मिशनरियों के विरुद्ध फूटा आक्रोश
Monday, June 5, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • Podcast Series
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • Podcast Series
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत

मिशनरियों के विरुद्ध फूटा आक्रोश

वनवासियों का कन्वर्जन करने में जुटी ईसाई मिशनरियों को अब विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इससे मिशनरियों में बौखलाहट है और इसी बौखलाहट में वे हिंसा पर उतर आए हैं

पंकज झा by पंकज झा
Jan 11, 2023, 03:10 pm IST
in भारत, विश्लेषण, छत्तीसगढ़
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में वनवासी समुदाय आंदोलित है। कारण, नारायपुर जिले की एड़का ग्राम पंचायत में कन्वर्जन का विरोध कर रहे वनवासियों पर लाठी-डंडों से लैस ईसाई मिशनरियों ने हमला किया। समाज ने बार-बार पुलिस से शिकायत की, पर कोई कार्रवाई नहीं की गई

छत्तीसगढ़ में वनवासियों का कन्वर्जन करने में जुटी ईसाई मिशनरियों को अब विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इससे मिशनरियों में बौखलाहट है और इसी बौखलाहट में वे हिंसा पर उतर आए हैं। बीते 31 दिसंबर और 1 जनवरी को नारायणपुर जिले की एड़का ग्रामपंचायत में कन्वर्जन का विरोध कर रहे वनवासियों पर एक पादरी के नेतृत्व में लाठी-डंडे से लैस 300 से अधिक नव-ईसाइयों ने हमला किया। मिशनरियों ने पुलिस को भी नहीं बख्शा। फिर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। लिहाजा, अगले दिन 20 से अधिक वनवासी गांवों के हजारों लोगों ने नारायणपुर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद गुस्साए लोगों ने चर्च में तोड़फोड़ कर दी। प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प में पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार घायल हो गए। पुलिस की अनदेखी, ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे जबरन कन्वर्जन और उनके हिंसक हमले से आक्रोशित जनजातीय समुदाय ने 5 जनवरी को बस्तर संभाग में बंद का आह्वान किया, जिसे विभिन्न संगठनों का सहयोग मिला।

दुखद पक्ष यह है कि वनवासी समुदाय की ओर से 50 से अधिक शिकायतों और चेतावनी देने के बावजूद भी प्रशासन ने समय रहते कारवाई नहीं की। प्रशासन पर शायद शासकीय दबाव था, इसलिए मिशनरियों के हमले में पुलिसकर्मियों के घायल होने बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। नारायणपुर ही नहीं, बस्तर संभाग के सभी जिलों के वनवासी समुदाय आंदोलित हैं और मिशनरियों के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। ईसाई मिशनरियों के हमले के विरोध में सात सूत्री मांगों को लेकर ‘सर्व आदिवासी समाज’ ने समूचे बस्तर संभाग में बंद और चक्का जाम का आह्वान किया। राजनीतिक स्वार्थ के लिए मिशनरियों की अवैध गतिविधियों के प्रति शासन के उदासीन रवैये ने हालात को विस्फोटक बना दिया है।

राज्य की कांग्रेस सरकार के संरक्षण के कारण ईसाई मिशनरियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब वे हिंसा पर उतर आए हैं। बस्तर में जबरन कन्वर्जन को लेकर जब सुकमा के एसपी ने चिट्ठी लिखी थी, तब राज्य सरकार उसे झुठला रही थी।

चेतावनी की अनदेखी
बस्तर के हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि अक्सर ईसाई रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार के कारण वनवासी समुदाय और नव-ईसाइयों के बीच मारपीट की नौबत आ जाती है। नक्सल प्रभावित बस्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में ऐसी स्थिति रातोंरात नहीं बनी। संभाग के पुलिस अधिकारियों ने भी कई बार चेताया था कि भविष्य में इस तरह की घटना हो सकती है। बस्तर संभाग के सुकमा जिले के एसपी ने बीते साल जुलाई में सभी अनुविभागीय अधिकारियों को पत्र लिख कर बस्तर में वनवासी समुदाय में पनप रहे आक्रोश के प्रति आगाह किया था। उन्होंने लिखा था, ‘‘ईसाई मिशनरियां एवं नव-ईसाई लगातार अंदरूनी क्षेत्रों में घूम-घूम कर स्थानीय आदिवासियों को बहला-फुसला रहे हैं और लालच देकर वनवासियों को कन्वर्जन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके कारण भविष्य में स्थानीय वनवासियों और कन्वर्ट हो चुके वनवासी समुदाय (नव-ईसाई) के बीच विवाद की स्थिति निर्मित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।’’

बस्तर संभाग के कमिश्नर जी.आर. चुरेंद्र ने भी ऐसी ही आशंका जताई थी। उन्होंने कहा था कि संभाग में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत संवेदनशील हो सकती है। फिर भी राज्य की कांग्रेस सरकार न केवल हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, बल्कि ऐसी किसी भी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना से भी इनकार करती रही। यहां तक कि भूपेश बघेल सरकार में कैबिनेट मंत्री भी समय-समय पर सांप्रदायिक हिंसा को लेकर चिंता जताते रहे हैं। टी.एस. सिंहदेव ने सरगुजा संभाग में रोहिंग्याओं की बड़ी बसावट और जनसांख्यिकीय बदलाव को लेकर आशंका जताई थी। बीते साल मई में राज्य के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी जबरन कन्वर्जन पर चिंता जताते हुए तंज कसते हुए कहा था कि आखिर कन्वर्जन से कोई श्रेष्ठ कैसे हो सकता है? नया मत अपनाने वालों को स्वर्ग और हमें नरक मिलेगा? प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव कहते हैं, ‘‘राज्य की कांग्रेस सरकार के संरक्षण के कारण ईसाई मिशनरियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब वे हिंसा पर उतर आए हैं। बस्तर में जबरन कन्वर्जन को लेकर जब सुकमा के एसपी ने चिट्ठी लिखी थी, तब राज्य सरकार उसे झुठला रही थी। अब उसी कन्वर्जन के लिए एसपी पर पथराव हुआ है। अब कांग्रेस क्या बोलेगी? सच तो यह है कि कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के शांत वातावरण में जहर घोल दिया है।’’

कांग्रेस की तुष्टीकरण नीति
भाजपा नेता के बयान और तथ्य साफ संकेत करते हैं कि ईसाई मिशनरियां और कांग्रेस एक-दूसरे की पूरक हैं। ईसाई कांग्रेस को वोट देते हैं, बदले में कांग्रेस उनका तुष्टीकरण करती है। नारायणपुर जहां मिशनरियों ने वनवासी समाज पर हमला किया, वहां का दौरा कर कांग्रेस के स्थानीय विधायक चंदन कश्यप ने कहा कि वह और उसकी पार्टी ‘मसीह समाज’ के साथ है। इसका वीडियो क्षेत्र में वायरल होने के बाद वनवासी समाज में कांग्रेस के विरुद्ध भी आक्रोश पनपने लगा है। इससे पहले, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी ‘मसीह समाज’ के लोगों से मुलाकात की थी। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद नारायणपुर या बस्तर ही नहीं, बल्कि समूचे प्रदेश में देश और धर्म विरोधी तत्वों के हौसले बुलंद हैं। ईसाई मिशनरियों ने सरगुजा संभाग और राजधानी रायपुर तक अपना जाल बिछा रखा है। इन्हें हर जगह शासन का संरक्षण है, जबकि इनका विरोध करने वालों को शासन का प्रकोप झेलना पड़ता है। पिछले दिनों इसी तरह की एक घटना में रायपुर में एक मिशनरी पकड़ा गया था। उसने पुलिस चौकी में संविधान जलाने की बात कही, इसके बावजूद पुलिस ने न केवल उसे छोड़ दिया, बल्कि उसके विरुद्ध शिकायत करने वाले हिंदू कार्यकर्ताओं पर ही मुकदमे लाद दिए गए।

कांग्रेस के राज में जिहादियों के भी हौसले बुलंद हुए हैं। कुछ समय पूर्व कवर्धा में भगवा झंडेका अपमान करते हुए एक स्थानीय मुस्लिम विधायक और कैबिनेट मंत्री के गुर्गों ने दंगे जैसे हालात बना दिए थे। हालात इतने बिगड़ गए थे कि राज्य गठन के बाद पहली बार कवर्धा में कर्फ्यू लगाने की नौबत आ गई थी। इससे पूर्व कांग्रेस सरकार ने ‘दावत-ए-इस्लामी’ को 25 एकड़ जमीन आवंटित की थी। लेकिन विपक्ष के विरोध के बाद सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा था। यही नहीं, मुख्यमंत्री के पिता नंद कुमार बघेल भी भगवान राम के बारे में अमर्यादित टिप्पणी कर, जातिगत विद्वेष फैलाकर समाज को बांटने का प्रयास कर चुके हैं।

नारायणपुर की घटना के तथ्यान्वेषण के लिए भाजपा द्वारा गठित कमेटी, जिसमें सांसद और स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल हैं, को जिले की सीमा में ही घुसने नहीं दिया गया। एक ओर कानून-व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर टीम को रोका गया, दूसरी ओर ईसाई समर्थित एजेंसियां वहां जाकर दुनिया भर में एकतरफा रिपोर्ट भेज कर सूबे को बदनाम कर रही हैं। उनकी रिपोर्ट में ईसाई मिशनरियों को पीड़ित और लाचार बताया गया है, जबकि जनजातीय समुदाय को खलनायक। इस रिपोर्ट के आने के एक हफ्ते के भीतर ही चर्च के इशारे पर ईसाई समूह ने 2 बार वनवासी समुदाय पर हमले किए, जिसमें समाज के दो दर्जन लोग घायल हो गए। राजनांदगांव के सांसद संतोष पांडेय ने कहा, ‘‘बस्तर में जंगल में विदेशियों को घुसने से रोको, मिशनरियों को रोको, पादरियों को रोको। हम स्थानीय लोगों को क्यों रोक रहे हो? क्यों हमारे आस्था के केंद्रों को खत्म कर रहे हो?’’

कुल मिलाकर स्थिति यह है कि चर्च और नक्सली गठजोड़ ने सूबे के हालात को और बिगाड़ दिया है। नक्सलियों के पर ही ईसाई मिशनरियां बेधड़क वनवासी इलाकों में कन्वर्जन कर रही हैं। बीते 5 दशकों में एक-दो घटनाओं को छोड़ दें तो नक्सलियों ने चर्च और ईसाई मिशनरियों पर कभी हमला नहीं किया।

Topics: ईसाई मिशनरिनवासी समुदाय आंदोलितकांग्रेस की तुष्टीकरण नीति
ShareTweetSendShareSend
Previous News

महान विभूति बाबू प्रेम सिंह, जिन्होंने हैदराबाद के निजाम के खिलाफ किया था आंदोलन

Next News

जोशीमठ : भू-धंसाव प्रभावित प्रत्येक परिवार को तत्काल डेढ़ लाख रुपए की आर्थिक सहायता

संबंधित समाचार

छिवाला में ईसाई छल

छिवाला में ईसाई छल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अमेरिका में बढ़ रहे हिन्दू, सनातन संस्कृति का हो रहा प्रसार

अमेरिका में बढ़ रहे हिन्दू, सनातन संस्कृति का हो रहा प्रसार

उत्तरकाशी : लव जिहाद मामले को लेकर लोगों में आक्रोश बरकरार, 15 को होगी महापंचायत

उत्तरकाशी : लव जिहाद मामले को लेकर लोगों में आक्रोश बरकरार, 15 को होगी महापंचायत

आमार बांग्ला: राजनीति का रक्तचरित्र

आमार बांग्ला: राजनीति का रक्तचरित्र

मेरठ : एटीएस ने चार बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्त में लिया, पूछताछ जारी

मेरठ : एटीएस ने चार बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्त में लिया, पूछताछ जारी

उत्तराखंड : 7वीं-8वीं सदी के दो मंदिर हो गए गायब, ASI ने दी जानकारी

उत्तराखंड : 7वीं-8वीं सदी के दो मंदिर हो गए गायब, ASI ने दी जानकारी

ओडिशा : हादसे वाली साइट पर 51 घंटे बाद गुजरी पहली ट्रेन, हाथ जोड़ कर प्रार्थना करते नजर आए रेल मंत्री

ओडिशा : हादसे वाली साइट पर 51 घंटे बाद गुजरी पहली ट्रेन, हाथ जोड़ कर प्रार्थना करते नजर आए रेल मंत्री

वेनेजुएला : सोने की खदान में बाढ़ का पानी भरने से 12 मजदूरों की मौत

वेनेजुएला : सोने की खदान में बाढ़ का पानी भरने से 12 मजदूरों की मौत

संघ की प्रार्थना करते अधिकारी एवं स्वयंसेवक

स्वार्थी तत्व जनजातीय समाज को हिंदुओं से अलग दिखा कर समाज में विभेद पैदा करना चाहते हैं : डॉ सुखी उरांव

आज का इतिहास : एपल ने 2001 में खोले थे पहले दो रिटेल स्टोर

आज का इतिहास : पर्यावरण चिंता के लिए महत्वपूर्ण दिन

विश्व पर्यावरण दिवस : भौतिक उपभोग में निरंतर वृद्धि विनाशकारी

विश्व पर्यावरण दिवस : भौतिक उपभोग में निरंतर वृद्धि विनाशकारी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies