कट्टर इस्लामी तालिबान के राज में बदतर होते जा रहे देश अफगानिस्तान में राहत और मानवीय मदद के काम में लगे विदेशी सहायता समूहों का भी काम करना मुहाल हो गया है। तालिबान को इन एनजीओ में काम कर रहीं महिलाओं को लेकर आपत्ति है। इस्लामी लड़ाकों की सरकार ने कहा है कि ये संगठन महिलाओं को काम पर न लगाएं क्योंकि ये इस्लामी तौर—तरीके से कपड़े नहीं पहनती हैं। तालिबान के इस फरमान के बाद से तीन गुस्साए एनजीओ ने अफगानिस्तान में अपना काम बंद कर दिया है। इन गैर सरकारी विदेशी संगठनों में ‘सेव द चिल्ड्रन’ संस्था भी है।
वैसे सब जानते हैं कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से ही उस देश में महिलाओं का जीना मुश्किल किया हुआ है। अगस्त 2021 के बाद से ढेरों ऐसे फैसले लिए गए हैं जो सीधे सीधे महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक बना चुूके हैं। महिलाओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। बच्चियों के लिए स्कूल के दरवाजे बंद करने वाले तालिबान ने हाल ही में विश्वविद्यालयों में भी लड़कियों की तालीम पर रोक लगा दी है।
इन एनजीओ में प्रमुख हैं सेव द चिल्ड्रन, द नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल तथा केयर। इन संगठनों की तरफ से कहा गया है कि वे तो अफगानिस्तान में लड़ाई, अकाल तथा आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने के काम में लगे हैं। लेकिन शायद तालिबान को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है। इसलिए वे हमारा काम बंद कराने के तरीके ढूंढ रहे हैं।
एएनआई की खबर है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने सभी स्थानीय तथा विदेशी गैर-सरकारी संगठनों को महिला कर्मचारियों को काम पर लगाने से बाज आने का हुक्म सुनाया है। इससे गुस्साए सहायता अभियान में जुटे तीन गैर-सरकारी संगठनों ने अपना काम बंद कर दिया है और इस समस्या का निदान न होने तक आगे काम न करने का फैसला किया है। तालिबान ने इन संगठनों में महिलाओं के काम करने पर रोक इसलिए लगाई है क्योंकि वे कथित तौर पर इस्लामी ड्रेस कोड का पालन नहीं कर रही थीं।
इन एनजीओ में प्रमुख हैं सेव द चिल्ड्रन, द नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल तथा केयर। इन संगठनों की तरफ से कहा गया है कि वे तो अफगानिस्तान में लड़ाई, अकाल तथा आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने के काम में लगे हैं। लेकिन शायद तालिबान को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है। इसलिए वे हमारा काम बंद कराने के तरीके ढूंढ रहे हैं। संगठनों का कहना है कि, उनके काम में महिलाओं की भी बड़ी भूमिका है, जिनके बिना वे अपना काम जारी नहीं रख सकते। इसलिए उन्होंने यह पाबंदी हटने तक काम रेाक देने का फैसला किया है।
पता चला है कि तालिबान सरकार की तरफ से कई स्थानीय तथा विदेशी एनजीओ को पत्र जारी करके इस फैसले की जानकारी दी गई है। यूरोपीय संघ ने अफगानिस्तान में गैर सरकारी संगठनों के काम में तालिबान द्वारा इस तरह की अड़चन पैदा करने पर उसकी कड़ी भर्त्सना की है।
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