क्या बदरीनाथ धाम का प्रवेश द्वार कहलाए जाने वाले जोशीमठ में भू-धंसाव का खतरा मंडरा रहा है ? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि यहां के 500 से ज्यादा भवनों के साथ-साथ भूमि पर भी दरारें दिखाई दे रही हैं, जिससे स्थानीय लोग दहशत में हैं और प्रशासन ने इसकी जांच के लिए विशेषज्ञ बुलाए हैं।
जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में 513 मकानों की दीवारों में दरारें देखी गई थीं, जिन्हें नगर पालिका परिषद ने चिन्हित किया था, लेकिन पिछले तीन दिनों में 46 और मकानों में ऐसी दरारें दिखाई देने लगी हैं। यानी अब कुल 559 मकानों में दरारें दिखाई देने से लोग दहशत में हैं। इनमें से 16 परिवारों के मकानों में ज्यादा स्थिति खराब बताई जा रही है।
कड़ाके की ठंड पड़ने से इन परिवारों को इन मकानों से बाहर निकाल कर किसी सुरक्षित स्थान पर भेजना भी एक चुनौती है। जानकारी के मुताबिक मकानों के अलावा कुछ खेत और सड़क मार्ग पर भी गहरी दरारें देखी गई हैं। नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष शैलेंद्र पवार ने बताया है कि अलग-अलग वार्डों के मकानों में ये दरारें देखी गई हैं। पालिका के अभियंताओं की टीम भेज कर निरीक्षण भी करवाया गया है।
इस बारे में जिला प्रशासन को जानकारी भी दी गई है। ये जोशीमठ जैसे पुराने ऐतिहासिक नगर के अस्तित्व का सवाल है। शैलेंद्र पवार ने बताया है कि जिलाधिकारी ने यहां देहरादून से भू गर्भीय जांच के लिए विशेषज्ञों को बुलाया है। उनकी रिपोर्ट के बाद ही हम आगे की योजना बनाएंगे। फिलहाल हालात पर नजर रखी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि जोशीमठ में भगवान नरसिंह मंदिर, शंकराचार्य मठ और अन्य धार्मिक केंद्र है और बद्रीनाथ, हेमकुंड जाने के लिए यहीं से श्रद्धालुओं का आना जाना होना है। ऐसे में यहां मकानों में आ रही दरारें एक बड़ी चिंता पैदा कर रही है और जोशीमठ के आसपास बड़ी-बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं भी काम कर रही हैं।
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