तिब्बती धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा ने बोधगया के ऐतिहासिक कालचक्र मैदान में श्रद्धालुओं को संबोधित किया। उन्होंने तिब्बत में चीन द्वारा बौद्ध मठों को निशाना बनाने पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि बौद्ध धर्म को नष्ट करने की चीन के प्रयास सफल नहीं होंगे। उन्होंने शांति और करुणा की बौद्ध शिक्षाओं का स्मरण भी कराया।
परम पावन दलाई लामा ने आगे कहा कि चीन सरकार कई बौद्ध विहारों को खत्म कर चुकी है, लेकिन तो भी वहां बौद्ध धर्म के प्रति लोगों की आसक्ति में कमी नहीं आई है, आज भी वहां बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयायी हैं।
तिब्बती धर्मगुरु कालचक्र मैदान में तीन दिवसीय बौद्ध सम्मेलन के समापन समारोह में भक्तों को संबोधित कर रहे थे। लगभग 90 हजार श्रद्धालुओं के साथ ही अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी गत शनिवार को संपन्न हुए इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
प्रवचन के क्रम में तिब्बत का उल्लेख करते हुए उन्होंने वहां बौद्ध अनुयायियों पर कम्युनिस्ट चीन के प्रहार और धर्म विरोधी कार्यों के संदर्भ में कहा कि चीन की बौद्ध धर्म का मिटा देने की कोशिशें सफल नहीं होंगी। चीन वहां मठों—बौद्ध विहारों पर हमले करके उन्हें खत्म कर रहा है। भिक्षुओं के प्रति सख्त कार्रवाई कर रहा है। चीन तिब्बत में ऐसे ऐसे कायदे थोप रहा है जिनसे उनका जीना मुहाल हो चला है। इन सब विषयों को लेकर दुनिया भर में बसे तिब्बती समाज में बहुत पीड़ा है। पश्चिमी देशों में भी इस बात को लेकर चिंता है कि तिब्बत में चीन बौद्धों पर अत्याचार कर रहा है।
लेकिन पूज्य दलाई लामा ने अनुयायियों को आश्वस्त किया है कि चीन कितना भी अत्याचार कर ले, लेकिन आज भी वहां बौद्ध धर्म के अनुयायियों की एक बड़ी संख्या है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जाने क्यों, चीन बौद्ध धर्म को ‘खतरे’ की तरह देखता है। तिब्बती धर्मगुरु ने चीन पर एक प्रकार से आक्षेप लगाते हुए कहा कि वह बौद्ध धर्म से जुड़ी संस्थाओं को खत्म कर रहा है, और उन्हें वहां निकाल बाहर करने के सुनियोजित प्रयास कर रहा है। यह काम वह एक अभियान की तरह चला रहा है।
पूज्य दलाई लामा ने कहा कि हमारा बौद्ध धर्म में दृढ़ विश्वास है। पूरे हिमालयी क्षेत्रों में स्थानीय निवासी बौद्ध धर्म के प्रति गहरी आस्था रखते हैं। यह भाव मंगोलिया और चीन में बड़ी संख्या में रहने वाले श्रद्धालुओं में भी है। लेकिन पता नहीं कैसे, चीन सरकार इसको एक ‘खतरा’ मानते हुए इसे जड़ से मिटा देने के अभियान चलाए हुए है। लेकिन ऐसे सभी प्रयास असफल होंगे, बौद्ध धर्म को खत्म नहीं किया जा सकता।
चीन में बौद्ध धर्म और उसके अनुयायियों पर सभी प्रकार के अत्याचारों के बावजूद आज भी वहां एनआई के मुताबिक, तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई ने आगे कहा कि आज भी चीन में बौद्ध धर्म के अनुयायिायों और मठों की अच्छी खासी संख्या है। वहां अनेक तिब्बती युवक समाज की इस पीड़ा से दुनिया को अवगत कराते रहे हैं। वे चीन की दुर्नीतियों का सार्वजनिक विरोध करते रहे हैं। यही वजह है कि आज संयुक्त राष्ट्र व अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों से तिब्बत की पीड़ा पर चिंता प्रकट की जाती है और इसके लिए चीन को कठघरे में खड़ा किया जाता है। वहां जिस प्रकार कम्युनिस्ट चीन मानवाधिकारों का हनन कर रहा है वह भी सबके संज्ञान में है। हाल ही में कोरोना प्रतिबंधों के नाम पर भी वहां शासकीय अत्याचारों की हद कर दी गई थी।
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