ज्ञानवापी और श्रृंगार-गौरी मंदिर का मुकदमा, जिला न्यायालय में विचाराधीन है। वहीं, लाट भैरव मंदिर का मामला भी धीरे-धीरे सुर्खियों में आ रहा है। गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन अश्वनी कुमार के कोर्ट में लाट भैरव मंदिर से जुड़े वाद पर भी सुनवाई हुई। कोर्ट ने अगली सुनवाई के 12 जनवरी की तिथि तय कर दी है। वाद के अनुसार स्कन्द पुराण में लाट भैरव का जिक्र कपाल भैरव के रूप में किया गया है।
ऐसी मान्यता है कि बिना इनके इजाजत के काशी में कोई नहीं रह सकता। अति प्राचीन मंदिर जैतपुरा क्षेत्र में है। ये इलाका संवेदनशील और पुलिस की सुरक्षा में रहता है। मंदिर के चारों ओर कब्रिस्तान है।
अधिवक्ता मदनमोहन यादव ने बताया कि अनुराग द्विवेदी और विकास वर्मा ने फरवरी 2021 में वाद दाखिल किया था। इस वाद में स्पष्ट लिखा गया कि स्कन्द पुराण में लाट भैरव मंदिर का उल्लेख कपाल भैरव मंदिर के रूप में है। कई एकड़ में फैले परिसर को (औरंगजेब के समयकाल) कब्जा कर लिया गया। न्यायालय में संतों की समाधि स्थल को कब्जाधारकों से मुक्त करने, भव्य मंदिर निर्माण, पूजन आरती का अनुरोध किया गया है। वर्तमान में बाबा के दरबार में पूजन-अर्चन आरती होती है। भारत सरकार को भी वाद में पक्षकार बनाया गया है। काशी में मौजूद अष्ट भैरव में लाट भैरव बाबा को पहला स्थान प्राप्त है।
मामले में विपक्षी बनाए गए पक्षकार सरदार मकबूल और अनीसुर रहमान व एक अन्य गजट प्रकाशन के बाद हाजिर हुए। इन सभी पर कब्जा करने का आरोप है। काशी का ये स्थल सदैव संवेदनशील रहता है। मंदिर के आस- पास पुलिस बल की तैनाती है। काशी में यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी जाना जाता है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर 12 जनवरी की तारीख दी है।
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