हिजाब विरोध में उबल रहे ईरान में अब एक और हिजाब को लेकर सरकार का विरोध करने वाले को फांसी की सजा सुनाई गई है। लेकिन इस बार सजा पाने वाला कोई आम प्रदर्शनकारी नहीं, बल्कि देश के एक जाने—माने लेखक, कलाकार हैं। ये ईरानी लेखक हैं मेहदी बहमन। इन्होंने पिछले साल अक्तूबर में एक इस्राएली टीवी चैनल ‘चैनल13’ पर ईरान के शासन के विरुद्ध मत रखा था। इधर इंटरव्यू पूरा हुआ उधर ईरानी लेखक को चैनल के दफ्तर से निकलते ही पकड़ लिया गया। मेहदी पर ‘जासूसी’ का मुकदमा चलाया गया था।
इस बीच देश भर में हिजाब विरोधी प्रदर्शन जारी हैं। इसमं मेहदी बहमन को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद और उबाल आने की संभावना है क्योंकि वे एक सुधारवादी और निष्पक्ष आवाज माने जाते हैं।
सितम्बर 2022 में 22 साल की महसा अमीनी की कथित पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से भड़के हिजाब विरोधी आंदोलन में अभी तक 11 प्रदर्शनकारियों को फांसी पर टांगा जा चुका है। सैकड़ों हिरासत में लिए गए हैं जिनमें विश्वविद्यालयों के छात्रों की सख्या अधिक है। उल्लेखनीय है कि ईरान सरकार की सख्ती के ताजा शिकार हुए मेहदी बहमन अपनी रचनाओं में पांथिक सद्भाव की बात करते रहे हैं।
ईरान के सरकारी अधिकारियों ने इंटरव्यू में मेहदी की कही बातों को सरकार विरोधी ठहराते हुए बिना देर किए उन्हें चैनल से बाहर आते ही गिरफ्तार कर लिया। इस ईरानी लेखक ने अपने वक्तव्य में शासन की कथित आलोचना की थी। सरकार की ओर से बताया गया कि उन्होंने इंटरव्यू में देश में इस्लामी कानूनों को लागू करने को लेकर भी अपने विचार व्यक्त किए थे। मेहदी ने बातों—बातों में ईरान और इस्राएल के बीच शांति होने की कामना की थी।
बता दें कि सितम्बर 2022 में 22 साल की महसा अमीनी की कथित पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से भड़के हिजाब विरोधी आंदोलन में अभी तक 11 प्रदर्शनकारियों को फांसी पर टांगा जा चुका है। सैकड़ों हिरासत में लिए गए हैं जिनमें विश्वविद्यालयों के छात्रों की सख्या अधिक है। उल्लेखनीय है कि ईरान सरकार की सख्ती के ताजा शिकार हुए मेहदी बहमन अपनी रचनाओं में पांथिक सद्भाव की बात करते रहे हैं। वे अनेक मत पंथों से जुड़ी कलाकृतियां बनाते आए हैं। उन्होंने जिस शिया मजहबी नेता मासूमी तेहरानी के साथ वर्षों तक काम किया था, उसे भी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान हिजाब विरोधी आंदोलन ईरान में 1979 में हुई इस्लामी क्रांति के बाद सबसे बड़ा आंदोलन साबित हो रहा है। इसके चलते, सरकार और नागरिकों के बीच जबरदस्त टक्कर दिख रही है, दोनों ही पक्षों को इसका बड़ा मोल चुकाना पड़ा है, लेकिन अभी इसके थमने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। एक मानवाधिकार एजेंसी का कहना है कि, देश के विभिन्न हिस्सों में ये प्रदर्शन चल रहे हैं, जिसमें अभी तक अंदाजन 500 से ज्यादा प्रदर्शकारी मारे जा चुके हैं।
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