अटल जी से सीखा कैसे जीयें जीवन
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

अटल जी से सीखा कैसे जीयें जीवन

अटल जी का वो कैसा आकर्षण था जो संपर्क में, फिर आत्मीयता

by हितेश शंकर
Jan 4, 2023, 10:51 am IST
in भारत, गोवा, साक्षात्कार
सागर मंथन सुशासन संवाद में श्री संजय पासवान से संवाद करते श्री हितेश शंकर

सागर मंथन सुशासन संवाद में श्री संजय पासवान से संवाद करते श्री हितेश शंकर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अटल जी को सुनना प्रेरित कर जाता था। हर बार उनसे कुछ सीखने को मिलता था। उनके ठहाके लोगों को प्रफुल्लित कर देते थे। उनका एक-एक कदम, उनकी भाव-भंगिमाएं संदेश देती थीं। सागर मंथन-सुशासन संवाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत के अंश –

आपने अटल जी का नाम पहली बार कब सुना था, और उन्हें किस तरह जाना था?
सबसे पहले तो पूरे पाञ्चजन्य परिवार को मेरी ओर से शुभकामना, बधाई और आशीर्वाद कि आपने इस जलसे को गोवा जैसे नगर में किया। वर्ष 1975-76 में जब मैं दसवीं कक्षा में था, उस वक्त दौर था इंदिरा जी को सुनने का, वे बहुत दौरा करती रहती थीं। तो 1976 में अटल जी का आना हुआ था सहरसा जिले में, लोगों ने कहा कि बहुत अच्छा बोलते हैं, चलो, सुनने चला जाए। उसी में हम सब लोग उनको सुनने गए। बात तो कोई समझ में नहीं आई लेकिन ऐसा लगा कि कक्षा के कोई हिंदी या भाषा के शिक्षक बोल रहे हैं। लगा कि अच्छे शिक्षक हैं ये। नेता का मतलब हम लोग बिहार में धूम-धड़ाम समझते थे। हमारे यहां नेता का मतलब आक्रामक होना था। मुझे लगा कि कवि की मुद्रा में कोई बोले, ऐसा भी नेता कोई हो सकता है क्या। मैंने पिताजी से पूछा कि ये कौन थे, नेता थे कि कवि थे कि विद्वान थे। तो पिताजी ने कहा कि सबकुछ थे ये। उस समय सोचा कि अगर कभी नेता बने तो ऐसे ही नेता बनेंगे।

अटल जी का वो कैसा आकर्षण था जो संपर्क में, फिर आत्मीयता में बदला?
हम लोग जब छात्रजीवन में थे, तो उन दिनों परिसर में वामपंथी होना एक रोमांटिक यात्रा होती थी। उस भ्रम में हम भी चले गए। पटना में पता चला कि अटल जी आ रहे हैं। मैंने साथियों से कहा कि चलकर उनको सुना जाए। तो साथियों ने विरोध किया। लेकिन मैं उनको सुनने गया। उनको सुनकर लगा कि उनके भाषणों इस्तेमाल कर अच्छे छात्रनेता बन सकते हैं। लय के साथ बोलने की कला हमने उनसे सीखी। इस पर वामपंथी साथियों ने मुझे नजरअंदाज करना शुरू किया और फिर इतना मजबूर कर दिया कि मैं तलाशने लगा कि अटल जी के समर्थक छात्र कौन से हैं। तब उस सिलसिले में पाञ्चजन्य, अभाविप और मजदूर संघ के लोगों के संपर्क में आया। इस तरह से इस पूरे परिवार से जुड़ने का मौका मिला।

क्या आपको सांसद बनने से पहले अटल जी के साथ मंच साझा करने, साथ में दौरा करने का कोई मौका मिला था?
जब हम भाजपा में आए तो बिहार में पार्टी का प्रदेश महासचिव बने। 1991 और 1996 के चुनाव में उनकी यात्रा को मैं ही देख रहा था। वे मछली खाने के बहुत शौकीन थे। अटल जी कहीं जाते थे तो पूछते थे कि कैसे लोग हैं, कैसी भाषा है, वहां की भोजन पद्धति क्या है, वहां कोई महापुरुष हुआ था, कुछ बड़े लोग कौन हैं, वहां की कौन सी महत्वपूर्ण फसलें हैं, वहां का ऐतिहासिक महत्व क्या है, सांस्कृतिक महत्व क्या है? इससे हम लोगों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिला कि कहीं जाओ तो वहां के बारे में जानो। सांसद बनने से पहले दर्जनों बार उनके साथ रहने का मौका मिला। वे हंसते थे तो आसपास के लोगों को प्रफुल्लित कर देते थे। उनसे सीखा कि कैसे जीवन को जीया जाता है। उनका एक-एक कदम, उनकी भाव-भंगिमाएं एक संदेश देती थीं। उनसे बहुत कुछ सीखा हमने।

1999 की बात करें तो क्या रहा। लोकसभा का चुनाव था, चुनाव में आपके क्षेत्र में अटल जी का दौरा हुआ था, साथ मंच साझा करने का अनुभव क्या रहा?
मुझे लोकसभा का टिकट मिला, अटल जी का प्रोग्राम बढ़िया से हो, मंडलीय स्तर पर उनका कार्यक्रम हो, वो बोले कि वे नवादा आएंगे। वह नवादा नहीं, नैवेद्यम है। उनका कार्यक्रम बना, हम लोग साथ थे, चुनाव का 12वां दिन था, दाढ़ी बढ़ी हुई थी, चेहरा काला हो गया था, उन्होंने संजय कह कर पुकारा। संजय कहां हो। वह भी एक तरह का प्रचार था, कि अटल जी संजय को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। उस चुनाव में पूरे बिहार में सर्वाधित वोट मुझे ही मिला, मैं तीन लाख वोट के अंतर से जीता था।

 जब किसी व्यक्ति को निकट से देखते हैं, दूर से देखते हैं, साथ समय बिताते हैं, तो आपका अनुभव गाढ़ा होता है। चुनाव में आपने देखा, संसद में भी देखा, दोनों में वक्ता के तौर पर कोई अंतर आपको दिखता था क्या?
सदन में अपनी बातों को रखना, और चुनाव में अपनी बातों को रखना, दोनों के ही अपने राग, सुर, ताल हैं। मैंने जब उन्हें सदन में देखा तो वह बिल्कुल अलग अटल थे। सदन में में टेक्निकल थे, बाकी मैदान में मैकेनिकल थे। सदन में जब विवाद होता था, तो अटल जी और चंद्रशेखर जी आते थे। जब ये दोनों प्रवेश करते थे सदन में तब सारा सदन मौन हो जाता था। दोनों आपस में एक-दूसरे को बोलने के लिए कहते थे। उस बोली में निश्चित तौर पर सबके लिए, निष्पक्ष बोलते थे। सबको संतुष्ट करते थे, यह उनका कद था।

विज्ञान और परंपरा को अटल जी ने जोड़ा। अटल का ए-अंबेडकर, टी यानी ठेंगरी जी, पुन: ए यानी अबुल कलाम आजाद और एल से लोहिया-इनका पूरा भाव था तो कुल मिलाकर अभ्युदय, सर्वोदय, अंत्योदय और पुनरोदय का सम्मिश्रण थे। अटल का अ ओंकार है, ट टंकार है। आ भारत की बात हो रही है। पहले बात इंडिया की हो रही थी। अटल जी के समय से ही भारत की बात शुरू हुई। जो अपने भाव को राग और ताल में रखे, वही भारत है।

आप बाद में मंत्री भी बने, तो आपको पहले से सूचना थी क्या?
जब भी कोई सांसद, विधायक बनता है, तो उसे अपने मंत्री बनने का इंतजार रहता है। 1999 में चुन कर आया तो प्रतीक्षा थी। पासवान जी बिहार से थे ही, तो मैं निश्चिंत था कि मैं नहीं बन पाऊंगा। गुजरात विवाद के समय उन्होंने छोड़ दिया। फिर आडवाणी जी का फोन आया कि कल आ जाओ, आपको मंत्री बनना है। उसके 10 मिनट बाद वेंकैया जी का फोन आया कि आपको मंत्री नहीं, महामंत्री बनना है। मैंने चर्चा की तो लोगों ने कहा कि मंत्री बनो, महामंत्री छोड़ो। मेरे लिए मुश्किल था। बाद में मैंने मंत्री बनना तय किया। प्रमोद महाजन जी के साथ संचार राज्य मंत्री बना।

मंत्री के तौर पर अनुभव जो था, उसमें चुनौतियां क्या थी, उपलब्धियां क्या थीं।
जब कोई पहली बार चुन कर आता है तो लोगों की चाहत होती है कि रेल मंत्रालय और कोयला मंत्रालय। परंतु मैंने संचार समिति को स्वीकार किया। इसलिए प्रमोद जी ने कहा कि इसे मंत्री बनाया जाए। उस वक्त कनेक्टिविटी का रिवॉल्यूशन हुआ। अटल जी और प्रमोद जी को धन्यवाद कि सिम कार्ड, जो पहले क्लास में थे, वह मास में आ गया।

एक बार बहुत विवाद हुआ था, आप आग पर चले थे। कोई सदस्य विवाद में आ जाए तो अटल जी कैसे डील करते थे?
हम लोग जिस जाति के हैं, उसमें चैत और सावन के महीने में आग पर चलने की परंपरा है। हम लोग बचपन में चले थे। 2003 में पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में भगत, ओझाओं का एक सम्मेलन हुआ। उसमें एक भगत आग पर चला। उसने फिर मुझे ललकार दिया। तो मैं चल दिया। मीडिया ने इस पर काफी चर्चा की। मैं उस वक्त मानव संसाधन में मंत्री हो गया था। तो सवाल यह उठाया गया कि शिक्षा मंत्री आग पर चलकर क्या संदेश दे रहा है। तो लोगों ने कहा कि डिप्टी पीएम से मिलो। मैं इस्तीफा लेकर डिप्टी पीएम से मिला। उन्होंने कहा कि छवि खराब हुई है, पीएम से मिलिए। अटल जी से मिला तो उन्होंने पूछा कि तुम्हारी जाति में यह कई सौ साल से परंपरा है। मैंने बताया कि लोग मुझे इस्तीफा देने के लिए कहा है। अटल जी ने मना कर दिया। विज्ञान और परंपरा को अटल जी ने जोड़ा।
अटल का ए-अंबेडकर, टी यानी ठेंगरी जी, पुन: ए यानी अबुल कलाम आजाद और एल से लोहिया-इनका पूरा भाव था तो कुल मिलाकर अभ्युदय, सर्वोदय, अंत्योदय और पुनरोदय का सम्मिश्रण थे। अटल का अ ओंकार है, ट टंकार है। आ भारत की बात हो रही है। पहले बात इंडिया की हो रही थी। अटल जी के समय से ही भारत की बात शुरू हुई। जो अपने भाव को राग और ताल में रखे, वही भारत है।

Topics: LeftistsABVP and Trade UnionsAbul Kalam AzadL to LohiaAtal Ka Omkar HaiT Tankar#panchjanyaअभाविप और मजदूर संघवामपंथीअबुल कलाम आजादपाञ्चजन्यएल से लोहियाविज्ञान और परंपराअटल का अ ओंकार हैlearned how to live life from atal ji Science and Traditionट टंकार
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

इंदौर में लव जिहाद का मामला सामने आया है

इंदौर पर गड़ी ‘जिहादी नजर’

वक्फ संशोधन विधेयक : तुष्टीकरण की राजनीति पर संवैधानिक अंकुश

राज कुमार भाटिया को प्रदान किया गया प्रो. देवेन्द्र स्वरूप सम्मान

राज कुमार भाटिया को मिला पहला प्रो. देवेन्द्र स्वरूप सम्मान

Panchjanya Manthan CM Yogi Aaditynath Sanatan Dharma

औरंगजेब पर सीएम योगी की खरी-खरी: विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन बंद करें नहीं तो संभल जैसा सच सामने आएगा

अमृत अभिजात जी

महाकुंभ में CM योगी आदित्यनाथ की पहल: पुलिस प्रशिक्षण और जनता के व्यवहार से मिली सफलता- अमृत अभिजात

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Chmaba Earthquake

Chamba Earthquake: 2.7 तीव्रता वाले भूकंप से कांपी हिमाचल की धरती, जान-माल का नुकसान नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

जबलपुर: अब्दुल रजाक गैंग पर बड़ी कार्रवाई, कई गिरफ्तार, लग्जरी गाड़ियां और हथियार बरामद

China Rare earth material India

चीन की आपूर्ति श्रृंखला रणनीति: भारत के लिए नया अवसर

भारत का सुप्रीम कोर्ट

बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर रोक लगाने से SC का इंकार, दस्तावेजों को लेकर दिया बड़ा सुझाव

भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब

CM भगवंत मान ने पीएम मोदी और भारत के मित्र देशों को लेकर की शर्मनाक टिप्पणी, विदेश मंत्रालय बोला- यह शोभा नहीं देता

India US tariff war

Tariff War: ट्रंप के नए टैरिफ और भारत का जवाब: क्या होगा आर्थिक प्रभाव?

रील बनाने पर नेशनल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या कर दी गई

गुरुग्राम : रील बनाने से नाराज पिता ने टेनिस खिलाड़ी की हत्या की, नेशनल लेवल की खिलाड़ी थीं राधिका यादव

Uttarakhand Kanwar Yatra-2025

Kanwar Yatra-2025: उत्तराखंड पुलिस की व्यापक तैयारियां, हरिद्वार में 7,000 जवान तैनात

Marathi Language Dispute

Marathi Language Dispute: ‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

‘पाञ्चजन्य’ ने 2022 में ही कर दिया था मौलाना छांगुर के मंसूबों का खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies