चीन और अमेरिका के बीच कूटनीतिक स्तर पर लंबे समय से चली आ रही तनातनी में कोई नरमाई नहीं आती दिख रही है। यह अलग बात है कि पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बाली में जी20 बैठक के मौके पर बात भी हुई थी। अब एक बार फिर चीन के विदेश मंत्री ने अमेरिका को चेताया है कि चीन के मामलों में वह अपनी हद न लांघे।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी का कल यह कड़ा बयान आया है जिसमें उन्होंने अमेरिका को खरे खरे शब्द सुनाए हैं। कल अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से फोन पर हुई बातचीत में चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका अपनी ‘धमकाने’ की पुरानी आदत छोड़ दे। वांग यी ने साफ आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका चीन के बढ़ते कदमों को रोकने की कोशिश कर रहा है।
उल्ल्ेखनीय है कि अमेरिका विस्तारवादी चीन की तिब्बत और ताइवान नीतियों को लेकर हमेशा हमलावर ही रहा है। तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे और ताइवान में धमक दिखाने की चीनी कोशिशों को लेकर अमेरिका ने चीन को कई अवसरों पर आगाह किया है। चीन की अमेरिका के बाजार पर छा जाने की कोशिशों को भी पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन ने बहुत हद तक रोक दिया था, कारोबारी प्रतिबंध लगाए थे, तबसे चीन की सत्ता अमेरिका को आंखें दिखाने का एक भी मौका नहीं जाने नहीं देती।
नाराजगी वाले हावभाव के साथ वांग यी ने फोन पर ब्लिंकन से हुई बातचीत में आगे कहा कि, अमेरिका बीजिंग की वैध मान्यताओं पर ध्यान दे। अपनी ‘सलामी स्लाइसिंग’ नीति पर चलते हुए कम्युनिस्ट चीन की सरहदों पर गलत बयानी से बाज आए, उसे चुनौती देने से बाज आए।
अमेरिका विस्तारवादी चीन की तिब्बत और ताइवान नीतियों को लेकर हमेशा हमलावर ही रहा है। तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे और ताइवान में धमक दिखाने की चीनी कोशिशों को लेकर अमेरिका ने चीन को कई अवसरों पर आगाह किया है। चीन की अमेरिका के बाजार पर छा जाने की कोशिशों को भी पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन ने बहुत हद तक रोक दिया था, कारोबारी प्रतिबंध लगाए थे
वांग यी की इस बात से एक बार फिर स्पष्ट होता है कि विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, अमेरिका और चीन में चले आ रहे कटु संबंधों में कोई सुधार नहीं आया है। बाली में दोनों देशों के नेताओं की वार्ता के बावजूद दोनों दोनों के बीच कूटनीति स्तर पर तनाव बना हुआ है।
साल 2017 के बाद, पहली बार बाली में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हुई चर्चा में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ ही ताइवान का मुद्दा खासतौर पर उठा था। अमेरिका एक लंबे समय से ताइवान की वर्तमान सरकार के साथ खड़ा दिख रहा है और यह बात चीनी हुक्मरानों के गले नहीं उतर रही है। ताइवान को वह ‘अपना इलाका’ मानता है और कैसे भी उसे ‘मुख्य भूमि’ के साथ जोड़ने की योजना पर आगे बढ़ रहा है। वह जापान, अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देश उसकी इस मंशा के पूरी होने में बाधा की तरह देख रहा है।
अमेरिका के साथ चीन का तनाव इस साल अगस्त माह में अमेरिका की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के दौरान चरम पर देखा गया था, जब चीन ने हमलावर तेवर दिखाई थे। और एक बारगी तो यह लगा था कि वह कहीं ताइवान पर हवाई हमला न बोल दे। बाइडेन ने चीन की ‘ताइवान को लेकर जबरदस्ती और आक्रामक कार्रवाई’ पर आपत्ति व्यक्त की थी। ध्यान देने की बात है कि अमेरिका चीन की ‘वन चाइना’ नीति को नहीं मानता है।
टिप्पणियाँ