रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अब वह फैसला लिया है जिसकी ठंड से ठिठुरते यूरोपवासियों को आशंका थी। तेल और गैस सहित खाद्यान्न के सबसे बड़े निर्यातक रूस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन के पाले में खड़े यूरोपीय संघ और उन देशों के प्रति एक कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें रूसी तेल और तेल से बने उत्पाद भेजने से इंकार कर दिया है। कल इस निर्णय पर पुतिन के हस्ताक्षर होने के बाद आगामी पहली फरवरी से यह प्रतिबंध लागू हो जाएगा। इसका सीधा असर जाड़ा से बेहाल यूरोप पर पड़ने की आशंका है।
रूस—यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए करीब 10 माह हो चुके हैं, लेकिन दोनों ही तरफ से अपनी अपनी जीत के दावे और दोनों पक्षों के पीछे खड़े देशों के उकसावे के चलते युद्ध का फिलहाल कोई ओर—छोर नहीं दिखा है। आधी दुनिया के लिए खाद्यान्न निर्यात करने वाले उक्त दोनों देशों से युद्ध की वजह से निर्यात ठप हो गया था। इसके बाद खाड़ी और अफ्रीकी देशों में खाद्यान्न संकट पैदा हुआ था, जो एक समझौते के तहत कुछ दिनों के लिए दूर किया गया।
क्रेमलिन से जारी किए गए बयान में लिखा है कि रूस की सरकार का प्रतिबंध 1 फरवरी, 2023 को लागू होगा, जो 1 जुलाई, 2023 तक प्रभावी रहेगा।लेकिन मसौदे में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह जोड़ा गया है कि विशेष मामलों में राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन प्रतिबंध को खत्म करने की अनुमति दे सकते हैं।
अब तेल को लेकर पुतिन द्वारा लिया कड़ा फैसला यूरोप में संकट खड़ा कर सकता है। रूस द्वारा यूरोपीय देशों को होने वाले तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के दूरगामी परिणाम होने की आशंका विशेषज्ञों और कूटनीतिकों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
पुतिन ने साफ कहा है कि यूरोपीय संघ के उन देशों को रूस अपने यहां से तेल निर्यात नहीं करेगा जिन्होंने तेल के मूल्य की कैपिंग की है। यूक्रेन से टकराव के बाद, रूस के राष्ट्रपति पुतिन का यह कदम बहुत सख्त माना जा रहा है। इस संबंध में प्रतिबंध के मसौदे पर पुतिन ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके अनुसार, यह प्रतिबंध 1 फरवरी 2023 से लागू हो जाएगा।
इस संबंध में क्रेमलिन से जारी किए गए बयान में लिखा है कि रूस की सरकार का प्रतिबंध 1 फरवरी, 2023 को लागू होगा, जो 1 जुलाई, 2023 तक प्रभावी रहेगा।लेकिन मसौदे में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह जोड़ा गया है कि विशेष मामलों में राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन प्रतिबंध को खत्म करने की अनुमति दे सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस बाबत पुतिन ने कुछ दिन पहले ही संकेत देते हुए कहा था कि रूस अपने तेल उत्पादन में कमी ला सकता है। उन्होंने कहा था कि दुनिया का जो भी देश पश्चिमी देशों की कीमतों की कैपिंग को मान्य करेगा उसे रूस का तेल नहीं मिलेगा। पुतिन ने यह वक्तव्य जी-7 देशों की बैठक के बाद दिया था। ध्यान देने की बात है कि फरवरी 2022 में यूरोपीय संघ तथा ऑस्ट्रेलिया ने समुद्र के रास्ते रूस से आने वाले कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर कैपिंग की घोषणा की थी।
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