बीते दो दिनों में एशियन एलिफेंट कॉरिडोर में दो जंगली हाथियों की मौत होने से वन विभाग अचंभित है। दोनों हाथियों की उम्र ज्यादा नहीं थी। एक हाथी की मौत उत्तराखंड के वेस्टर्न सर्कल फॉरेस्ट तो दूसरे की कॉर्बेट के अमानगढ़ क्षेत्र में हुई है, जो उत्तर प्रदेश वन क्षेत्र में पड़ता है।
अमानगढ़ के डीएफओ अनिल पटेल के मुताबिक करीब पंद्रह साल के हाथी का शव मकोनिया बीट में मिला है, जिसका पोस्टमार्टम करवाया गया है। पोस्टमार्टम करने पीलीभीत टाइगर रिजर्व से पशु चिकित्सक बुलाए गए थे, हाथी की मौत किन वजहों से हुई इसका पता लगाया जा रहा है। हाथी के कान के पीछे जख्म भी मिला है। दिसंबर माह में ही बिजनौर वन क्षेत्र में एक हाथी के शव की बरामदगी हुई थी, जिसमें ये कहा गया था कि हाथियों के आपसी संघर्ष में ये मौत हुई है।
दूसरे हाथी की मौत कालाढूंगी फॉरेस्ट रेंज में नलनी बीट में हुई है। करीब आठ साल के इस हाथी के सभी अंग सुरक्षित बताए गए है। रेंजर खयाली राम के अनुसार हाथी की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम करवाया गया है, हाथी के शव को दफना दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक दोनों हाथी किसी बीमारी से ग्रस्त बताए गए हैं। सवाल यही उठता है कि वन्य जीवों के संरक्षण पर हर साल लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद इनको किसी रोग से ग्रसित होने पर उचित इलाज नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड सरकार को वन्य जीवों के इलाज के लिए एक अस्पताल बनाए जाने के लिए करोड़ों का बजट मंजूर किया हुआ है ये पैसा स्थल चयनित होने के बावजूद खर्च नहीं किया जा सका है।
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