की खबर आई थी। अब जानकारी मिली है कि इसी क्षेत्र की पहाड़ी पर मुस्लिम समुदाय द्वारा एक मजार भी बना दी गई है। रिजर्व फॉरेस्ट जहां वन विभाग किसी भी आम इंसान को पैर तक नहीं रखने देता है वहां ईंट गारे सीमेंट टाइल्स लेकर मजदूर मिस्त्री और अवैध कब्जा करने वाले कैसे पहुंच गए?
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक वन विभाग के उच्च अधिकारी इस बात की भी खुफिया जांच करने में लगे हैं कि कहीं उनके अपने विभाग के मुस्लिम कर्मचारी या अधिकारी तो इस मजार जिहाद को संरक्षण तो नही दे रहे हैं? इस मामले में एक आईएफएस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क, रामनगर फॉरेस्ट, हल्द्वानी डिवीजन, राजा जी टाइगर रिजर्व में ये मजारें किसके संरक्षण में बनीं, इस पर विभागीय स्तर से जांच किए जाने की बात विश्वस्त सूत्रों ने दी है।
बहरहाल उत्तराखंड सरकार और उनके वन मंत्रालय ने मजार जिहाद को गंभीरता से लिया है, बहुत सी मजारें तोड़कर हटा दी गई हैं, लेकिन अभी भी दर्जनों अवैध मजारें ऐसी हैं जिन पर कार्रवाई किए जाने का इंतजार है।
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