राज्यसभा में सांसद नरेश बंसल ने जबरन मतांतरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और फिलहाल देश में जबरन मतांतरण रोकने के लिए कोई कानून नहीं है, इसलिए देशव्यापी कानून बनाने के लिए आवश्यकता है।
सांसद नरेश बंसल ने कहा कि लालच, धोखा या बलपूर्वक किया जाने वाला मतांतरण खतरनाक और बहुत ही गंभीर मुद्दा है। इस प्रकार का मतांतरण नहीं रोका गया तो जटिल स्थिति पैदा हो सकती है। बंसल ने कहा कि जबरन मतांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही यह नागरिकों के धर्म और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के लिए खतरा बन सकता है। अगर इन पर रोक नहीं लगाई गई तो जल्द ही भारत में हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे।
सांसद ने कहा कि देश में काला जादू, अंधविश्वास, चमत्कार आदि के जरिये जबरन मतांतरण की घटनाएं हर हफ्ते सामने आती हैं और एक भी जिला ऐसा नहीं है, जो धोखाधड़ी व धमकी से हो रहे मतांतरण से मुक्त हो। सांसद नरेश बंसल ने संसद में कहा कि धर्म की आजादी हो सकती है, लेकिन जबरन मतांतरण की कोई स्वतंत्रता नहीं है।
सांसद बंसल ने सदन का ध्यान आकर्षित किया कि वनवासी बहुल इलाकों में ऐसे मतांतरण बहुतायत में होते हैं और उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके साथ क्या हो रहा है और ये सब मदद के नाम पर होता है। राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने कहा कि मुद्दा किसी एक जगह से जुड़ा नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिलहाल देश में जबरन मतांतरण रोकने के लिए कोई कानून नहीं है, लेकिन उत्तराखंड समेत कई राज्यों में इसे लेकर कानून है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और भूटान में जबरन मतांतरण के खिलाफ कानून हैं।
सांसद ने कहा कि संसद में 3 बार मतांतरण क़ानून पास कराने की कोशिश हो चुकी है। 2015 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष व अभी के गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रव्यापी स्तर पर मतांतरण निरोधक कानून बनाने पर जोर दिया था। सांसद राज्यसभा नरेश बंसल ने सरकार से मांग करते हुए इसे एक बेहद गंभीर मामला बताया। साथ ही कहा कि फिलहाल भारत देश में जबरन मतांतरण रोकने के लिए कोई कानून नहीं है, इसलिए देशव्यापी कानून बनाने के लिए तुरंत आवश्यकता है।
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