तालिबान के अफगानिस्तान पर चढ़ बैठने से पहले, वहां के उपराष्ट्रपति रहे अमरुल्ला सालेह ने इस कट्टर इस्लामी हुकूमत के सामने आज भी हथियार नहीं डाले हैं। वे लगातार तालिबान पर हमलावर ही नहीं रहे हैं बल्कि इसे वहां से उखाड़ फैंकने की कसमें खाए हुए हैं। अमरुल्ला पिछले साल अपदस्थ होने के बाद से ही पाषाणकालीन सोच की इस कट्टरपंथी जमात को निशाने पर लिए हुए हैं और इसकी काली करतूतों का खुलासा करते रहे हैं। अब उन्होंने एक ट्वीट करके तालिबान की जिस जहरीला मंशा को उजागर किया है वह चिंता और हैरानी पैदा करती है।
अमरुल्ला का कहना है कि तालिबान तालीम में एक बड़ा कट्टरपंथी बदलाव करने जा रहे हैं। लड़कियों की स्कूली शिक्षा चौपट करने वाले इस्लामवादी अब शिक्षा में मदरसों वाली तालीम शामिल करने जा रहे हैं। पूर्व उपराष्ट्रपति का कहना है कि अब तालीम दी जाएगी कि ‘गैर-मुस्लिमों का कत्ल करो’, ‘महिलाओं को प्रताड़ित करो’,’फिदायीन हमले करो’ आदि।
पूर्व उपराष्ट्रपति का कहना है कि ‘नया सिलेबस इतना खराब है कि अब लोग चाहते हैं कि लड़कों के लिए भी स्कूल बंद हो जाएं। अफगानिस्तान के लोग मानते हैं कि यह सब पाकिस्तान का चलाया फासीवादी पैंतरा खत्म नहीं हो जाता तब तक सभी स्कूल बंद ही रहें।
यानी तालिबान ने अब स्कूली छात्रों में भी जहरीली सोच पनपाने के इंतजाम करने का मन बना लिया है। छात्रों को कट्टरपंथ की तालीम देने के लिए मौजूदा पाठ्यक्रम में लगभग 62 नई चीजें शामिल किए जाने के आसार हैं। अमरुल्लाह कहना है कि दोहा जाकर देश को शर्मसार करने वाला समझौता करने वाले तालिबान को उसकी पैरवी करने वाला मीडिया एक लंबे समय तक ‘बदला हुआ तालिबान’ बताता रहा और कि ‘यह पुराने ढर्रे को छोड़कर समाज के हित में काम करेगा’। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। फर्जी मीडिया रपटों में कहा गया कि अफगानिस्तान में ‘भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ गया’ था कि यह कट्टर जिहादी गुट सत्ता में आया।
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में बंदूक के दम पर सत्ता हथियाने के बाद से ही तालिबान ने देश में इस्लामी कट्टरता का खौफ फैलाना शुरू कर दिया था। सबसे पहले लड़कियों और महिलाओं पर गाज गिरी और उन पर हर तरह की पाबंदी लगाई जाने लगी। उनका स्कूल-कॉलेज जाना बंद कर दिया गया।
लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद पंजशीर की पहाड़ियों में किसी गुप्त स्थान पर जाकर स्वयं को ‘अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति’ बताने वाले अमरुल्लाह ने इस इस्लामी कट्टरपंथी गुट के आगे घुटने टेकने की बजाय उसके विरुद्ध आक्रामक पैंतरा अपनाया हुआ है। अब उन्होंने तालिबान की तालीम को जहरबुझा बनाने की मंशा का खुलासा किया है।
शिक्षा में जो ‘नई चीजें’ शामिल करने की तैयारी है उनमें से कुछ बताती हैं कि, ‘संयुक्त राष्ट्र संघ शैतान’ है, ‘गैर-मुस्लिमों को कत्ल जायज है’, ‘महिलाओं को सजा दी जा सकती है’ तथा ‘फिदायीन हमले जायज’ हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति का कहना है कि ‘नया सिलेबस इतना खराब है कि अब लोग चाहते हैं कि लड़कों के लिए भी स्कूल बंद हो जाएं। अफगानिस्तान के लोग मानते हैं कि यह सब पाकिस्तान का चलाया फासीवादी पैंतरा खत्म नहीं हो जाता तब तक सभी स्कूल बंद ही रहें। सालेह सवाल उठाते हैं कि क्या अमेरिका ऐसी आग लगाने वाली तालीम देने के लिए हर सप्ताह 4 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराएगा?
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