तुर्किए के राजदूत उइगर मुसलमानों के दमन के गवाह चीन के सिंक्यांग प्रांत का दौरा करने वाले थे लेकिन बीजिंग ने उनको ऐसा करने से रोक दिया। इस घटना से न सिर्फ तुर्किए और चीन में तनाव बढ़ गया है बल्कि उन समाचारों की भी पुष्टि होती है कि चीन उइगरों को यातनाएं देता आ रहा है।
सिंक्यांग में बदहाली में जीने को मजबूर उइगर मुसलमानों को लेकर चीन और तुर्किए के बीच तलवारें खिंची हैं। चीन द्वारा तुर्किए के राजदूत को सिंक्यांग का दौरा करने से रोकना इस विवाद को हवा दे गया है। इस संबंध में पहले से जानकारी में मौजूद उन समाचारों की सत्यता को बल ही मिला है कि बीजिंग ने सिंक्यांग में कई यातना केन्द्र बनाए हुए हैं, उनमें अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों को तरह तरह की यातनाएं दी जाती हैं।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद की प्रमुख ने चीन में अल्पसंख्यक उइगरों तथा अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार हनन को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। उस रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि चीन ने सिंक्यांग में 2017—2019 के बीच बड़ी तादाद में उइगर मुसलमानों को कैद किया था, उन्हें ‘प्रशिक्षण केन्द्रों’ में रखकर जबरदस्त यातनाएं दी जाती रही हैं। उइगर महिलाओं की नसबंदी की गई है, उनका यौन उत्पीड़न किया गया है, जबरन मजदूरी कराई जाती है आदि।
पोर्टल ‘इनसाइडओवर’ में प्रकाशित एक आलेख के अनुसार, चीन जिस तरह उइगर अल्पसंख्यकों का दमन कर रहा है उसकी तुर्किए ने पहली बार सार्वजनिक रूप से भर्त्सना की है। इस बात से कम्युनिस्ट चीन चिढ़ा हुआ है। वह इतना गुस्से में आ गया है कि उसने तुर्की के साथ चल रही एक साझा परियोजना पर काम बंद कर दिया है।
तुर्किए के विदेश मंत्री कैवुसोग्लू ने एक बयान दिया था कि चीन को यह बात रास नहीं आती कि तुर्किए तुर्क उइगरों के मानवाधिकारों का संरक्षण करने की बात करे। उन्होंने इसे एक मानवीय मुद्दा बताते हुए कहा था कि चीन ने तुक्रिए सरकार से उइगरों को चीन वापस भेजने को कहा था, जिससे मना करने के बााद से चीन और चिढ़ा हुआ है।
यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि गत दिसंबर माह में तुर्किए के विदेश मंत्री कैवुसोग्लू ने एक बयान दिया था कि चीन को यह बात रास नहीं आती कि तुर्किए तुर्क उइगरों के मानवाधिकारों का संरक्षण करने की बात करे। उन्होंने इसे एक मानवीय मुद्दा बताते हुए कहा था कि चीन ने तुक्रिए सरकार से उइगरों को चीन वापस भेजने को कहा था, जिससे मना करने के बााद से चीन और चिढ़ा हुआ है।
रिपोर्ट में यह उल्लेख भी है कि चीन उइगरों सहित अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन कर रहा है। इस रिपोर्ट की चर्चा करते हुए कैंवुसोग्लू ने कहा था कि तुर्किए तो इस बारे में पूरी पारदर्शिता रखते हुए चीन के साथ सहयोग करने का इच्छुक है, लेकिन बीजिंग में बैठे अधिकारियों द्वारा उसके राजदूत को सिंक्यांग में जाने की अनुमति न दिया जाना समझ से बाहर है। ये कोई पारदर्शिता नहीं है।
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