गोवा : पाञ्चजन्य के ‘सागर मंथन’, कार्यक्रम का दीप प्रज्वलन के साथ शुभारंभ हुआ। पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि मेरे साथियों और मित्रों, जो पाञ्चजन्य से जुड़े हुए हैं, उन्हें धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने अच्छे कार्यक्रम का आयोजन किया है। इस बहाने हमारे सबके प्रिय, सबके ह्दय में जिनका अटल स्थान है। ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में सोचने का सबकों मौका मिला है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि उनके साथ काम करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन में कहीं भी हूं, उनका भाषण सुनने जाता था। कभी सोचा नहीं था, कि अटल जी के साथ बैठने का मौका मिलेगा। पहली बार जब 1996 में अटल जी की सरकार बनी। जिस दिन राजनीति में आया और सांसद बना, उस दिन अटल जी की कैबिनेट में मंत्री भी बना।
इसी के साथ उन्होंने कहा कि जब मैं राष्ट्रपति भवन पहुंचा, तो उन्होंने मुझसे पूछा कि आपके पास आने के लिए क्या है। शपथग्रहण के बाद मेरी अटल जी के साथ वो पहली मुलाकात हुई। उनके प्रति आदर की भावना बढ़ने लगी, तब एक व्यक्ति के नाते उनको पहचानने लगा। पहले तो नेता के रूप में जानता था। अटल जी बहुत बड़े नेता थे, वक्ता थे, लेकिन उससे भी बड़े इंसान थे। किसी ने पूछा आप अटल जी के बहुत निकट हैं। मिलने का मौका नहीं मिलता। लेकिन जब भी मिलते थे, बहुत स्नेह करते थे। बजट के लिए अटल जी ने सोचा छह-सात लोगों के साथ बात करते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि आज दोबारा उनके बारे में सोचने का मौका मिला। अटल जी कवि थे, नेता थे, वक्ता थे, ये तो थे ही वह पाञ्चजन्य के प्रथम संपादक थे। उससे ज्यादा समाज, भारत, हमारीसंस्कृति, हजारों साल की पहचान, उसको किस तरह आगे बढ़ाएं। एक पत्रकार से कलम लिया, उसी के कारण नेता बने, सरकार भी इसीलिए बनाई कि हम किस तरह सुशासन के द्वारा समाज को बनाएं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सुशासन कैसा हो, उदाहरण देता हूं। तेरह दिन की सरकार गई। अटल जी ने कहा था कि हम वापस आएंगे। वह सरकार 13 महीने में चली गई, एक वोट के कारण। उस समय गिरिधर गोमांग ने वोट डाला, लेकिन नैतिक रूप से सही था, गलत था, यह उनका विचार है। उस समय कई सांसद थे, जो सौदा बनते थे, तो मदद के लिए तैयार थे। लेकिन हमने सरकार इसलिए नहीं बनाई थी, कि सत्ता में रहें बल्कि सुशासन के जरिए कैसे समाज को बनाएं। फिर वापस सरकार आई। फिर उन्होंने सही मायने में सुशासन की शुरुआत की।
सुरेश प्रभु ने कहा कि भरत जोड़ने का काम अटल जी ने किया। सही भारत जोड़ने की शुरुआत मन को जोड़ने से होती है। विचार से होती है। जनसंघ इसीलिए बनाया गया। बाद में भाजपा की स्थापना हुई। इन सभी में समानता है कि व्यक्ति को समाज से और समाज को राष्ट्र के साथ जोड़ने की बात। हमने गुड गवर्नेंस की शुरुआत की। सब कुछ देखा जा सकता है, लेकिन मन को नहीं देखा जा सकता। यह गवर्नेंस ऐसी ही चीज है। सरकार, मंत्री, सचिव दिखाई देते हैं। इसी तरह सुशासन है। सुशासन होगा तो मंथन होगा कुछ निकलेगा। इसी तरह अटल जी जब सरकार में थे तो सुशासन द्वारा और विपक्ष में थे, तो सरकार पर सुशासन के लिए दबाव बनाकर किया। समाज और सरकार में जो दूरी दिखती थी, वह इसीलिए कि जुड़ाव नहीं था। इसीलिए सुशासन के जरिए समाज और सरकार को नजदीक लाने का काम अटल जी ने किया।
उन्होंने कहा जिस दिन सुशासन होगा, उस वक्त कुछ करने की जरूरत नहीं होगी। हर व्यक्ति के पास बहुत ताकत होती है। सही मायने में जो ताकत होती है, वह उसके अंदर होती है । जिसे आध्यात्मिक ताकत कहते हैं। लेकिन वह बाहर नहीं आती । क्योंकि सरकार सभी चीजों पर नियंत्रण करती है। सुशासन होगा तो सकारात्मकता आएगी।
पूर्व रेल मंत्री बोले कि हमने चाणक्य को देखा नहीं, कृष्ण को देखा नहीं। इतने सदियों के बाद आज भी हम चाणक्य को क्यों सोचने हैं, वो विचार, हर विचार एक ही मायने रखते थे कि सुशासन कैसे आए। जो गलत करता है, उसका भी सामना करो। चाणक्य के विचारों को समाज के सामने सरकार के रूप में किसी ने सामने रखने का कार्य किया तो वह अटल जी थे। अटल जी के विचारों को भी हमें आधुनिक स्वरूप में लाना है। आज समाज का जो स्वरूप है, उसे आगे बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए। यही इस आयोजन का मंतव्य है। आज के समय में समाज को सही दिशा देना, समाज की क्षमता को पूरी तरह से सामने लाने, उसका इस्तेमाल करने के लिए हमें आज इस मंथन की जरूरत है। हमारी संस्कृति में शास्त्रों में सागर मंथन का बहुत योगदान है। मुझे विश्वास है कि इस कार्यक्रम में हम जरूर समाज को आगे लाने का विचार रखेंगे।
आज की स्थिति सही मायने में बहुत चिंताजनक है। रूस-उक्रेन युद्ध समाप्त होता नजर नहीं आ रहा है। आज दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। उक्रेन को अमेरिका ताकत दे रहा है। उसे एक बड़ा पैकेज देने का विचार कर रहे हैं। कोविड दोबारा अपना सर उठा रहा है। यह बड़ी चिंताजनक बातें हैं। विश्व की आर्थिक स्थिति बहुत चिंताजनक है।
उन्होंने आगे कहा कि इन सभी चिंताओं को दू करने के लिए एक ही रास्ता हो सकता है कि सही विचार से चलें। सही विचार क्या होगा कि जो देश हजारों सालों से दुनिया को रास्ता दिखाता रहा है, उसकी जिम्मेदारी है। केवल हमारी नहीं, बल्कि विश्व के लोगों की चिंता दूर करने के लिए भारत, भारतीयों की जिम्मेदारी है। विचार भी सही होने चाहिए। हमारे देश से जो विचार निकले हैं, उन पर भी मंथन होना चाहिए। फिर वो आगे बढ़ेगा तो चिंताएं दूर होंगी।
पूरेव रेल मंत्री ने अटल जी को याद करते हुए कहा कि आगे अटल जी की जन्म शताब्दी आने वाली है। हमें उसकी तैयारी करनी चाहिए। वे इतने बड़े थे कि आज भी उन्हें याद करता हूं, उनके बारे में बात करता हूं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
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