गत दिसंबर तक भोपाल में ‘श्रेष्ठ भारत बनाने में प्रबुद्धजन की भूमिका’ विषय पर एक व्याख्यानमाला आयोजित हुई। इसका उद्घाटन13 दिसंबर को हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के अमृतकाल में श्रेष्ठ भारत का निर्माण करने के लिए अनेक प्रकार के उद्यम करने होंगे।
आर्थिक, ज्ञान-विज्ञान, सामरिक और अन्य क्षेत्रों में हम अग्रणी रहें, इसके प्रयास हो रहे हैं, लेकिन श्रेष्ठ भारत होने के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत के ‘स्व’ का जागरण करके उसके अनुरूप समाज का निर्माण करना होगा। भारत 75 वर्ष पुराना देश नहीं है, यह हजारों वर्ष से अस्तित्व में है। भारत ऐसा देश है, जिसने हजारों वर्षों में विश्व को आदर्श जीवनशैली सिखाई है।
हम दुनिया के लिए बड़े भाई हैं। इस नाते हमारा दायित्व है, विश्व को आदर्श मार्गदर्शन देना, उन्हें करुणा और अपनत्व देना। मुख्य अतिथि और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के पूर्व निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि हमने 75 वर्ष पूर्व एक नई यात्रा प्रारंभ की।
इस यात्रा में हमने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। इन उपलब्धियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है। व्याख्यानमाला के दूसरे दिन का विषय था-‘ध्येयनिष्ठ जीवन की दिशा।’ वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री दीपक विस्पुते। तीसरे दिन अनेक विचारकों ने व्याख्यानमाला को संबोधित किया। पूरा कार्यक्रम भारतीय विचार संस्थान न्यास के अध्यक्ष सतीश पिंपलीकर की देखरेख में संपन्न हुआ।
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