देश-दुनिया के इतिहास में 29 दिसंबर की तारीख ऐतिहासिक है। साल 1917 में इस तारीख को अविभाजित भारत में लाहौर के असलगुरु में जन्मे फिल्म और धारावाहिक निर्माता रामानंद सागर जो इतिहास रच गए हैं, वह किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं। लोक में रची-बसी गोस्वामी तुलसीदास की ‘श्रीरामचरित मानस’ को पर्दे में उतारने वाले रामानंद सागर बेशक आज इस दुनिया में नहीं हैं पर वह अपने धारावाहिक ‘रामायण’ के साथ अमर हैं।
अस्सी के दशक से पहले तक कई हिट फिल्में देने वाले रामानंद सागर की रामायण धारावाहिक बनाने की घोषणा से समूची फिल्म इंडस्ट्री आश्चर्यचकित रह गई थी। लोग सोचते थे कि भला ‘मुकुट-मूछ’ वाला धारावाहिक कौन देखेगा? मगर यह आशंका निर्मूल साबित हुई। रामानंद की रामायण ने टेलीविजन की दुनिया में रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। रामायण से पहले वो धारावाहिक ‘विक्रम और बेताल’ बनाकर इस दिशा में आगे बढ़े। सागर ने ‘विक्रम और बेताल’ के ‘राजा’ अरुण गोविल को रामायण में राम और रानी के किरदार में नजर आईं दीपिका चिखलिया को सीता की भूमिका में रखा।
25 जनवरी 1987 को दूरदर्शन पर धारावाहिक रामायण की पहली कड़ी प्रसारित की गई। इसे जनता का इतना प्यार मिला कि इसके बाद की कड़ियों के प्रसारण के वक्त सड़कों पर सन्नाटा पसरने लगा। इसकी सफलता के बाद रामानंद सागर ने लव कुश, श्रीकृष्ण, साईं बाबा, पृथ्वीराज चौहान, हातिम, चन्द्रगुप्त मौर्य और धर्म वीर धारावाहिक बनाया, लेकिन रामायण इन सब पर भारी पड़ी। भारत सरकार ने साल 2000 में उन्हें पद्म श्री प्रदान किया। 12 दिसंबर, 2005 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा। रामानंद सागर को लोग आज भी उनके धारावाहिक रामायण के लिए याद करते हैं।
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