स्थानीय निकाय चुनाव के संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपना कामकाज शुरू कर दिया है। आयोग की पहली बैठक हो चुकी है। प्रदेशव्यापी सर्वेक्षण के संबंध में नीतियों और प्रक्रियाओं पर विमर्श हुआ। बैठक के बाद मीडिया प्रतिनिधियों से संवाद करते हुए आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने बताया कि निकाय चुनाव विषयक अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय और माननीय उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाएगा। आयोग अपनी पहली रिपोर्ट अगले तीन माह में जमा कर देगी। इसके उपरांत 2-3 माह की अवधि में शेष आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आयोग का गठन छह माह की अवधि के लिए किया है। तय समय में कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने कहा कि सर्वेक्षण में सटीक डेटा प्राप्त हो, इसके लिए आयोग की टीम सभी 75 जिलों में जाएगी। स्थानीय जिला प्रशासन से सहयोग लिया जाएगा। सर्वेक्षण के परिणाम त्रुटिहीन हों, इसके लिए जनप्रतिनिधियों से भी सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। टीम जब जिलों में जाएगी, तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी संवाद-संपर्क करेगी। साथ ही, आवश्यकतानुसार आयोग के सदस्य सचिव की ओर से फोन नम्बर भी जारी किए जा सकते हैं।
पहली बैठक के बारे में जानकारी देते हुए अध्यक्ष ने कहा कि शनिवार की बैठक में सभी सदस्यों की उपस्थिति रही। एक सदस्य की उपस्थिति वर्चुअल माध्यम से हुई। पहली बैठक में आयोग ने सर्वेक्षण के लिए आगे की प्रक्रिया व पद्धति पर विचार किया है। आयोग मध्यप्रदेश, कर्नाटक व महाराष्ट्र आदि राज्यों के संबंधित प्रकरणों का भी अध्ययन करेगा। उन्होंने बताया कि आयोग ने अब विधिवत कामकाज शुरू कर दिया है, बैठक हर दिन होगी। यह बिल्कुल नया कार्य है, ऐसे में सभी बिंदुओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद ही कार्यवाही की जाएगी।
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