‘धर्मनिरपेक्षता’ सिर्फ नारा नहीं
May 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्लेषण

‘धर्मनिरपेक्षता’ सिर्फ नारा नहीं

सांप्रदायिकता क्या है? ये प्रश्न इस देश में बीसियों साल से पूछे जा रहे हैं

by WEB DESK
Dec 25, 2022, 11:29 am IST
in विश्लेषण
अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

एक वास्तविक ‘धर्मनिरपेक्ष’ समाज बनाने का कार्य तभी पूरा होगा, जब भारतीयत्व स्वयं को प्रभावी रूप में प्रकट करेगा ताकि हम संकीर्ण आस्थाओं से ऊपर उठकर यह अनुभव कर सकें कि हम एक राष्ट्र हैं

सांप्रदायिक कौन है? सांप्रदायिकता क्या है? ये प्रश्न इस देश में बीसियों साल से पूछे जा रहे हैं। अभी तक इन प्रश्नों का ठीक-ठीक उत्तर नहीं मिला। मुस्लिम लीग केरल में संप्रदायवादी नहीं है, क्योंकि केरल में वह सत्तारूढ़ दल के साथ सरकार में शामिल है। मुस्लिम लीग केरल के बाहर संप्रदायवादी है, क्योंकि वह सत्तारूढ़ दल के खिलाफ है। … मुझे जमाते इस्लामी और जमीयते उलेमा में कोई फर्क नहीं दिखाई देता, सिवाय इसके कि जमीयते उलेमा कांग्रेस की पिछलग्गू है, सत्तारूढ़ दल के साथ संबंधित है और इसलिए वह संप्रदायवादी नहीं है, केवल जमाते इस्लामी संप्रदायवादी है।

हमें रिलीजन की जगह सांप्रदायिकता उपयोग करना चाहिए। सांप्रदायिकता को राजनीति का हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए।
– अटल बिहारी वाजपेयी

बांग्लादेश कहता है कि वह एक सेकुलर स्टेट है। … अगर बांग्लादेश मुस्लिम देश होते हुए भी सेकुलर देश हो सकता है तो हिंदुस्थान हिंदू देश होते हुए भी सेकुलर क्यों नहीं हो सकता? सांप्रदायिकता को मापने के अलग-अलग गज नहीं हो सकते। इसलिए तय होना चाहिए कि संप्रदायवाद क्या है? सांप्रदायिक कौन है? केवल राजनीतिक आधार पर यह तय नहीं हो सकता। …आज शादी-विवाह के कानून सबके लिए बने हुए हैं। मेरे मित्र श्री मोहसिन चार शादियां कर सकते हैं, लेकिन मैं नहीं कर सकता। क्या यह सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाली बात नहीं है? (कांग्रेस सांसद इंदर मल्होत्रा द्वारा ‘सांप्रदायिक अर्द्धसैनिक संगठन’ पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव के विरोध में 21 अप्रैल, 1972 के वक्तव्य के अंश)

भारत के ब्रिटिश शासन से मुक्त होने पर हमने अपनी संविधान निर्मात्री सभा में अपने लिए युगों से चली आ रही हमारी परंपरा और विरासत के अनुरूप ही ऐसा संविधान स्वीकृत और लागू किया जिसका लक्ष्य भारत के सभी नागरिकों को न्याय, समता व भ्रातृत्व के साथ विचार, अभिव्यक्ति, आस्था, धर्म व उपासना का स्वातंत्र्य उपलब्ध कराना था। हमारी परंपरा धर्मतांत्रिक राज्य की नहीं रही है। राज्य स्वयं को किसी विशेष धर्म के साथ नहीं जोड़ता था और न ही विभिन्न मत-पंथों के अनुयायियों के बीच भेद-भाव बरतता था। …शताब्दियों तक ऋषियों, मुनियों द्वारा पोषित इस दृष्टिकोण के कारण ही सभी धर्मों के अनुयायियों के प्रति समान व्यवहार पर आधारित विधान स्थापित करने का फैसला किया जा सका।

विभाजन व विभाजन के पहले और बाद में दृष्टिगोचर मजहबी उन्माद के बावजूद यह फैसला लिया गया था। यह बात भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि हमारे संविधान के निर्माताओं ने प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द का उल्लेख करना जरूरी नहीं समझा। यद्यपि उसके पहले दी गई स्वातंत्र्य की व्यवस्था में उन्होंने एक ‘धर्मनिरपेक्ष’ राज्य के आधारभूत सिद्धांतों को सम्मिलित किया था। …कोई राज्य लोकतंत्र होने का दावा कैसे कर सकता है और विभिन्न मत-पंथों के अनुयायियों के बीच भेदभाव बरत सकता है? यह तो सभी नागरिकों को समान मानने की लोकतांत्रिक आधारभूत मान्यता के ही विपरीत है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र का भविष्य और ‘धर्मनिरपेक्ष’ राज्य का भविष्य परस्पर संबंधित है।

…‘धर्मनिरपेक्षता’ को केवल नारा नहीं समझना चाहिए। यह कुछ मूल्यों का नाम है, एक जीवन पद्धति का नाम है। …‘धर्मनिरपेक्ष’ दृष्टिकोण का एक दूसरा तत्व है उन्माद का अभाव। यदि ‘धर्मनिरपेक्षता’ को जिंदा रहना है और फलना-फूलना है तो मजहबी पागलपन को रोकना होगा। व्यक्ति व समूह, दोनों स्तरों पर रोकना होगा। …मजहबी पागलपन की सार्वजनिक अभिव्यक्ति रोकने में राज्य की असफलता ‘धर्मनिरपेक्षता’ के लक्ष्य को पर्याप्त क्षति पहुंचा सकती है। मजहबी अल्पसंख्यकों के हितों को सुरक्षा प्रदान करने को ही ‘धर्मनिरपेक्षता’ नहीं माना जा सकता। भारत जैसे देश में, जहां मत-पंथ की इतनी विविधता है, जीवन पद्धति और भाषा की विविधता है, एकता और समरसता लाने का एकमेव मार्ग ‘धर्मनिरपेक्षता’ ही है।

(श्री अटल बिहारी वाजपेयी के 24 अगस्त, 1980 को प्रकाशित लेख के अंश) 

Topics: सांप्रदायिकता को राजनीतिधर्मनिरपेक्षबांग्लादेश मुस्लिम देशसेकुलर स्टेटभारत के ब्रिटिश शासनविभाजन व विभाजन के पहले
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

संसद में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू

‘भारत में सबसे सुरक्षित हैं अल्पसंख्यक, यहां के बहुसंख्यक धर्मनिरपेक्ष’, रिजिजू का विपक्ष को करारा जवाब

आई.एन.डी.आई. अलायंस हिंदुओं को जाति के नाम पर लड़ा कर हिंदुओं को खत्म करना चाहता है

बांटो और मिटाओ

1976 : संविधान का 42वां संशोधन : ‘इंडिया’ बनाम ‘इंदिरा’

कुटिलता की पराकाष्ठा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद असम में कड़ा एक्शन : अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी…

jammu kashmir SIA raids in terror funding case

कश्मीर में SIA का एक्शन : पाकिस्तान से जुड़े स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़, कई जिलों में छापेमारी

बागेश्वर बाबा (धीरेंद्र शास्त्री)

पाकिस्तान बिगड़ैल औलाद, जिसे सुधारा नहीं जा सकता : पंडित धीरेंद्र शास्त्री

शतरंज खेलना हराम है… : तालिबान ने जारी किया फतवा, अफगानिस्तान में लगा प्रतिबंध

चित्र प्रतीकात्मक नहीं है

पाकिस्तान पर बलूचों का कहर : दौड़ा-दौड़ाकर मारे सैनिक, छीने हथियार, आत्मघाती धमाके में 2 अफसर भी ढेर

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान में बड़ा हमला: पेशावर में आत्मघाती विस्फोट, बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों के हथियार छीने

स्वामी विवेकानंद

इंदौर में स्वामी विवेकानंद की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी स्थापित, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया भूमिपूजन

भारत की सख्त चेतावनी, संघर्ष विराम तोड़ा तो देंगे कड़ा जवाब, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 3 एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

Operation sindoor

थल सेनाध्यक्ष ने शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ पश्चिमी सीमाओं की मौजूदा सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

राष्ट्र हित में प्रसारित हो संवाद : मुकुल कानितकर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies