फ्रांस के चर्चित और निडर समाचार पत्र शार्ली एब्दो ने पिछले दिनों ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला सैयद अली होसेनी ख़ामेनेई का कार्टून प्रकाशित किया था। इससे हिजाब विरोध से कांपती ईरान की सत्ता में हायतौबा मच गई। उसने तेहरान स्थित फ्रांस के राजदूत को तलब करके अपनी नाराजगी जताई। लेकिन ईरान के हुक्मरानों का गुस्सा इतने से शांत नहीं हुआ। अब कल वहां कार्यरत फ्रांस के एक शोध संस्थान को बंद करा दिया गया।
तेहरान में फ्रांस के राजदूत से बात करते हुए गुस्साए ईरानी नेताओं ने कहा कि फ्रांस अपनी हद में रहे तो ही अच्छा होगा। कहा कि ईरान अपने मजहबी या सियासी नेताओं की बेइज्जती कभी सहन नहीं करेगा।
शार्ली एब्दो फ्रांस का वह समाचार पत्र है जो वर्षों से चर्चित रहा है। इस बार फिर से वह सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें खामेनेई का एक कार्टून छापा गया था। खामेनेई खुमैनी के बाद ईरान के सबसे बड़ी मजहबी नेता और मार्गदर्शक बताए जाते हैं। उनके कार्टून को देखकर ईरान तिलमिला उठा। उसने फ्रांस सरकार के सामने अपना गुस्सा दिखाया। लेकिन उधर शार्ली हेब्दो ने बयान दिया कि उसे यह कार्टून छापने पर कोई पछतावा नहीं है।
फ्रांस की सरकार ने विवाद को गंभीरता से लेते हुए अपने यहां के अराजक तत्वों पर बारीक नजर रखनी शुरू की है। लेकिन ईरान इतने से राजी नहीं हुआ, उसे फ्रांस सरकार से शायद कुछ ज्यादा करने की उम्मीद थी। वह नहीं हुआ तो उसने अपने यहां दसियों साल से काम कर रहे फ्रांस के एक शोध संस्थान को बंद करने का हुक्म दे डाला। ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में एक बयान जारी करके साफ कर दिया है कि शार्ली एब्दो में खामेनेई के कार्टून के विरुद्ध ऐसा किया गया है।
खामेनेई खुमैनी के बाद ईरान के सबसे बड़ी मजहबी नेता और मार्गदर्शक बताए जाते हैं। उनके कार्टून को देखकर ईरान तिलमिला उठा। उसने फ्रांस सरकार के सामने अपना गुस्सा दिखाया। लेकिन उधर शार्ली हेब्दो ने बयान दिया कि उसे यह कार्टून छापने पर कोई पछतावा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि शार्ली एब्दो ने वह कार्टून छापकर ईरान में जारी हिजाब विरोधी प्रदर्शन के प्रति अपना समर्थन जताया था। उसने ऐसा करके ईरान के सुप्रीम नेता पर ताना कसा था। लेकिन ईरान को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने फ्रांस को अपनी सीमाएं न लांघने की हिदायत दे दी। ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दुल्लाहियन ने ट्वीट करके कहा, ‘ईरान के मजहबी तथा राजनीतिक नेताओं के विरुद्ध फ्रांस के प्रकाशन के अपमानित करने वाले इस बर्ताव का जवाब दिया जाएगा।…फ्रांस सरकार अपनी सीमा में रहे क्योंकि लगता है कि फ्रांस की सरकार ने गलत रास्ता चुन लिया है’। उन्होंने यह भी बताया कि ईरान ने इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित वाली सूची में शामिल कर दिया है।
इससे पहले ईरान तेहरान में फ्रांस के राजदूत निकोलस रोश को बुलाकर अपनी नाराजगी जता चुका था। ईरान के विदेश विभाग के प्रवक्ता नासेर कनानी का कहना है कि ‘फ्रांस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस्लामी देशों की पवित्रता की बेइज्जती करने का कोई हक नहीं है। हमें इस बात का इंतजार है कि फ्रांस सरकार फ्रांस के उस समाचार पत्र के विरुद्ध क्या कदम उठाती है।
इस सबके बावजूद शार्ली एब्दो माफी मांगने या अफसोस जताने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। शार्ली एब्दो का कहना है कि ‘हमने तो बस ईरान में चल रहे प्रदर्शनों की सचाई दिखाने की कोशिश ही की है’। शार्ली ने अपने बयान में कहा है कि ईरान में 1979 से जो विचारधारा लोगों को प्रताड़ित करती आ रही है, उससे आजादी पाने के लिए जो लोग अपनी जान हथेली पर रखकर प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें हमने इस तरीके से समर्थन दिया है’।
इस प्रकरण में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नजदीक माने जाने वाले पूर्व मंत्री नथाली लोइसो ने एक बयान जारी करके कहा है कि ईरान की ‘चेतावनी दखल देने की कोशिश है और यह एक धमकी है’।
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